देश की प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा में लगातार दूसरे साल महिला उम्मीदवारों ने पहले दो स्थान पर कब्जा जमाकर फिर अपनी धाक जमाई है। बदले पैटर्न पर हुई इस बार की परीक्षा के नतीजों में देश की विविधता का अनोखा संगम देखने को मिला। शीर्ष 25 स्थान हासिल करने वाली अभ्यर्थी 16 राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं। संघ लोक सेवा आयोग द्वारा शुक्रवार को घोषित नतीजों के मुताबिक एम्स से एमबीबीएस शीना अग्रवाल ने आइएएस परीक्षा टॉप की है। यह उनका तीसरा प्रयास था। हरियाणा के यमुनानगर की शीना ने 12वीं पास करते ही कहा था, आइएएस बनूंगी। वर्ष 2009 में शीना संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा में शामिल हुई।
उसका आइआरएस (इंडियन रेवेन्यू सर्विस) के लिए चयन हुआ। गत पांच माह से शीना नागपुर में आइआरएस अधिकारी के रूप में प्रशिक्षण भी प्राप्त कर रही है, लेकिन उसे और बुलंदियों को छूना था। मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज से सामाजिक उद्यम में स्नातकोत्तर रुक्मिणी रियाड़ ने पहले ही प्रयास में दूसरी रैंक हासिल की। आइआइटी दिल्ली से एमटेक प्रिंस धवन तीसरे स्थान पर रहे। वह भी पहली कोशिश में कामयाब रहे। टॉप 25 में ज्यादातर उम्मीदवार एम्स, आइआइएम और आइआइटी के पूर्व छात्र हैं। एक ने लंदन स्कूल आफ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई की है और 12 ऐसे हैं जो पहले ही सिविल सेवा के लिए चुने जा चुके थे, लेकिन आइएएस पाने के लिए उन्होंने इस बार फिर परीक्षा दी थी। सबसे अहम बात यह रही कि नतीजे अखिल भारतीय तस्वीर पेश करते हैं। आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, झारखंड, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तराखंड के स्थायी निवासी उम्मीदवारों ने टॉप 25 में जगह बनाई है। इनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि में भी पर्याप्त विविधता झलकती है। शीर्ष 25 के भावी सिविल सेवक शिक्षक, उद्यमी, निम्न मध्यम वर्ग, सैनिक, डॉक्टर, वकील और सिविल सेवकों के परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के अनुसार कुल 1001 रिक्तियों के मुकाबले 910 उम्मीदवारों का अंतिम रूप से चयन किया गया। दरअसल, आरक्षित श्रेणी के 91 अभ्यर्थियों ने सामान्य कोटे में जगह बनाई है। सफल उम्मीदवारों में 715 पुरुष और 195 महिलाएं हैं। इनका चयन आइएएस, आइएफएस, आइपीएस समेत विभिन्न केंद्रीय सेवाओं में नियुक्ति के लिए किया गया है।
उसका आइआरएस (इंडियन रेवेन्यू सर्विस) के लिए चयन हुआ। गत पांच माह से शीना नागपुर में आइआरएस अधिकारी के रूप में प्रशिक्षण भी प्राप्त कर रही है, लेकिन उसे और बुलंदियों को छूना था। मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज से सामाजिक उद्यम में स्नातकोत्तर रुक्मिणी रियाड़ ने पहले ही प्रयास में दूसरी रैंक हासिल की। आइआइटी दिल्ली से एमटेक प्रिंस धवन तीसरे स्थान पर रहे। वह भी पहली कोशिश में कामयाब रहे। टॉप 25 में ज्यादातर उम्मीदवार एम्स, आइआइएम और आइआइटी के पूर्व छात्र हैं। एक ने लंदन स्कूल आफ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई की है और 12 ऐसे हैं जो पहले ही सिविल सेवा के लिए चुने जा चुके थे, लेकिन आइएएस पाने के लिए उन्होंने इस बार फिर परीक्षा दी थी। सबसे अहम बात यह रही कि नतीजे अखिल भारतीय तस्वीर पेश करते हैं। आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, झारखंड, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तराखंड के स्थायी निवासी उम्मीदवारों ने टॉप 25 में जगह बनाई है। इनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि में भी पर्याप्त विविधता झलकती है। शीर्ष 25 के भावी सिविल सेवक शिक्षक, उद्यमी, निम्न मध्यम वर्ग, सैनिक, डॉक्टर, वकील और सिविल सेवकों के परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के अनुसार कुल 1001 रिक्तियों के मुकाबले 910 उम्मीदवारों का अंतिम रूप से चयन किया गया। दरअसल, आरक्षित श्रेणी के 91 अभ्यर्थियों ने सामान्य कोटे में जगह बनाई है। सफल उम्मीदवारों में 715 पुरुष और 195 महिलाएं हैं। इनका चयन आइएएस, आइएफएस, आइपीएस समेत विभिन्न केंद्रीय सेवाओं में नियुक्ति के लिए किया गया है।
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