तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती जिला परिषद से कराने को लेकर मचे बवाल के बीच 1995 में निकाली गई 400 शिक्षकों की भर्ती में धांधली होने की बात सामने आने लगी है। जिला परिषद ने ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग की ओर से तय मानकों को दरकिनार कर खुद के नियम बना दिए। विभाग ने स्कूल कॉलेज एक्टिविटी के स्तर अनुसार बोनस अंक, 1, 3 व 5 तय किए थे लेकिन जिला परिषद ने अंकों का विभाजन 1, 2, 3, 4, 5 व 8 कर दिया।
यानी मर्जी से यह बोनस अंक देकर कइयों को नियुक्ति दे दी गई। अंक विभाजन में विभाग ने भी
चूक की थी। एनसीसी के जिस सबसे बड़े सी सर्टिफिकेट के ज्यादा अंक होते हैं उसके 3 व सबसे छोटे नेशनल लेवल के कैंप में शामिल होने के सर्टिफिकेट के 5 अंक निर्धारित किए। इस वजह से सी सर्टिफिकेट वाले नौकरी से भी वंचित रह गए। यह खुलासा सूचना अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में हुआ है।
भूदोली निवासी भंवर सिंह पुत्र रूड़ सिंह तंवर के पास एनसीसी का सी सर्टिफिकेट था। उसे केवल तीन अंक दिए गए। यह तीन अंक जोड़ने से उसकी मैरिट 82.742 बनी। उसे पांच अंक मिलते तो उसकी मैरिट 84.742 होती।
ऐसे में उससे कम मैरिट पर चयनित होने वाले 10 कर्मचारियों से ऊपर प्राथमिकता मिलती। उसने जब 17 अक्टूबर, 2011 को भ्रष्टाचार की शिकायत के क्रम में सुगम पर शिकायत पंजीकृत कराई तो उच्चाधिकारियों से मिले निर्देशानुसार जिला परिषद एसीईओ ने 13 दिसंबर को उसे चिट्ठी भेजकर सी सर्टिफिकेट की मूल कॉपी की सत्यता जांच के लिए बुलाया। 28 दिसंबर को उसने मूल कॉपी पेश कर दी। अभी मामले की जांच चल रही है।
फिर सता रही चिंता
अब जिला परिषदों के माध्यम से एक बार फिर शिक्षक भर्ती के लिए परीक्षा कराए जाने से अभ्यर्थियों को इसी प्रकार की गड़बड़ी की आशंका है। लिखित परीक्षा पहली बार होने से जिला परिषदों के सामने 11 लाख 70 हजार अभ्यर्थियों की बैठक व्यवस्था कराना मुश्किल होगा। दूसरे जिलों में परीक्षा देने जाने वाले अभ्यर्थियों के साथ वहां के युवा मारपीट तक कर सकते हैं। पहले भी ऐसा ही हुआ था। साथ ही कहीं 80 फीसदी अंक लाने वाला रह जाएगा तो कहीं 60 फीसदी वाले को नियुक्ति मिल सकती है।
'मामला काफी पुराना है। देखने के बाद ही कुछ कह सकता हूं। भंवरलाल की फाइल निकलवा रहे हैं। उसे किस आधार पर वंचित किया गया। नियम भी देखे जाएंगे।'
एलआर गुगरवाल http://www.bhaskar.com/article/RAJ-OTH-third-class-teacher-the-bungling-in-the-recruitment-of-1995-began-to-fall-3210400.html
सीईओ, जिला परिषद सीकर
यानी मर्जी से यह बोनस अंक देकर कइयों को नियुक्ति दे दी गई। अंक विभाजन में विभाग ने भी
चूक की थी। एनसीसी के जिस सबसे बड़े सी सर्टिफिकेट के ज्यादा अंक होते हैं उसके 3 व सबसे छोटे नेशनल लेवल के कैंप में शामिल होने के सर्टिफिकेट के 5 अंक निर्धारित किए। इस वजह से सी सर्टिफिकेट वाले नौकरी से भी वंचित रह गए। यह खुलासा सूचना अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में हुआ है।
भूदोली निवासी भंवर सिंह पुत्र रूड़ सिंह तंवर के पास एनसीसी का सी सर्टिफिकेट था। उसे केवल तीन अंक दिए गए। यह तीन अंक जोड़ने से उसकी मैरिट 82.742 बनी। उसे पांच अंक मिलते तो उसकी मैरिट 84.742 होती।
ऐसे में उससे कम मैरिट पर चयनित होने वाले 10 कर्मचारियों से ऊपर प्राथमिकता मिलती। उसने जब 17 अक्टूबर, 2011 को भ्रष्टाचार की शिकायत के क्रम में सुगम पर शिकायत पंजीकृत कराई तो उच्चाधिकारियों से मिले निर्देशानुसार जिला परिषद एसीईओ ने 13 दिसंबर को उसे चिट्ठी भेजकर सी सर्टिफिकेट की मूल कॉपी की सत्यता जांच के लिए बुलाया। 28 दिसंबर को उसने मूल कॉपी पेश कर दी। अभी मामले की जांच चल रही है।
फिर सता रही चिंता
अब जिला परिषदों के माध्यम से एक बार फिर शिक्षक भर्ती के लिए परीक्षा कराए जाने से अभ्यर्थियों को इसी प्रकार की गड़बड़ी की आशंका है। लिखित परीक्षा पहली बार होने से जिला परिषदों के सामने 11 लाख 70 हजार अभ्यर्थियों की बैठक व्यवस्था कराना मुश्किल होगा। दूसरे जिलों में परीक्षा देने जाने वाले अभ्यर्थियों के साथ वहां के युवा मारपीट तक कर सकते हैं। पहले भी ऐसा ही हुआ था। साथ ही कहीं 80 फीसदी अंक लाने वाला रह जाएगा तो कहीं 60 फीसदी वाले को नियुक्ति मिल सकती है।
'मामला काफी पुराना है। देखने के बाद ही कुछ कह सकता हूं। भंवरलाल की फाइल निकलवा रहे हैं। उसे किस आधार पर वंचित किया गया। नियम भी देखे जाएंगे।'
एलआर गुगरवाल http://www.bhaskar.com/article/RAJ-OTH-third-class-teacher-the-bungling-in-the-recruitment-of-1995-began-to-fall-3210400.html
सीईओ, जिला परिषद सीकर
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