मासिक परीक्षाओं का बन रहा मजाक


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मासिक परीक्षाओं का बन रहा मजाक
हरियाणा के सरकारी स्कूलों में आठवीं कक्षा तक छात्रों
की मासिक मूल्यांकन परीक्षा रस्म अदायगी से ज्यादा
कुछ नहीं है। परीक्षा से पहले की जरूरी प्रक्रिया मात्र
औपचारिकता बनकर रह गई है। निदेशालय के आदेशों को ठेंगा
दिखाते हुए जिला व खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी
स्कूलों में प्रश्न पत्र नहीं पहुंचा रहे। मौलिक स्कूल
मुख्याध्यापकों को कार्यालय में बुलाकर प्रत्येक कक्षा का
मात्र एक-एक प्रश्न पत्र दिया जा रहा है। बाकी प्रश्न पत्र
अपने खर्च पर मुख्याध्यापकों को फोटो स्टेट कराने होंगे। 25 मई से
शुरू हो रही मासिक मूल्यांकन परीक्षा से पहले भी नियम ताक पर
हैं। बीते शनिवार को मौलिक खंड शिक्षा अधिकारियों ने
सारी गोपनीयता तार-तार करते हुए हर कक्षा का प्रत्येक विषय
का एक-एक प्रश्न पत्र मुख्याध्यापकों को फोटो स्टेट कराने के लिए
सौंप दिया। परीक्षाएं 30 मई तक चलनी है। सभी प्रश्न पत्रों को
मुख्याध्यापक बाजार में ही फोटो स्टेट कराएंगे। इससे साफ तौर पर
प्रश्न पत्र सार्वजनिक होंगे। स्कूल शिक्षा विभाग के आदेशानुसार
प्रश्न पत्र राज्य शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद गुड़गांव
को तैयार कर जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को मुहैया
कराने थे। मौलिक शिक्षा अधिकारियों ने इन्हें सील बंद
लिफाफों में खंड शिक्षा अधिकारियों के मार्फत स्कूलों में
पहुंचाना था, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया को दरकिनार किया जा
रहा है। स्कूल मुख्याध्यापकों ने भी प्रश्न पत्र फोटो स्टेट कराने में
हाथ खड़े कर दिए हैं। चूंकि उनके पास कोई फंड ही नहीं है। स्कूल
मुख्याध्यापकों ने निर्णय लिया है कि पहली व दूसरी कक्षा के
चित्रों वाले प्रश्न पत्र ही फोटो स्टेट कराएंगे। बाकी कक्षाओं के
प्रश्नों को ब्लैक बोर्ड पर लिखकर छात्रों से हल कराया जाएगा।
इससे प्रदेश की शैक्षणिक व्यवस्था का अंदाजा सहज ही लगाया
जा सकता है।

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