केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा परीक्षा परिणाम जारी किए जाने के दौरान किसी भी राज्य की मेरिट लिस्ट तैयार नहीं की जाती। बोर्ड की इस खामी के कारण स्कूल संचालकों व विभिन्न परीक्षाओं में अव्वल स्थान हासिल करने वाले विद्यार्थियों के बीच गफलत की स्थिति बनी रहती है। मेरिट लिस्ट तैयार नहीं करने के पीछे बोर्ड अधिकारियों के पास कोई खास वजह भी नहीं है। सीबीएसई के पंचकूला मुख्यालय द्वारा जारी किए गए 12वीं कक्षा के परीक्षा परिणाम के दौरान भी मेरिट लिस्ट घोषित नहीं की गई। पंचकूला जोन में पांच राज्य हरियाणा, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और चंडीगढ़ शामिल हैं। सीबीएसई ने राज्य तो दूर की बात जोन स्तर पर भी कोई मेरिट लिस्ट तैयार नहीं की है। इसलिए विभिन्न राज्यों में स्कूल संचालकों, विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों ने खुद को टॉपर बताने से कोई परहेज नहीं किया। विभिन्न राज्यों में पहले जिला स्तर पर टापर्स ढूंढने और फिर उनमें से राज्य स्तर पर टॉपर्स की सूची को फाइनल करने का काम सिर्फ अंदाजे और दावों पर आधारित रहा है। जिस स्कूल ने अपने विद्यार्थी के अधिकतम अंक होने का दावा कर दिया, उसकी तुलना में दूसरा स्कूल या विद्यार्थी सामने नहीं आने की स्थिति में पहले वाले के दावे को पुख्ता मान लिया गया है। यह स्थिति पंचकूला जोन के सभी पांच राज्यों की रही है। टॉपर्स की लिस्ट नहीं बनाने के पीछे कोई ठोस दलील भी नहीं दी जा रही। सीबीएसई के पंचकूला मुख्यालय के निदेशक आरजे खांडेराव का कहना है कि टॉपर्स की लिस्ट बनाने का प्रस्ताव कार्ययोजना में शामिल नहीं है। इसकी वजह तो उन्होंने नहीं बताई लेकिन साथ ही कहा कि यह काम स्कूल संचालकों का है कि वे अपने स्कूल का टॉपर रिजल्ट देखकर निकाल लें। उन्होंने कहा कि टॉपर्स की लिस्ट न तो जोन स्तर पर और न ही राज्य स्तर पर तैयार होती है।http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=8&edition=2012-05-30&pageno=5#id=111741700574061208_8_2012-05-30
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