समग्र मूल्यांकन में उलझे अधिकारी और अध्यापक+जेबीटी शिक्षकों को एरियर का इंतजार

शिक्षा विभाग द्वारा मिडिल कक्षाओं में परीक्षा बंद कर शुरू किए गए सतत समग्र मूल्यांकन के संबंध में अधिकारी व अध्यापक असमंजस में हैं। हालांकि प्रथम सेमेस्टर की परीक्षाएं सिर पर हैं लेकिन अभी तक अध्यापकों को सही तरह से पता नहीं चल पाया है कि मूल्यांकन कैसे किया जाए। शिक्षा विभाग के आदेशानुसार इस बार बच्चे के सर्वागीण विकास में सहायक सभी पहलुओं का मूल्यांकन कर उसे ग्रेड दिया जाना है ताकि उसकी क्षमता का सही पता चल सके। इसके तहत अध्यापक को बच्चे के प्रवेश से लेकर अब तक उसकी खेल प्रतिभा, परीक्षा, रुचि, थ्योरी, प्रायोगिक, एनएसएस, एनसीसी, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ-साथ सेवा भावना, अनुशासन व नियमितता का पूरा रिकार्ड रखना था। शायद ही किसी अध्यापक ने पूरा रिकार्ड रखा हो। इसका दूसरा पहलू यह भी है किछह माह बीतने के बावजूद अभी तक विभाग की तरफ से कोई स्पष्ट आदेश नहीं आया है कि मूल्यांकन का आधार क्या बनाया जाए। बच्चों को ग्रेड किस आधार पर व कैसे देना है। सतत समग्र मूल्यांकन के लिए जिले में कोई प्रशिक्षण शिविर भी नहीं लगाया गया है। मूल्यांकन में सभी गतिविधियों का रखें ध्यान : जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी दर्शना देवी ने बताया कि सतत समग्र मूल्यांकन बच्चे के लिए बहुत जरूरी है। इससे बच्चे की पूरी जानकारी मिलने से उसका समग्र विकास कराया जा सकेगा।

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प्रदेशभर के 6500 जेबीटी शिक्षकों को अब भी एरियर सहित अन्य लाभों के मिलने का इंतजार है। हाईकोर्ट के दो माह में सभी बकाया देने के आदेश की समय सीमा रविवार को समाप्त हो गई, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। गौरतलब है कि वर्ष 2004 में जिला परिषद के तहत 6500 जेबीटी शिक्षक नियुक्त किए गए थे। बाद में तत्कालीन प्रदेश सरकार ने इन शिक्षकों को शिक्षा विभाग में समायोजित करने और 10 अगस्त 2005 से नियमित करने का फैसला किया। शिक्षक राजपाल, राजबीर और अन्य ने एरियर तथा अन्य लाभों के लिए हाईकोर्ट का सहारा लिया। मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने वर्ष 2009 में सरकार को सभी लाभ देने का आदेश जारी कर दिया। इस पर सरकार ने एक आर्डर जारी कर सभी लाभ देने की बात कही, लेकिन पांच दिन बाद ही इसे रद कर दिया। पीडि़त शिक्षकों ने वर्ष 2010 में हाईकोर्ट में अवमानना याचिका डाल दी। 18 जुलाई 2011 को डिप्टी एडवोकेट जरनल ने सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में शपथपत्र देकर एरियर व अन्य लाभ देने की बात कही। इस पर हाईकोर्ट ने सरकार को दो माह में सभी एरियर और अन्य लाभ देने का आदेश दिया। लेकिन दो माह की अवधि समाप्त होने के बाद भी विभाग ने इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया है। राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश महासचिव व शिक्षा विभाग की ग्रीवेंसेज कमेटी के सदस्य दीपक गोस्वामी और नरवाना के ब्लॉक प्रधान अनिल लोहान ने बताया कि 25 अगस्त को हुई ग्रीवेंसिज कमेटी की बैठक में भी इस मुद्दे को उठाया गया था। मांग की अनदेखी से प्राथमिक शिक्षकों में रोष है। वह अब दोबारा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।

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