प्रदेश पर कर्ज का बोझ पिछले छह वर्ष के दौरान 23319 रुपये से बढ़कर 53132 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। आगामी वित्त वर्ष के दौरान यह आंकड़ा 60 हजार करोड़ तक पहुंचने की संभावना है। भारी भरकम कर्ज के बावजूद प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद 230 फीसद की बढ़ोतरी के साथ 93623 करोड़ से 309326 करोड़ पर पहुंच गया है। प्रदेश सरकार के वित्त विभाग ने एक आंकड़ा तैयार किया है। इसमें दावा किया गया है कि अप्रैल 2005 के समय प्रदेश सरकार पर 23319 करोड़ रुपये का कर्ज था। इतना कर्ज होने के बावजूद प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद पर इसका विपरीत प्रभाव नहीं पड़ा। प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद में 230 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई है। यह 93623 करोड़ रुपये से बढ़कर 3093
26 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। सकल घरेलू उत्पाद में रिकॉर्ड वृद्धि का असर प्रदेश के हर क्षेत्र पर पड़ा है। यही कारण है कि 2005 में जहां प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय 37681 रुपये वार्षिक थी, जो 190 प्रतिशत बढ़कर 109227 रुपये तक पहुंच गई है। प्रदेश की राजस्व वसूली में भी 200 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई है। इसे प्रदेश सरकार की बेहतर आर्थिक दशा बताते हुए पूर्व वित्त मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रोफेसर संपत सिंह कहते हैं कि कर्ज बढ़ना बड़ी बात नहीं है। कर्ज लेकर कैसे आगे बढ़ा जा सकता है इसका प्रमाण प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद में बढ़ोतरी है।http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=8&edition=2012-05-07&pageno=3
26 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। सकल घरेलू उत्पाद में रिकॉर्ड वृद्धि का असर प्रदेश के हर क्षेत्र पर पड़ा है। यही कारण है कि 2005 में जहां प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय 37681 रुपये वार्षिक थी, जो 190 प्रतिशत बढ़कर 109227 रुपये तक पहुंच गई है। प्रदेश की राजस्व वसूली में भी 200 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई है। इसे प्रदेश सरकार की बेहतर आर्थिक दशा बताते हुए पूर्व वित्त मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रोफेसर संपत सिंह कहते हैं कि कर्ज बढ़ना बड़ी बात नहीं है। कर्ज लेकर कैसे आगे बढ़ा जा सकता है इसका प्रमाण प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद में बढ़ोतरी है।http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=8&edition=2012-05-07&pageno=3
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