चंडीगढ़. भूखे पेट पढ़ाने की नौबत तो शायद अब तक नहीं है, लेकिन अगर यही हाल रहे तो ऐसा होने में भी देर नहीं लगेगी। ये हालत पंजाब के उन 6500 शिक्षकों की है, जिन्हें चार महीने पहले सर्वशिक्षा अभियान के तहत भर्ती किया गया है। इनसे काम तो पूरा लिया जा रहा है पर सैलरी नहीं दी जा रही। चार माह से ये शिक्षक सरकारी स्कूलों में मुफ्त पढ़ा रहे हैं।
विभाग के आला अधिकारियों का तर्क है कि केंद्र सरकार से सर्वशिक्षा अभियान के तहत अध्यापकों के वेतन और अन्य खर्चो के लिए फंड अभी आया ही नहीं है। इन शिक्षकों की सैलरी 16000 रुपये प्रतिमाह है। चार माह से वेतन न मिल पाने के कारण शिक्षकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
पंजाब के डायरेक्टर जनरल (स्कूल) बी पुरुषार्थ का कहना है कि शिक्षकों को वेतन न मिलने का मुख्य कारण केंद्र सरकार से आने वाले फंड में देरी होना है। उन्होंने यह भी कहा कि इसके लिए केंद्र सरकार से करीब 1050 करोड़ रुपये आने वाले हैं, जिसमें एक सप्ताह लग सकता है। उन्होंने आश्वासन दिया कि इन शिक्षकों को सात दिनों में सैलरी मिल जाएगी। हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं, शिक्षकों को फिलहाल शांत रहना चाहिए।
सरकार चुप
वित्त विभाग को शिक्षकों को सैलरी के संबंध में कई बार गुहार लगाई है, लेकिन विभाग ने किसी भी पत्र का जवाब नहीं दिया। सरकार इस बारे में कुछ भी कहने को तैयार नहीं है।
संघर्ष करेंगे
जिन शिक्षकों को सैलरी नहीं मिली है, उन्होंने संघर्ष शुरू करने की चेतावनी दी है। ईटीटी टीचर्स यूनियन के प्रधान जसविंदर सिंह का कहना है कि शिक्षकों को बिना वेतन दिए चार माह से काम कराया जा रहा है। अब संघर्ष का रास्ता ही बचा है।
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