बच्चों को फेल नहीं करने की नीति होगी खत्म

बच्चों को फेल नहीं करने की नीति होगी खत्म चंडीगढ़ : केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की उप समिति ने नो डिटेंशन पालिसी (बच्चों को फेल नहीं करने की नीति) को खत्म करने की सिफारिश की है। हरियाणा की शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल इस उप समिति की चेयरमैन हैं। उनके नेतृत्व में कई राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की उप समिति ने पाया कि नो डिटेंशन पालिसी से न केवल परीक्षा परिणाम खराब हो रहा है, बल्कि मेधावी बच्चों में भी हीन भावना बढ़ रही है। मंत्रियों की उप समिति का मानना है कि नो डिटेंशन पालिसी खत्म कर परीक्षाओं में सतत एवं व्यापक मूल्यांकन प्रणाली अपनाई जानी चाहिए। उप समिति जल्दी ही अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को देगी। राज्य की शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने आज माना कि उप समिति ने अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दे दिया है और जल्दी ही इसे पेश किया जाएगा। भुक्कल ने कहा कि देशभर के स्टैक होल्डर से परामर्श करने के उपरांत उप समिति ने पाया कि विद्यार्थियों का मूल्यांकन किया जाना चाहिए ताकि मिडिल स्तर पर उनके सीखने के स्तर में और सुधार लाया जा सके। यदि हम आठवीं के स्तर पर विद्यार्थियों के सीखने के स्तर का मूल्यांकन करेंगे तो 10वीं और 12वीं के स्तर पर विद्यार्थियों को लाभ होगा। मंत्री के अनुसार सरकार शिक्षा का अधिकार अधिनियम का क्षेत्र 10वीं और 12वीं तक बढ़ाने पर विचार कर रही है। जो इस समय 8वीं कक्षा तक है। नो डिटेंशन पालिसी विद्यार्थियों के सीखने के स्तर में सुधार लाने में सहायता नहीं कर रही है। शिक्षा मंत्री का मानना है कि यदि हम विद्याíथयों को उनके प्रदर्शन के अनुसार फेल नहीं करते हैं तो उस स्थिति में विद्यार्थियों, अध्यापकों और अभिभावकों के लिए कोई भी उत्तरदायी नहीं होगा। इस प्रवृत्ति के चलते मेधावी विद्यार्थी स्वयं को प्रोत्साहित महसूस नहीं करेंगे। इसलिए विद्यार्थियों के लिए परीक्षा और मूल्यांकन की उचित प्रणाली को अपनाना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि नो डिटेंशन पालिसी खत्म होने के बाद अध्यापकों और विद्यार्थियों का उत्तरदायित्व निर्धारित हो जाएगा। बच्चों को फेल नहीं करने की नीति होगी खत्म चंडीगढ़ : केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की उप समिति ने नो डिटेंशन पालिसी (बच्चों को फेल नहीं करने की नीति) को खत्म करने की सिफारिश की है। हरियाणा की शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल इस उप समिति की चेयरमैन हैं। उनके नेतृत्व में कई राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की उप समिति ने पाया कि नो डिटेंशन पालिसी से न केवल परीक्षा परिणाम खराब हो रहा है, बल्कि मेधावी बच्चों में भी हीन भावना बढ़ रही है। मंत्रियों की उप समिति का मानना है कि नो डिटेंशन पालिसी खत्म कर परीक्षाओं में सतत एवं व्यापक मूल्यांकन प्रणाली अपनाई जानी चाहिए। उप समिति जल्दी ही अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को देगी। राज्य की शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने आज माना कि उप समिति ने अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दे दिया है और जल्दी ही इसे पेश किया जाएगा। भुक्कल ने कहा कि देशभर के स्टैक होल्डर से परामर्श करने के उपरांत उप समिति ने पाया कि विद्यार्थियों का मूल्यांकन किया जाना चाहिए ताकि मिडिल स्तर पर उनके सीखने के स्तर में और सुधार लाया जा सके। यदि हम आठवीं के स्तर पर विद्यार्थियों के सीखने के स्तर का मूल्यांकन करेंगे तो 10वीं और 12वीं के स्तर पर विद्यार्थियों को लाभ होगा। मंत्री के अनुसार सरकार शिक्षा का अधिकार अधिनियम का क्षेत्र 10वीं और 12वीं तक बढ़ाने पर विचार कर रही है। जो इस समय 8वीं कक्षा तक है। नो डिटेंशन पालिसी विद्यार्थियों के सीखने के स्तर में सुधार लाने में सहायता नहीं कर रही है। शिक्षा मंत्री का मानना है कि यदि हम विद्याíथयों को उनके प्रदर्शन के अनुसार फेल नहीं करते हैं तो उस स्थिति में विद्यार्थियों, अध्यापकों और अभिभावकों के लिए कोई भी उत्तरदायी नहीं होगा। इस प्रवृत्ति के चलते मेधावी विद्यार्थी स्वयं को प्रोत्साहित महसूस नहीं करेंगे। इसलिए विद्यार्थियों के लिए परीक्षा और मूल्यांकन की उचित प्रणाली को अपनाना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि नो डिटेंशन पालिसी खत्म होने के बाद अध्यापकों और विद्यार्थियों का उत्तरदायित्व निर्धारित हो जाएगा।

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