हर स्कूल की दीवार पर लिखे जाएंगे राइट टू एजुकेशन एक्ट के नियम+++मार्च में एक साथ रिटायर होंगे 3500 शिक्षक+++खून की बूंदें बता देंगी गर्भ में पल रहा बेटा या बेटी!

जालंधर. शिक्षा विभाग ने अब राइट टू एजुकेशन (आरटीई) के अधिकारों के प्रति आम लोगों को जागरूक करने का बीड़ा उठाया है। इसके लिए विभाग की तरफ से आरटीई वॉल पेंट प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा। इसमें राज्य भर के प्राइमरी व अपर प्राइमरी स्कूलों की दीवारों के बाहर ब्लैक बोर्ड का निर्माण करवाया जाएगा। इस पर आरटीई के तहत बच्चों के लिए लाजिमी शिक्षा व पूर्ण शिक्षा के अधिकारों को अंकित किया जाएगा। राज्य भर के 19,632 स्कूलों में वॉल पेंट किया जाएगा। इसके लिए विभाग की तरफ से प्रत्येक स्कूल को 700 रुपए दिए जाएंगे।

विभाग की तरफ से निर्देश दिए गए हैं कि आरटीई के नियमों का उल्लंघन करने वाले स्कूलों को बंद कर दिया जाएगा। इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य यह है कि कोई भी बच्चा आउट ऑफ स्कूल व शिक्षा के अधिकार से वंचित न रह जाए। विभाग ने इन बोर्ड को 15 दिन के भीतर पेंट करवाए जाने के निर्देश जारी कर दिए हैं। काम पूरा होने पर इसकी रिपोर्ट मुख्य दफ्तर को भेजी जानी जरूरी है।

॥इस संबंध में विभाग की तरफ से निर्देश आ चुके हैं। इन्हें पूरा करने के लिए काम किया जा रहा है।
- नीलम रानी, डीईओ, सेकेंडरी

बोर्ड पर लिखी जाने वाली एक्ट की विशेषताएं

> 6 से 14 साल की उम्र तक का प्रत्येक बच्चा प्राथमिक शिक्षा पूर्ण होने तक निशुल्क और लाजिमी शिक्षा लेने का अधिकार रखता
> कोई भी अध्यापक प्राइवेट ट्यूशन नहीं दे सकता
> बच्चों को उम्र की योग्य कक्षा में दाखिल लेने का अधिकार
> पहली से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए एक किलोमीटर व छठी से आठवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए तीन किलोमीटर के फासले पर स्कूल होना जरूरी।
> दाखिले के समय स्क्रीनिंग टेस्ट लेने व कंपीटिशन फीस वसूलने की मनाही है।
> उम्र का प्रमाण व स्कूल छोड़ने संबंधी सर्टिफिकेट न होने के सूरत में दाखिले से इनकार नहीं किया जाएगा
> प्रत्येक विद्यक सेशन के दौरान प्राइमरी स्कूल कम से कम 200 दिन, अपर प्राइमरी स्कूल 220 दिन खुले रहेंगे और अध्यापकों के लिए पहली से पांचवीं कक्षा में 800 से कम और छठी से आठवीं जमात के लिए 1000 घंटे पढ़ाना लाजिमी होगा।
> बच्चों को जिस्मानी सजा या मानसिक तौर पर कोई परेशानी देना वर्जित है।
> प्राइवेट स्कूलों में कमजोर वर्ग और सुविधा रहित बच्चों के लिए 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित रखना अनिवार्य हैं।
> बच्चों को प्राथमिक शिक्षा पूर्ण होने तक बोर्ड की परीक्षा पास करने की जरूरत नहीं होगी और न ही बच्चे को पिछली कक्षा में रोका या प्राथमिक पढ़ाई मुकम्मल होने तक स्कूल से निकाला जाएगा
> गैर सहायता प्राप्त स्कूलों से बिना सभी स्कूलों की तरफ से स्कूल मैनेजमेंट कमेटी का गठन किया जाएगा। इसमें तीन चौथाई बच्चों के परिजन व सरपरस्तों से लिए जाएंगे।
> इसमें स्कूल विकास योजना तैयार करेंगे, स्कूल की निगरानी करेंगे, अध्यापकों की जवाबदेही यकीनी बनाई जाएगी।

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मार्च में एक साथ रिटायर होंगे 3500 शिक्षक

शिमला . प्रदेश के इतिहास में पहली बार मार्च में एक साथ करीब 3500 शिक्षक रिटायर होंगे। इसमें करीब 1500 शिक्षक ऐसे भी हैं, जिनको छह से 11 माह से अधिक अपनी सेवाएं देने का मौका मिला है। इस कारण उनको 50 हजार रुपए से एक लाख रुपए तक का अतिरिक्त वित्तीय लाभ हुआ। रिटायर होने वालों में सबसे अधिक सीएंडवी श्रेणी के एक हजार से अधिक शिक्षक शामिल हैं।

प्राइमरी स्कूलों में भी करीब एक हजार शिक्षक रिटायर होंगे। इसी तरह टीजीटी सहित अन्य श्रेणियों के करीब 1500 शिक्षक सेवानिवृत्त होंगे। पहली बार हुआ जब वर्तमान शैक्षणिक सत्र के बीच इतनी बड़ी संख्या में शिक्षक रिटायर नहीं हुए। इनमें से करीब 1500 शिक्षकों को छह माह से अधिक अपनी सेवाएं देने का मौका मिला। दूसरी ओर शैक्षणिक सत्र के बीच पढ़ाई में किसी तरह की बाधा नहीं आई।

