स्थायी नौकरियों में अनुबंध वालों को वरीयता+++अंबेडकर के कार्टून पर सिब्बल ने मांगी माफी

नई स्थायी भर्ती के बावजूद बिजली निगमों में डीसी रेट व अनुबंध आधार पर लगे किसी भी सहायक लाइनमैन को नौकरी से नहीं हटाया जाएगा। भविष्य में होने वाली स्थायी नियुक्तियों में अनुबंध आधार पर लगे कर्मचारियों को वरीयता प्रदान की जाएगी। मंत्री ने यह भी कहा कि बिजली निगमों में अनुबंध पर कार्य कर रहे कर्मचारियों को उसी पद पर नियुक्त नियमित कर्मचारी के कुल वेतनमान का 50 प्रतिशत वेतन दिया जाएगा। हर साल तीन प्रतिशत बढ़ोतरी होगी तथा पात्र पार्ट टाइम कर्मचारियों को नियमित करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। कैप्टन अजय सिंह यादव ने यह भरोसा शुक्रवार को हरियाणा राज्य बिजली बोर्ड वर्कर यूनियन,
भिवानी और आल हरियाणा पावर कॉरपोरेशन वर्कर यूनियन, हिसार के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में दिया है। बैठक में उत्पादन बोनस नीति में संशोधन कर इसे शीघ्र जारी कर उत्पादन निगम के कर्मचारियों को बोनस देने पर सहमति बनी है। आल हरियाणा पावर कॉरपोरेशन वर्कर यूनियन के प्रधान देवेंद्र सिंह हुड्डा और महासचिव सुभाष लांबा ने बताया कि आउटसोर्सिग, निजीकरण व फ्रेंचाइजी देने की नीतियों से राज्य सरकार जहां हटने को तैयार नहीं है, वहीं यूनियन भी इन नीतियों को लागू नहीं देने पर अडिग है। बैठक में छह महीने के भीतर वर्कलोड के अनुसार वितरण निगमों में पदों के पुनर्गठन का काम पूरा करने, इसमें एक महीने के अंदर सब स्टेशन तथा अगले एक माह के भीतर तकनीकी पदों का पुनर्गठन करने का फैसला लिया गया है। बैठक में सहमति बनी कि थर्मल व हाइडिल की भर्ती तथा तरक्की नीति में संशोधन होगा।
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राष्ट्रीय शैक्षिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान परिषद (एनसीईआरटी) की किताब में बाबा साहेब अंबेडकर पर आपत्तिजनक कार्टून को लेकर शुक्रवार को संसद में सरकार बुरी तरह फंस गई। दोनों सदनों में विपक्ष ने सरकार को आड़े हाथों लिया। मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल के इस्तीफे की मांग भी उठी। उत्तेजित सदस्यों के हंगामे और शोरशराबे के कारण पूर्वान्ह में सदन की कार्यवाही सुचारु रूप से नहीं चल सकी। बाद में सरकार को दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के आश्वासन के साथ इसके लिए माफी भी मांगनी पड़ी। कक्षा-11 में पढ़ाई जाने वाली राजनीति शास्त्र की किताब में अंबेडकर के आपत्तिजनक कार्टून का मुद्दा सबसे पहले लोकसभा में उठा। कार्यवाही शुरू होते ही तमिलनाडु की वीसीके पार्टी के थिरुवा बलवन थोल ने यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, एक तरफ हम संसद के 60 साल पूरे होने का जश्न मनाने जा रहे हैं और दूसरी तरफ संविधान निर्माता बाबा साहेब पर कार्टून बनाकर उनका अपमान किया जा रहा है। उन्होंने आपत्तिजनक कार्टून की प्रति भी सदन में दिखाई। उनके समर्थन में उतरे भाजपा, सपा, बसपा और अन्य दलों के सदस्यों ने भी शोरशराबा शुरू कर दिया। वे मानव संसाधन विकास मंत्री का इस्तीफा मांगने लगे। राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान सिब्बल एक जवाब देने खड़े ही हुए थे कि बसपा के बृजेश पाठक ने सदन में कार्टून की प्रति दिखाते हुए इस मुद्दे को उठा दिया। भाजपा, जद-यू, राजद और वामदल भी उनके समर्थन में सरकार से सफाई मांगने लगे। संसद भवन परिसर में लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान ने कहा, दोषियों का निलंबन ही नहीं उन पर एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा भी होना चाहिए। कांग्रेस सांसद पीएल पुनिया ने कहा कि वह इस मामले को सिब्बल के सामने पहले ही उठा चुके थे, लेकिन उन्हें बहुत निराशा हुई कि सिब्बल ने इसे तवज्जो नहीं दी

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