न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की पीठ ने उम्मीदवार पूनम रानी की शिकायत से सहमति जताई कि आयोग ने दुर्भावनावश अक्टूबर 2008 में आयोजित परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं नष्ट कर दीं ताकि चयन प्रक्रिया की न्यायिक जांच से बचा जा सके। उत्तर पुस्तिकाओं को नष्ट किया जाना शीर्ष अदालत के पूर्व के फैसले और आयोग द्वारा पारित प्रस्ताव के विपरीत है।
पीठ ने अधिकारियों की उस दलील को खारिज कर दिया कि उत्तर पुस्तिकाएं कुछ भ्रमवश और अनजाने में नष्ट कर दी गईं। न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी ने अपने फैसले में कहा, 'उत्तर पुस्तिकाओं को तीन महीने के लिए सुरक्षित नहीं रखने के संबंध में सचिव द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण पूरी तरह से अस्वीकार्य है क्योंकि न तो आयोग और न ही उसकी तरफ से पेश हुए वकील ने दलील दी कि संबद्ध अधिकारियों को एक अक्टूबर 1994 के प्रस्ताव की जानकारी नहीं थी।' पीठ ने कहा, 'इसलिए आयोग के अधिकारियों की रिकॉर्ड को नष्ट करने की कार्रवाई को पूरी तरह मनमानीपूर्ण और अनुचित कहा जा सकता है।
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पीठ ने कहा, 'इस कवायद का एकमात्र उद्देश्य इस बात को सुनिश्चित करना लगता है कि चयन के नतीजे को चुनौती दिए जाने की स्थिति में अदालत चयन प्रक्रिया निष्पक्ष थी या नहीं या उम्मीदवारों के साथ भेदभाव किया गया इस बात का पता लगाने के उद्देश्य से रिकॉर्ड की जांच करने में सक्षम नहीं हो सके।'
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