जींद। गांव अमरेहड़ी स्थित राजकीय प्राथमिक पाठशाला में सोमवार दोपहर बाद स्कूल स्टाफ ने किताबें, उत्तर पुस्तिकायें और मिड-डे मील के बर्तन कबाड़ी के हवाले कर दिए। इससे नाराज ग्रामीणों ने जमकर बवाल काटा। ग्रामीणों के तेवर देखकर स्कूल स्टाफ वहां से खिसकता बना। बाद में स्कूल मैनेजमेंट कमेटी ने मामले में हस्तक्षेप कर बेचे गए सामान को कबाड़ी से वापस लेकर स्कूल में रखवाया।
सोमवार को स्कूल स्टाफ ने सरकार द्वारा बच्चों के लिए भेजी गई पाठ्य सामग्री को कबाड़ी के हवाले कर दिया। इससे नाराज होकर ग्रामीणों ने हंगामा खड़ा कर दिया। कबाड़ी ने ग्रामीणों को बताया कि उसने यह सामान एक हजार 50 रुपये में खरीदा है। ग्रामीणों ने जब बोरी में भरी गई रद्दी को खुलवाया तो उसमें सरकार द्वारा भेजी गई पाठ्य पुस्तकें मिली। इनके अगले और पिछले पेज फाड़े गए थे। इसके अलावा थ्री व्हीलर में बड़ा पतीला, टब और दो बाल्टियां मिली।
इस पर ग्रामीण बिफर गए और स्कूल स्टाफ के साथ तीखी नोक झोंक हुई। ग्रामीणों के तेवर देखकर अध्यापक वहां से खिसक गए। बाद में गांव के सरपंच रघबीर सिंह पहुंचे और उन्होंने बेचे गए सामान की राशि अध्यापकों से वापस कबाड़ी को दिलाकर सामान को स्कूल में रखवाकर मामले को शांत किया।
गांव के सरपंच रघबीर सिंह ने बताया कि उन्हें स्कूल स्टाफ द्वारा पाठ्य सामग्री और कुछ अन्य सामान बेचने की शिकायत मिली थी। स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के साथ पहुंचकर बेचे गए सामान को वापस स्कूल में रखवा दिया।
मुख्य अध्यापिका का तर्क ः
स्कूल की मुख्य अध्यापिका विरमा देवी ने बताया कि स्कूल में कुछ रद्दी पड़ी थी। इसमें टूटा फू टा पतीला, कार्टून, कुछ पुरानी किताबें थी। उनके बेचने पर स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के सदस्यों ने एतराज जताया था। बेचे गए सामान को वापस ले लिया गया है।
जिला शिक्षा अधिकारी साधुराम रोहिला ने बताया कि वे कार्यवंश चंडीगढ़ गए हैं। स्कूल सामान को रद्दी में बेचने से संबंधित उन्हें कोई शिकायत नहीं मिली है।
अगर कोई ऐसा मामला उनके सामने आता है तो जांच कर दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
•अमरेहड़ी की राजकीय प्राथमिक पाठशाला का मामला
सरकार द्वारा भेजी पाठ्य सामग्री को 1050 में बेचा
ग्रामीणों ने काटा बवाल, एसएमसी के हस्तक्षेप से हुए शांत
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