किसको कितना फायदा होगा

शिक्षकों की सेवाएं शैक्षणिक सत्र के अंत तक लिए जाने के कारण शिक्षकों को 50 हजार रुपए से एक लाख रुपए तक का लाभ हुआ। हालांकि शिक्षकों को इस दौरान बेसिक पे पर डीए, मेडिकल और एचआरए अलाउंस नहीं मिला। साथ ही नियमित शिक्षकों की तरह देय अतिरिक्त अवकाश नहीं मिले।

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खून की बूंदें बता देंगी गर्भ में पल रहा बेटा या बेटी

होशंगाबाद. अब खून की कुछ बूंदों से ही गर्भ में पलने वाले भ्रूण के लिंग के बारे में लोगों को आसानी से पता चल जाएगा। यह जांच महिला के गर्भ धारण के महज एक सप्ताह बाद ही कराई जा सकती है।

अब भ्रूण के लिंग को पता करने का तरीका बदलने से प्रशासन के सामने कई नई चुनौतियां भी खड़ी हो गई हैं। पीसीआर (पालीमिराइज्ड चैन रिएक्शन ) जांच प्रदेश के छोटे शहरों के पैथोलॉजी सेंटरों पर अभी तक संभव नहीं हैं। लेकिन इसे जांच के लिए मुंबई और दिल्ली के लैबों में भेजा जा रहा है। हालांकि अभी तक जिले में ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन इस जानकारी के बाद स्वास्थ्य विभाग को परेशानी में डाल दिया है।

क्या है पीसीआर

इसे पालीमिराइज्ड चैन रिएक्शन कहा जाता है, जिसे मुख्य रूप से महिलाओं के लिए इंफेक्शन, टीबी, एच आईबी, सरवाइकल कैंसर जैसे रोगों की जांच के लिए कराया जाता है। यह जांच देश के कुछ गिने-चुने महानगरों के कुछ पैथोलॉजी सेंटरों में ही की जाती है।

पीसीआर से पता चलेगा लिंग

गर्भवती महिला के ब्लड सैंपल की एक पीसीआर (पालीमिराइज्ड चैन रिएक्शन) पद्धति से परीक्षण किया जाता है। जो एक तरह का चैन रिएक्शन है, जांच के दौरान यदि एक्स-वाय क्रोमोसोम रिएक्शन में सामने आते हैं तो भ्रूण बालक लिंग का होना पता चल जाता है। यदि रिएक्शन में एक्स-एक्स क्रोमोसोम देखने को मिलते हैं तो वो लड़की के होने की पुष्टि भी हो जाती है।

सात सप्ताह में पता चलता है कि गर्भ में क्या है : कम से कम 7 सप्ताह की गर्भवती महिला का भ्रूण परीक्षण ब्लड की जांच से हो सकता है।

जिससे ब्लड सैंपल 2 से 3 हजार रुपए शुल्क लेकर इसे ऑनलाइन दिल्ली, मुंबई एवं पूना जैसे महानगरों में स्थित नामचीन पैथोलॉजी सेंटर को भेजा जाता है, जहां की रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो जाता है कि गर्भ में बेटा पल रहा है या बेटी। ऐसे में कानूनी दायरे में रहकर लोग गर्भपात करा सकते हैं।

गर्भपात के नियम

- तीन माह बाद सोनोग्राफी से भ्रूण के लिंग का पता चलना शुरू हो जाता है, जिसके बाद प्रशासन गर्भवती महिलाओं को ट्रैक करने का काम भी शुरू कर देती हैं। लेकिन अब पीसीआर जांच से सात सप्ताह में ही भ्रूण का लिंग पता चल जाएगा। ऐसे में बालिका गर्भपात जल्द ही करा सकेंगे। जिला अस्पताल के एमओ डॉ. मलय जायसवाल ने बताया कि 12 सप्ताह के पहले एक पीजी डॉक्टर बिना किसी की सलाह के गर्भपात करा सकता है। वहीं 12 सप्ताह बाद 2 गाइनीकोलॉजिस्ट की सलाह पर ही गर्भपात किया जाता है।

इनका कहना है..

गंभीर इंफेक्शन,टीबी, एच आईबी जैसे रोगों की जांच के लिए पीसीआर को लिखा जाता है, लेकिन जांच महंगी है। इसलिए ऐसी जांच हम बहुत जरूरी होने पर ही किसी भी मरीज को लिखते हैं।

-डॉ. शुभ्रा सिंह, स्त्री रोग विशेषज्ञ, जिला अस्पताल

हम महिला के गर्भ अवस्था में आते ही मदर एंड चाइल्ड ट्रेकिंग सिस्टम से गर्भवती महिला को ट्रेस करने का काम शुरू कर देते हैं। अब हम योजना में परिवर्तन कर दो माह के बाद ओवर सन कराने वाली महिलाओं की जानकारी भी एकत्रित करेंगे। इस तरह की जांचों का लिंग परीक्षण के लिए किया जाना। मेडिकल पेशे के लिए अच्छा नहीं है।

-डॉ. सुधीर जैसानी, सीएमएचओ, होशंगाबाद

http://www.bhaskar.com/article/MP-BPL-polymerized-chain-reaction-2685596.html

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