बिहार में आत्महत्या में अनुकंपा पर नौकरी+++गरीब बच्चों को दाखिले के लिए जिला कमेटियां+++बीइओ ने सर्कस मसले पर प्रबंधन से जवाब मांगा

पटना: बिहार सरकार ने आत्महत्या करने वाले अपने सरकारी कर्मचारी के आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने का फैसला किया है। बताया जा रहे है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस संबंध में नीतिगत फैसला ले लिया है। जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद इस बारे में आदेश बी जारी कर दिया जाएगा। भारतीय दंड संहिता में आत्महत्या को अपराध घोषित किया गया है। कोशिश करने के बाद किसी वजह से जीवनलीला खत्म करने में विफल होने पर बाकायदा सजा भुगतने का भी प्रावधान है। माना जा रहा है कि नीतीश सरकार ने आत्महत्या करने वाले सरकारी सेवक के आश्रित को अनुकंपा का लाभ देने का फैसला पटना उच्च न्यायालय के एक आदेश के अनुपालन में लिया है। उच्च न्यायालय ने इस संबंध में सरकार को समेकित नीति बनाने का आदेश दिया था ताकि एकरूपता रहे। राज्य सरकार उसी आलोक में यह आदेश जारी करने जा रही है।
गरीब बच्चों को दाखिले के लिए जिला कमेटियां
चंडीगढ़: प्रदेश में निजी व मान्यता प्राप्त स्कूलों में गरीब परिवारों के बच्चों के लिए 25 प्रतिशत सीटों पर दाखिले सुनिश्चित करने के लिए पूरे प्रदेश में जिलास्तरीय कमेटियां गठित की गई हैं। उपायुक्त इस कमेटी के चेयरमैन व जिला शिक्षा अधिकारी सदस्य सचिव होंगे। शिक्षा विभाग की वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव सुरीना राजन ने विभागीय अधिकारियों को परिपत्र जारी कर इस संबंध में निर्देश दिया है। पुलिस अधीक्षक, अतिरिक्त जिला उपायुक्त और जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारी इन कमेटियों के सदस्य होंगे। ये कमेटियां निजी व मान्यता प्राप्त स्कूलों में बीपीएल परिवारों के बच्चों को 25 फीसद सीटों पर दाखिला दिलाना सुनिश्चित करेंगी। वित्तायुक्त ने परिपत्र में वरिष्ठ अधिवक्ता सत्यवीर सिंह हुड्डा द्वारा हाईकोर्ट में दायर याचिका का भी जिक्र किया है, जिसमें उन्होंने हरियाणा स्कूल शिक्षा नियम 2003 के तहत धारा 134-ए के प्रावधान लागू नहीं हो पाने की बात कही है। शिक्षा के अधिकार कानून में धारा 134-ए के तहत व्यवस्था की गई है कि निजी स्कूलों में यह गरीब बच्चे पहली से आठवीं तक सरकारी स्कूल की फीस पर पढ़ेंगे। सरकारी स्कूलों में अब इस श्रेणी के बच्चों से कोई फीस नहीं ली जाती।
बीइओ ने सर्कस मसले पर प्रबंधन से जवाब मांगा
बरवाला, संवाद सहयोगी : सरकारी स्कूल दौलतपुर के लगभग 500 बच्चों को स्कूल स्टाफ द्वारा जुगाड़ नामक वाहन पर बरवाला में सर्कस दिखाने ले जाने के मामले में खंड शिक्षा अधिकारी उकलाना ने कड़ा संज्ञान लेते हुए स्कूल स्टाफ को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। खंड शिक्षा अधिकारी अर्चना सहगल ने कहा कि शिक्षकों द्वारा बच्चों को इस तरह ले लाना बहुत बड़ी लापरवाही है। जिस पर उन्होंने शिक्षकों से जवाब मांगा गया है, यदि शिक्षकों द्वारा संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। दौलतपुर स्कूल के स्टाफ के इस कारनामें को दैनिक जागरण ने पहले सर्कस की फिर देखी शीर्षक से प्रकाशित कर लापरवाही को उजागर किया गया था। खंड शिक्षा अधिकारी ने स्कूल स्टाफ को लापरवाही बरते पर फटकार लगाई। यहां यह उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को आधा दर्जन जुगाड़ वाहनों पर दोलतपुर स्कूल के 500 बच्चों की जान जोखिम में डालकर उन्हें बरवाला में सर्कस दिखाने लाया गया। बिना रजिस्ट्रेशन के चलने वाले एक-एक जुगाड़ वाहन पर 70 से 80 बच्चे सवार थे। इन्हें पुलिस स्टेशन के सामने के मैदान में सर्कस दिखाने लाया गया और किसी ने भी इन्हें टोकने की जहमत नहीं उठाई।
 

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