संजय योगी, हिसार अमूमन हर यूनिवर्सिटी का अपना एक सिस्टम होता है जिसके तहत हर कार्य को पूरा किया जाता है। इस मामले में गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय एक अपवाद है जहां एक कार्य के लिए चार-चार सिस्टम लागू है। एक साथ चार सिस्टमों के एक साथ चलने से न केवल शिक्षक वर्ग परेशानी महसूस कर रहा है वहीं कर्मचारी वर्ग भी असमंजस की स्थिति में है। जानकारी के अनुसार गुजवि में विद्यार्थियों की परीक्षाएं आयोजित करने के लिए वर्ष 2006 में तत्कालीन कुलपति डॉ. आरपी वाजपेयी ने साठ-चालीस प्रणाली लागू की थी जिसके तहत साठ प्रतिशत परीक्षा एक्सटर्नल व चालीस प्रतिशत इंटरनल होनी थी। इससे पहले की विद्यार्थी इस प्रणाली से बाहर निकल पाते विवि में आए नए कुलपति डॉ. डीडीएस संधू ने पचास-पचास प्रणाली लागू कर दी। यह प्रणाली लागू होने के बाद विद्यार्थी इंजीनियर या वैज्ञानिक बन पाते विवि के वर्तमान कुलपति डॉ. एमएल रंगा ने इस सत्र से सत्तर-तीस प्रणाली लागू कर दी है। इस प्रणाली के तहत 70 प्रतिशत परीक्षा एक्सटर्नल व तीस प्रतिशत इंटरनल होगी। चार प्रकार के प्रश्न पत्र सूत्रों की मानें तो फिलहाल विवि को परीक्षाओं का आयोजन करवाने के लिए चार प्रकार के प्रश्न पत्र बनाने पड़ते हैं। वर्ष 2005 बैच के कई ऐसे विद्यार्थी है जो अभी भी री-अपीयर की परीक्षाएं दे रहे हैं। इनके लिए साठ-चालीस, 2008 बैच के बीटेक व अन्य कोर्सो में री-अपीयर करने वाले के लिए फिफ्टी-फिफ्टी, क्रेडिट बेस सिस्टम सहित चार प्रकार प्रश्न पत्र तैयार करने पड़ते हैं। इससे विवि को आर्थिक नुकसान भी हो रहा है।
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