ग्रेजुएशन स्तर पर अब नहीं होगी ‘चीर-फाड़’

नई दिल्ली. देशभर में विज्ञान से जुड़े ग्रेजुएशन स्तर के पाठ्यक्रमों के लिए अब लैब में जीव-जंतुओं की चीर-फाड़ नहीं हो सकेगी। विश्वविद्यालय में छात्रों को कम्प्यूटर आधारित सॉफ्टवेयर की मदद से ही जीव-जंतुओं की चीरफाड़ कर दिया जाने वाला ज्ञान उपलब्ध हो सकेगा।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी विश्वविद्यालओं को फरमान जारी कर साफ कर दिया है कि स्नातक स्तर के छात्रों के लिए केवल एक ही प्रजाति का जीव देखने के लिए उपलब्ध होगा और उसकी भी चीर-फाड़ की इजाजत नहीं है। चीर-फाड़ का अवसर छात्रों को पोस्ट ग्रेजुएशन स्तर पर उपलब्ध होगा और यहां भी कुछ ही जीव-जंतु ही उनको उपलब्ध कराए जा सकते हैं।

यूजीसी की ओर से सभी सम्बंद्ध विश्वविद्यालयों के लिए जारी गाइडलाइन के तहत विश्वविद्यालयों में वन्यप्राणि कानून के तहत आने वाले सभी तरह के जीव-जंतुओं के प्रयोग पर रोक है। विश्वविद्यालयों में जूलॉजी व लाइफ साइंसेस में पोस्ट ग्रेजुएशन स्तर पर होने वाली जीव-जंतुओं की चीरफाड़ पर नजर रखने के लिए एक डिसेक्शन मॉनिटरिंग कमेटी का गठन करना अनिवार्य कर दिया गया है। जूलॉजी पाठयक्रमों में बीते करीब 90 सालों से जीव-जंतुओं का प्रयोग होता आ रहा है।

यूजीसी के अनुसार इस मामले में काफी ज्यादा मेढ़कों पर प्रयोग होने से इनकी प्रजाति खत्म होने के कगार पर जा पहुंची है। गौरतलब है कि इन्हीं बातों का देखते हुए विश्वविद्यायों में जीव-जंतुओं के प्रयोग को लेकर यूजीसी ने गाइडलाइन तैयार करने को लेकर एक एक्सपर्ट कमेटी गठित की थी। कमेटी की सिफारिशों को देखते हुए आयोग ने गाइडलाइन तैयार की है।

यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को कहा है कि जूलॉजी और लाइफसाइंसेज में जीव-जंतुओं को लेकर होने वाले प्रयोग को लेकर उन्हें चरणबद्ध तरीके से अपने यहां जीव-जंतुओं के प्रयोग पर रोक लगानी होगी। हालांकि जीव-जंतु काे देखने के लिए लाया जाता सकता है, पर उनकी चीरफाड़ नहीं होगी।

विश्वविद्यालयों को कहा गया है कि ‘जीनस राना’ नस्ल के मेढ़क के प्रयोग पर पूर्णतया पाबंदी है, इसलिए इससे परहेज किया जाए। यूजीसी ने अपनी गाइडलाइन के तहत विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया है कि गाइडलाइन की बातों को भी पाठयक्रमों का हिस्सा बनाएं।

पाबंदी के बीच सीमित छूट

स्नातक स्तर पर जीव-जंतुओं की चीरफाड़ पर लगी पाबंदी के बीच छात्रों को छूट इतनी ही है कि विद्यार्थियों के प्रयोग में या प्रायोगिक परीक्षाओं में पहले से चीरफाड़ हो चुके जीव को लाया जा सकता है।

गाइडलाइन के तहत विश्वविद्यालयों में स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को ही कुछ प्रजाति के जीव-जंतुओं के चीरफाड़ करने की छूट होगी। हालांकि पाठयक्रमों में विद्यार्थियों के लिए यह विकल्प रखना होगा कि वह चीरफाड़ करना चाहते हैं या फिर प्रोजेक्ट।

No comments:

Post a Comment

thanks for your valuable comment

See Also

Education News Haryana topic wise detail.