चंडीगढ़. चंडीगढ़ पुलिस में एएसआई भर्ती। तीन कैंडिडेट रेस नहीं पूरी कर पाए और एक की छाती नहीं फूली। इसके बाद भी इन्हें पास कर दिया गया। वर्ष 2007 में 20 एएसआई की भर्ती में हुई इस धांधली का रिकॉर्ड सीबीआई ने पुलिस हेडक्वार्टर से अपने कब्जे में लिया है।
पहले इसी भर्ती में पेपर लीक होने का मसला सामने आया था और अब चंडीगढ़ पुलिस के अफसरों की धांधली भी सामने आने लगी है। पूर्व एसपी दिनेश भट्ट की देखरेख में हुई इस भर्ती में फिजिकल टेस्ट के दौरान 4 फेल कैंडिडेट्स को पास किया गया था। इसके सबूत मिल गए हैं और सीबीआई पहले इन 4 कैंडिडेट्स पर केस दर्ज करेगी, फिर गाज गिरेगी उन अफसरों पर जिन्होंने इन्हें फेल होने के बावजूद पास किया। सूत्रों की मानें तो कुछ पूर्व पुलिस अफसरों पर सीबीआई की नजर है।
सीबीआई सूत्रों के मुताबिक कुछ दिन पहले एक अज्ञात शिकायत पर सीबीआई ने इसकी जांच शुरू की। जांच में धांधली सामने आई, तो आईजी प्रदीप श्रीवास्तव की मंजूरी के बाद सीबीआई ने इस भर्ती का रिकॉर्ड और भर्ती की इंक्वायरी रिपोर्ट पुलिस हेडक्वार्टर में अपने कब्जे में ले ली। सीबीआई के एक डीएसपी खुद यह रिकॉर्ड हासिल करने हेडक्वार्टर पहुंचे थे। अब पूरा रिकॉर्ड सीलबंद है।
फेल जो पास हो गए
जांच में सामने आया कि कैंडिडेट कमल वर्मा, लबजीत कौर, सुरिंदर
को रेस में फेल होने के बावजूद पास किया गया। मुल्तान सिंह की छाती का माप बढ़ाया गया, जबकि उनकी छाती पैमानों के मुताबिक नहीं फूल रही थी। इस भर्ती की वीडियो रिकॉर्डिग हुई थी, जिसमें सच का खुलासा हुआ।
4 दिन में टेस्ट खत्म
वर्ष 2007 में एएसआई भर्ती का फिजिकल टेस्ट मात्र 4 दिनों में पूरा कर दिया गया था। 15 से 18 मई 2007 को हुए फिजिकल टेस्ट में करीब 2000 कैंडिडेट्स ने हिस्सा लिया था। ऐसे में टेस्ट में आमतौर पर एक हफ्ते का समय लगता है, लेकिन यह 4 दिनों में ही निपट गया था।
विवादों की भर्ती
चंडीगढ़ पुलिस में वर्ष 2007, 2009 और 2011 में कुल 20 पदों के लिए एएसआई की भर्ती हुई। इन भर्तियों में पास होने के बावजूद किसी एक को भी एएसआई पद पर जॉइनिंग का मौका नहीं मिल सका है। सभी वेटिंग लिस्ट में ही हैं। 2007 में एएसआई भर्ती में फिजिकल टेस्ट हुआ, जिसमें अब धांधली सामने आई है। इससे पहले ही एएसआई की लिखित परीक्षा का पेपर लीक हो गया था और भर्ती का रिजल्ट रोक लिया गया। 2009 में एएसआई भर्ती हुई, तो 2007 वाले कोर्ट चले गए और 2009 की भर्ती में किसी को जॉइन नहीं कराया गया। इसके बाद पिछले साल 2011 में भर्ती हुई, तो इसमें 2007 में फिजिकल टेस्ट पास करने वाले कैंडिडेट्स को भी शामिल किया गया। लेकिन अभी तक किसी को जॉइन नहीं कराया गया है।
2009 की भर्ती की भी जांच
2009 में एएसआई भर्ती में भी धांधली की शिकायतें पुलिस को मिल रही हैं। आला अफसरों ने एहतियात के लिए विभागीय स्तर पर जांच शुरू करवा दी है। डीएसपी सीआईडी अनिल जोशी इस भर्ती की वीडियो रिकॉर्डिग के आधार पर फिजिकल टेस्ट में पास हुए कैंडिडेट्स की फुटेज जांच रहे हैं। अभी इसकी इंक्वायरी रिपोर्ट पूरी नहीं हुई है।
हमें खुद 2007 में एएसआई भर्ती में धांधली की शिकायत मिली थी, 3-4 कैंडिडेट्स के नाम सामने आए थे। जांच चल ही रही थी कि अब सीबीआई ने कुछ दिन पहले हमसे इस भर्ती का रिकॉर्ड मांगा। पूरी भर्ती का रिकॉर्ड सीबीआई को दे दिया है। अब वही अपने स्तर पर जांच कर रहे हैं। - आलोक कुमार, डीआईजी सिटी
हम एएसआई भर्ती में जांच कर रहे हैं और इसमें तथ्य सामने आने पर कार्रवाई होगी। -महेश कुमार, डीआईजी सीबीआई
