सुप्रीम कोर्ट में जीतकर भी हारे टेन्योर अध्यापक

शिमला . सुप्रीम कोर्ट में जीतने के बाद भी टेन्योर अध्यापकों को एडहॉक शिक्षकों के समान लाभ नहीं मिला है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सरकार के पास पहुंच गया है। इसमें सभी श्रेणी के करीब 3102 अध्यापकों को सालाना दो हजार रुपए से तीन हजार रुपए तक का घाटा उठाना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद निदेशालय स्तर से मामला सरकारी स्तर पर उठाया गया, मगर अब तक इस पर कोई निर्णय नहीं हो पाया है। विभाग को अब भी इस मामले में सरकार के उन आदेशों का इंतजार है, जिसके आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिए हैं।

1987 में हुए नियमित: प्रदेश में एलीमेंट्री और हायर एजुकेशन में वर्ष 1987 के बाद लगे कुछ शिक्षकों को 1-1-94 से नियमित कर दिया गया। ये शिक्षक समान सेवा शर्तो पर लगे थे, लेकिन नियमित करते समय कुछ शिक्षक छूट गए। छूटे शिक्षकों को टेन्योर अध्यापक कहा गया और नियमित होने वाले शिक्षकों को तदर्थ शिक्षकों की श्रेणी में रखा गया। इससे टेन्योर अध्यापकों में रोष फैल गया और उन्होंने पहले सरकारी स्तर पर मामला उठाया।

अध्यापक संघ में रोष: हिमाचल प्रदेश राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष पीआर सांख्यान का कहना है कि हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी उनके पक्ष में निर्णय सुनाया है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि जल्द शिक्षकों को आदेश जारी किए जाए। जल्द निर्णय पर अमल न होने पर कंटेम्प्ट याचिका को फाइल किया जाएगा।

कोर्ट में लड़ाई

हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ ने 3102 टेन्योर अध्यापकों का मामला हाई कोर्ट में उठाया, जहां पर उनकी जीत हुई। इस जीत के बाद सरकार मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गई। यहां पर एक बार फिर से शिक्षकों की जीत हुई और 7-7-2011 को उनके पक्ष में निर्णय आया। शिक्षा निदेशालय स्तर पर छह सितंबर को हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ ने मामले को उठाया।

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