शिमला .प्रदेश में टीचर इलेजिबिल्टी टेस्ट (टीईटी) के लिए किसी भी आयु वर्ग का उम्मीदवार बैठ सकता है। लिहाजा ऐसे में अब प्रदेश में किसी भी आयु वर्ग का उम्मीदवार भाग ले सकेगा। यह परीक्षा दो चरणों में हिमाचल प्रदेश अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड हमीरपुर के माध्यम से 27 नवंबर और चार दिसंबर को आयोजित की जाएगी।
आर्ट्स, मेडिकल व नॉन मेडिकल में टीजीटी बनने के लिए यह परीक्षा 27 नवंबर को रखी गई है, जबकि शास्त्री और भाषा अध्यापक बनने के लिए इसका आयोजन चार दिसंबर को किया जाएगा। इस तरह अब टीजीटी, शास्त्री और भाषा अध्यापक बनने की चाह रखने वाले बेरोजगारों को टीईटी की बाधा को दूर करना होगा।
कब तक किए जा सकते हैं आवेदन
टीईटी परीक्षा में बैठने के लिए सचिव, हिमाचल प्रदेश अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड हमीरपुर को 17 अक्टूबर तक आवेदन किए जा सकते हैं, जबकि लाहौल-स्पीति, किन्नौर, पांगी, चंबा जिला के भरमौर, शिमला जिला के डोडरा क्वार के उम्मीदवार 31 अक्टूबर तक आवेदन भेज सकते हैं।
शेइसके लिए सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 500 रुपए तथा एससी, एसटी, ओबीसी, बीपीएल, आईआरडीपी, स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों तथा पूर्व सैनिकों के बच्चे जैसे आरक्षित वर्ग के लिए 200 रुपए परीक्षा फीस तय की गई है। पूर्व सैनिकों तथा दृष्टि विकलांग उम्मीदवारों को फीस में छूट है। फिर भी ऐसे पूर्व सैनिक जिन्हें अपने अनुरोध पर छोड़ा गया है, उन्हें फीस की छूट नहीं होगी। फीस को बैंक ड्राफ्ट और रेखित इंडियन पोस्टल आर्डर के माध्यम से दी जा सकती है। इसके लिए अधिकतम आयु सीमा तय नहीं की गई है।
किस तरह होगी परीक्षा, टीईटी परीक्षा में कितने प्रश्न
टीईटी परीक्षा में 150 प्रश्न पूछे जाएंगे और प्रत्येक का एक अंक होगा। परीक्षा की अवधि एक घंटा 30 मिनट होगी। परीक्षा में किसी तरह की नेगेटिव माकिर्ग नहीं होगी। टीजीटी आर्ट्स, मेडिकल, नॉन मेडिकल, शास्त्री व भाषा अध्यापक के लिए पाठ्यक्रम अलग होगा।
बेरोजगारों की मुश्किलें बढ़ी
टीजीटी बनने के लिए बीएड के अलावा टीईटी की शर्त बेरोजगारों पर भारी पड़ी है। इसी तरह शास्त्री और भाषा अध्यापक बनने के लिए भी टीईटी की बाधा को दूर करना होगा, जिससे युवा बेरोजगार नाराज है।
धूमल से मिले बेरोजगार शास्त्री
टीईटी परीक्षा घोषित किए जाने की भनक मिलते ही बेरोजगार शास्त्री संघ का प्रतिनिधिमंडल लेखराज शर्मा की अध्यक्षता से मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल से मिला। इसमें उन्होंने 2010 से पहले के शास्त्री डिग्री धारकों के ऊपर की परीक्षा में 50 फीसदी अंक अनिवार्यता पर आपत्ति जताई है। इस नियम के कारण संस्कृत में एमए, एम फिल, पीएचडी और आचार्य प्रथम श्रेणी के बेरोजगार भी बाहर हो रहे हैं।
क्या कहते हैं शिक्षा मंत्री
शिक्षा मंत्री ईश्वर दास धीमान का कहना है कि आरटीई एक्ट के आने से शिक्षा के क्षेत्र में कई बदलाव आए हैं। टीईटी प्रवेश परीक्षा प्रक्रिया भी उसी का हिस्सा है। सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है तथा आगे भी यह क्रम जारी रहेगा।
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