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चंडीगढ़. पंजाब में माई भागो विद्या स्कीम के तहत स्कूल के बच्चों को आवंटित डेढ़ लाख साइकिलों की खरीद में नौ करोड़ रुपए के घोटाले का मामला सामने आया है। स्कीम के तहत साइकिलों की खरीद को जनहित याचिका के माध्यम से पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। जस्टिस एमएम कुमार व जस्टिस एके मित्तल की खंडपीठ ने मामले पर पंजाब सरकार के मुख्य सचिव, कंट्रोलर ऑफ स्टोर्स व डीजीपी को 26 मार्च के लिए नोटिस जारी किया है।
अमृतसर निवासी एससी अग्रवाल की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया कि पंजाब सरकार ने माई भागो विद्या स्कीम के तहत 1 लाख 50 हजार साइकिलें बाजार मूल्य से महंगी खरीदी हैं। कुल 41 करोड़ की इस खरीद में 9 करोड़ का घोटाला किया गया है। याचिका में कहा गया है कि सरकार ने पंजाब विधानसभा चुनाव घोषित होने से ठीक पहले तक अपने राजनीतिक लाभ के चलते साइकिलें आवंटित कीं।
पंजाब सरकार ने इस स्कीम के तहत 20 इंच की प्रति साइकिल 2650 रुपए में व 22 इंच की प्रति साइकिल 2750 रुपए दिए। वहीं बीते वर्ष सितंबर माह में हरियाणा सरकार ने भी एक योजना के तहत काफी साइकिलें खरीदी थीं जिसका मूल्य 2138 रुपए प्रति साइकिल था। हरियाणा सरकार ने इस खरीद की पूरी जानकारी पंजाब सरकार को भी दी थी। बावजूद इसके पंजाब सरकार ने हरियाणा सरकार की उपेक्षा प्रति साईकिल 512 रुपए महंगी खरीदी। इससे सीधे-सीधे राज्य सरकार को 9 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। यही नहीं इतने बड़े स्तर पर खरीद के लिए सरकार ने कोई हाई पावर परचेज कमेटी गठित नहीं की।
अधिकारियों ने अपने स्तर पर ही सारी खरीदारी की। याचिका में कहा गया कि सरकार यदि साइकिलों की खरीद में सावधानी रखती तो कम से कम नौ करोड़ रुपए के नुकसान से बचा जा सकता था।
पहले इसी भर्ती में पेपर लीक होने का मसला सामने आया था और अब चंडीगढ़ पुलिस के अफसरों की धांधली भी सामने आने लगी है। पूर्व एसपी दिनेश भट्ट की देखरेख में हुई इस भर्ती में फिजिकल टेस्ट के दौरान 4 फेल कैंडिडेट्स को पास किया गया था। इसके सबूत मिल गए हैं और सीबीआई पहले इन 4 कैंडिडेट्स पर केस दर्ज करेगी, फिर गाज गिरेगी उन अफसरों पर जिन्होंने इन्हें फेल होने के बावजूद पास किया। सूत्रों की मानें तो कुछ पूर्व पुलिस अफसरों पर सीबीआई की नजर है।
सीबीआई सूत्रों के मुताबिक कुछ दिन पहले एक अज्ञात शिकायत पर सीबीआई ने इसकी जांच शुरू की। जांच में धांधली सामने आई, तो आईजी प्रदीप श्रीवास्तव की मंजूरी के बाद सीबीआई ने इस भर्ती का रिकॉर्ड और भर्ती की इंक्वायरी रिपोर्ट पुलिस हेडक्वार्टर में अपने कब्जे में ले ली। सीबीआई के एक डीएसपी खुद यह रिकॉर्ड हासिल करने हेडक्वार्टर पहुंचे थे। अब पूरा रिकॉर्ड सीलबंद है।
फेल जो पास हो गए
जांच में सामने आया कि कैंडिडेट कमल वर्मा, लबजीत कौर, सुरिंदर
को रेस में फेल होने के बावजूद पास किया गया। मुल्तान सिंह की छाती का माप बढ़ाया गया, जबकि उनकी छाती पैमानों के मुताबिक नहीं फूल रही थी। इस भर्ती की वीडियो रिकॉर्डिग हुई थी, जिसमें सच का खुलासा हुआ।
4 दिन में टेस्ट खत्म
वर्ष 2007 में एएसआई भर्ती का फिजिकल टेस्ट मात्र 4 दिनों में पूरा कर दिया गया था। 15 से 18 मई 2007 को हुए फिजिकल टेस्ट में करीब 2000 कैंडिडेट्स ने हिस्सा लिया था। ऐसे में टेस्ट में आमतौर पर एक हफ्ते का समय लगता है, लेकिन यह 4 दिनों में ही निपट गया था।
विवादों की भर्ती
