नौ नहीं दस बजे लगेंगे स्कूल+++पात्रता प्रमाण पत्रों की होली जला कर जताऐंगे विरोध


Jan 18, 06:28 pm
अंबाला, वरिष्ठ संवाददाता : जिले में स्थित सभी सरकारी, गैर सरकारी, सहायता प्राप्त, निजी, मान्यता प्राप्त एवं गैर मान्यता प्राप्त स्कूल ठंड व कोहरे की वजह से दस बजे लगेंगे। डीसी शेखर विद्यार्थी की ओर से जारी यह आदेश 31 जनवरी तक लागू रहेगा। जबकि इससे पहले शिक्षा निदेशालय की ओर से स्कूलों को 9 बजे लगाने का फरमान जारी किया गया था। यानी, डीसी के आदेश शिक्षा निदेशालय के आदेशों पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं।
डीसी शेखर विद्यार्थी ने बुधवार को नए सिरे से स्कूलों के समय को लेकर आदेश जारी किए। इनमें कहा गया है कि अधिक सर्दी और कोहरे की स्थिति को देखते हुए जिले के सभी विद्यालयों के समय में परिवर्तन किया है। जिले में स्थित सभी राजकीय, मान्यता प्राप्त और निजी स्कूल प्रात: 10 बजे से 3:30 बजे तक खुलेंगे। यह आदेश 31 जनवरी तक लागू रहेगा। उन्होंने सभी विद्यालयों के प्रिंसीपलों और मुख्य अध्यापकों के साथ-साथ प्राइवेट स्कूल संचालन समितियों के पदाधिकारियों को भी इन आदेशों के सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए। उन्होंने तीनो उपमंडलों के एसडीएम और जिला शिक्षा अधिकारी को इन आदेशों की पालना सुनिश्चित करने के आदेश दिए और कहा कि जो स्कूल आदेशों की अवहेलना करता पाया गया, उसके विरुद्ध सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
इससे पहले बुधवार को अनेक स्कूल सुबह नौ बजे खुले थे। इसकी वजह शिक्षा निदेशालय के आदेश थे। सूत्रों के मुताबिक कई प्राचार्यो ने डीसी के आदेशों को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी से बुधवार को बात की। इसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की ओर से डीसी कार्यालय से लिखित में आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया। पत्र के अनुसार स्कूल किस समय लगाने हैं, नौ बजे या फिर दस बजे, इस बारे अवगत करवाने को कहा गया। शिक्षा विभाग के अधिकारी इस मामले में न तो शिक्षा विभाग के आदेशों की अवहेलना करने की हिम्मत जुटा रहे थे और न ही डीसी को नाराज करना चाहते थे। इसलिए डीसी से आदेश जारी करने की फरियाद की गई।
इसके बाद दोपहर बाद डीसी की ओर से बाकायदा विज्ञप्ति जारी करते हुए स्कूलों का समय दस बजे से शुरू होने के आदेश जारी कर दिए गए। साथ ही आदेशों की पालना की जिम्मेदारी खुद जिला शिक्षा अधिकारी व जिले के तीनों एसडीएम को सौंप दी गई। ऐसे में जिले में मौजूद शिक्षा विभाग के अधिकारी, शिक्षा निदेशालय के कोप का भाजन बनने से बच गए और डीसी को खुश करने में भी कामयाब हो गए।

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पात्रता प्रमाण पत्रों की होली जला कर जताऐंगे विरोध

 प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा विभाग में रिक्त पदों पर कार्यरत अतिथि अध्यापकों को 31 मार्च को पदमुक्त करने की बजाए 30 सितंबर तक कार्यकाल बढ़ाने के फैसले के लिए दोबारा कोर्ट की शरण लेने से पात्र अध्यापक संघ के गुस्से में उबाल ला दिया है। पात्र अध्यापक संघ ने प्रदेश सरकार के खिलाफ अब खुलेआम संघर्ष का रुख अख्तियार कर लिया है। संघ ने प्रदेश सरकार के इस निर्णय को वापस लेने के लिए 5 फरवरी को सभी आयुक्त कार्यालयों पर बड़ी रैलिया कर मार्च के प्रथम सप्ताह में काग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव राहुल गाधी व प्रदेश के मुख्यमंत्री हुड्डा के आवास पर प्रमाणपत्रों की होली जलाने का निर्णय लिया है। जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार ने राजकीय विद्यालयों में भाषा सहित अन्य शिक्षकों के रिक्त पदों पर वर्ष 2005-2006 में मात्र एक सत्र के लिए दिल्ली व राजस्थान की तर्ज पर डिग्रीधारी शिक्षकों की भर्ती की थी लेकिन बाद में वे सरकार पर दबाव बनाते चले गए और सरकार भी उनको पदमुक्त कर उनके स्थान पर नई भर्ती नहीं कर पाई है जिससे तीन बार एक ही विषयों में पात्रता उत्तीर्ण कर चुके पात्रता धारकों में प्रदेश सरकार की लचर प्रणाली से रोष बना हुआ है। संघ ने कोर्ट से तुरत प्रभाव से अतिथि अध्यापकों को हटा कर नियमित भर्ती की माग की तो प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग के वित्तायुक्त ने प्रशासनिक अड़चनों का हवाला देकर जल्द समय में भर्ती करने पर असमर्थता जताई। शिक्षा विभाग ने हाईकोर्ट में बरती गई अनियमितताओं की राजपत्रित अधिकारियों की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर जाच करने व नई भर्ती करने के लिए लिए 31 मार्च 2012 तक का समय मागा। 31 मार्च 2011 को चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली हाईकोर्ट की खंडपीठ ने शिक्षा विभाग के पूरे शेडयूल सहित जारी हल्फनामे पर भरोसा करते हुए उनको 31 मार्च 2012 तक एक वर्ष का समयावधि देने का निर्णय लिया। प्रदेश सरकार ने समयावधि मिलते ही फिर से वहीं लचीलापन अपनाना आरभ कर दिया और पहले तो छह माह तक सारे प्रकरण पर भी चुप्पी साधे रखी और फिर ज्यों ही समय नजदीकी आया तो शिक्षक भर्ती के लिए एक अलग बोर्ड का गठन की कार्रवाई शुरु कर दी। हरियाणा पात्र अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष राजेन्द्र शर्मा ने कहा कि सरकार द्वारा हाईकोर्ट के निर्णय के अनुसार स्थाई भर्ती न करके कोर्ट की अवमानना के साथ-साथ पात्र शिक्षकों के साथ अन्याय किया है।

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