जयपुर.पदोन्नति में आरक्षण मामले में सामान्य वर्ग के कर्मचारियों को उनकी पुन: अर्जित वरिष्ठता का लाभ देने के आदेश का पालन नहीं करने पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को गुरुवार तक यह बताने के लिए कहा है कि सरकारी सेवाओं में एससी/एसटी वर्ग के कितने अधिकारी हैं।
मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्रा व न्यायाधीश एन.के.जैन प्रथम की खंडपीठ ने यह अंतरिम आदेश बुधवार को समता आंदोलन समिति व अन्य की अवमानना याचिका पर दिए।
राज्य सरकार के महाधिवक्ता जी.एस.बापना ने बताया कि अदालत ने भटनागर कमेटी के आधार पर सरकारी सेवाओं में 1997 से 2010 तक के बीच में एससी/एसटी वर्ग के प्रतिनिधित्व आंकड़ों को पेश करने के निर्देश दिए हैं। मंगलवार को मामले में सुनवाई करते हुए अदालत में राज्य सरकार ने कहा था कि उन्होंने अदालती आदेश की अवमानना नहीं की है और यदि किसी को आपत्ति है तो वह सितंबर 2011 की नई अधिसूचना को नई याचिका में चुनौती दे।जबकि प्रार्थी पक्ष की दलील थी कि राज्य सरकार अदालती आदेश का पालन नहीं कर रही है और यह अवमानना है।
गौरतलब है कि अवमानना याचिका में 5 फरवरी 2010 के अदालती आदेश का पालन नहीं करने को चुनौती दी है। इस आदेश से हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की 28 दिसंबर 02 एवं 25 अप्रैल 08 की अधिसूचनाओं को संविधान के विपरीत मानते हुए निरस्त कर दिया था।
साथ ही आरक्षित वर्ग को पारिणामिक वरिष्ठता लाभ के आदेश सहित अन्य कार्रवाई निरस्त कर दी थी, लेकिन सरकार ने इस आदेश का पालन नहीं किया और 11 सितंबर 11 की अधिसूचना से दिसंबर 02 व अप्रैल 08 की अधिसूचनाओं को वापस ले लिया और सरकारी सेवाओं में पदोन्नति में आरक्षण के संबंध में सेवा नियमों में संशोधन कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्रा व न्यायाधीश एन.के.जैन प्रथम की खंडपीठ ने यह अंतरिम आदेश बुधवार को समता आंदोलन समिति व अन्य की अवमानना याचिका पर दिए।
राज्य सरकार के महाधिवक्ता जी.एस.बापना ने बताया कि अदालत ने भटनागर कमेटी के आधार पर सरकारी सेवाओं में 1997 से 2010 तक के बीच में एससी/एसटी वर्ग के प्रतिनिधित्व आंकड़ों को पेश करने के निर्देश दिए हैं। मंगलवार को मामले में सुनवाई करते हुए अदालत में राज्य सरकार ने कहा था कि उन्होंने अदालती आदेश की अवमानना नहीं की है और यदि किसी को आपत्ति है तो वह सितंबर 2011 की नई अधिसूचना को नई याचिका में चुनौती दे।जबकि प्रार्थी पक्ष की दलील थी कि राज्य सरकार अदालती आदेश का पालन नहीं कर रही है और यह अवमानना है।
गौरतलब है कि अवमानना याचिका में 5 फरवरी 2010 के अदालती आदेश का पालन नहीं करने को चुनौती दी है। इस आदेश से हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की 28 दिसंबर 02 एवं 25 अप्रैल 08 की अधिसूचनाओं को संविधान के विपरीत मानते हुए निरस्त कर दिया था।
साथ ही आरक्षित वर्ग को पारिणामिक वरिष्ठता लाभ के आदेश सहित अन्य कार्रवाई निरस्त कर दी थी, लेकिन सरकार ने इस आदेश का पालन नहीं किया और 11 सितंबर 11 की अधिसूचना से दिसंबर 02 व अप्रैल 08 की अधिसूचनाओं को वापस ले लिया और सरकारी सेवाओं में पदोन्नति में आरक्षण के संबंध में सेवा नियमों में संशोधन कर दिया।
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