चंडीगढ़ पुलिस में वर्ष 2007, 2009 और 2011 में कुल 20 पदों के लिए एएसआई की भर्ती हुई। इन भर्तियों में पास होने के बावजूद किसी एक को भी एएसआई पद पर जॉइनिंग का मौका नहीं मिल सका है। सभी वेटिंग लिस्ट में ही हैं। 2007 में एएसआई भर्ती में फिजिकल टेस्ट हुआ, जिसमें अब धांधली सामने आई है। इससे पहले ही एएसआई की लिखित परीक्षा का पेपर लीक हो गया था और भर्ती का रिजल्ट रोक लिया गया। 2009 में एएसआई भर्ती हुई, तो 2007 वाले कोर्ट चले गए और 2009 की भर्ती में किसी को जॉइन नहीं कराया गया। इसके बाद पिछले साल 2011 में भर्ती हुई, तो इसमें 2007 में फिजिकल टेस्ट पास करने वाले कैंडिडेट्स को भी शामिल किया गया। लेकिन अभी तक किसी को जॉइन नहीं कराया गया है।
2009 की भर्ती की भी जांच
2009 में एएसआई भर्ती में भी धांधली की शिकायतें पुलिस को मिल रही हैं। आला अफसरों ने एहतियात के लिए विभागीय स्तर पर जांच शुरू करवा दी है। डीएसपी सीआईडी अनिल जोशी इस भर्ती की वीडियो रिकॉर्डिग के आधार पर फिजिकल टेस्ट में पास हुए कैंडिडेट्स की फुटेज जांच रहे हैं। अभी इसकी इंक्वायरी रिपोर्ट पूरी नहीं हुई है।
हमें खुद 2007 में एएसआई भर्ती में धांधली की शिकायत मिली थी, 3-4 कैंडिडेट्स के नाम सामने आए थे। जांच चल ही रही थी कि अब सीबीआई ने कुछ दिन पहले हमसे इस भर्ती का रिकॉर्ड मांगा। पूरी भर्ती का रिकॉर्ड सीबीआई को दे दिया है। अब वही अपने स्तर पर जांच कर रहे हैं। - आलोक कुमार, डीआईजी सिटी
हम एएसआई भर्ती में जांच कर रहे हैं और इसमें तथ्य सामने आने पर कार्रवाई होगी। -महेश कुमार, डीआईजी सीबीआई
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चंडीगढ़. पंजाब में माई भागो विद्या स्कीम के तहत स्कूल के बच्चों को आवंटित डेढ़ लाख साइकिलों की खरीद में नौ करोड़ रुपए के घोटाले का मामला सामने आया है। स्कीम के तहत साइकिलों की खरीद को जनहित याचिका के माध्यम से पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। जस्टिस एमएम कुमार व जस्टिस एके मित्तल की खंडपीठ ने मामले पर पंजाब सरकार के मुख्य सचिव, कंट्रोलर ऑफ स्टोर्स व डीजीपी को 26 मार्च के लिए नोटिस जारी किया है।
अमृतसर निवासी एससी अग्रवाल की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया कि पंजाब सरकार ने माई भागो विद्या स्कीम के तहत 1 लाख 50 हजार साइकिलें बाजार मूल्य से महंगी खरीदी हैं। कुल 41 करोड़ की इस खरीद में 9 करोड़ का घोटाला किया गया है। याचिका में कहा गया है कि सरकार ने पंजाब विधानसभा चुनाव घोषित होने से ठीक पहले तक अपने राजनीतिक लाभ के चलते साइकिलें आवंटित कीं।
पंजाब सरकार ने इस स्कीम के तहत 20 इंच की प्रति साइकिल 2650 रुपए में व 22 इंच की प्रति साइकिल 2750 रुपए दिए। वहीं बीते वर्ष सितंबर माह में हरियाणा सरकार ने भी एक योजना के तहत काफी साइकिलें खरीदी थीं जिसका मूल्य 2138 रुपए प्रति साइकिल था। हरियाणा सरकार ने इस खरीद की पूरी जानकारी पंजाब सरकार को भी दी थी। बावजूद इसके पंजाब सरकार ने हरियाणा सरकार की उपेक्षा प्रति साईकिल 512 रुपए महंगी खरीदी। इससे सीधे-सीधे राज्य सरकार को 9 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। यही नहीं इतने बड़े स्तर पर खरीद के लिए सरकार ने कोई हाई पावर परचेज कमेटी गठित नहीं की।
अधिकारियों ने अपने स्तर पर ही सारी खरीदारी की। याचिका में कहा गया कि सरकार यदि साइकिलों की खरीद में सावधानी रखती तो कम से कम नौ करोड़ रुपए के नुकसान से बचा जा सकता था।
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