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नई दिल्ली। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को प्रमोशन में आरक्षण नहीं देने के सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले को पलटने का केंद्र सरकार पर सियासी दबाव बन गया है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने राज्यसभा में इस फैसले पर सवाल उठाते हुए इसे बदलने के लिए संविधान संशोधन की आवाज बुलंद की। उधर, लोकसभा में भी कांग्रेस के पीएल पुनिया ने भी इस मांग का समर्थन किया। मामले की सियासी संवेदनशीलता को देखते हुए सरकार ने भी संकेत दे दिया है कि वह इस मसले का अध्ययन कर मांग पर
गंभीरता से विचार करेगी। राज्यसभा में मायावती ने यह मुद्दा उठाते हुए केंद्र सरकार से दो टूक मांग की कि वह इस संबंध में संसद के मौजूदा सत्र में संशोधन विधेयक लेकर आए ताकि अदालत की व्यवस्था को निष्प्रभावी बनाया जा सके। बसपा प्रमुख ने यहां तक कहा कि वह इस मुद्दे पर सरकार का पूरा साथ देंगी। राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले मायावती की इस पेशकश के बड़े मायने लगाए जा रहे हैं। अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए सभी दलों के समर्थन की बाट जोह रही सरकार के लिए इस मांग को फिलहाल अनसुना करना आसान नहीं है। लिहाजा, सरकार ने इस मामले पर गंभीरता से विचार करने का भरोसा दिया है। मायावती ने कहा कि अगर यह व्यवस्था नहीं बदली गई तो अनुसूचित जाति और जनजाति के कर्मचारियों को उनके मूल पदों पर वापस आना पड़ेगा। केंद्र सरकार इसके लिए मौजूदा सत्र में संविधान संशोधन विधेयक लेकर आए। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि संविधान संशोधन संविधान की नौवीं अनुसूची के तहत किया जाना चाहिए। उन्होंने विपक्षी दलों से भी इस मामले में सहयोग की अपील की। उच्च सदन में जवाब के दौरान संसदीय कार्यमंत्री पवन बंसल ने इस मामले में बहस करवाने पर सहमति जताई। लोकसभा में कांग्रेस सांसद पीएल पुनिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से देशभर में भ्रांतियां फैल गई हैं। कई राज्य इसकी व्याख्या कर रहे है कि पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था खत्म हो गई है। इसलिए केंद्र सरकार को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी. नारायणसामी ने कहा कि सरकार इस मामले में पहले ही दो दफा संशोधन ला चुकी है। अब फिर से यह मामला सामने आया है तो इस मसले पर सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्रालय से कानून मंत्रालय ने विचार-विमर्श किया है। जल्द इस बारे में निर्णय किया जाएगा कि क्या कदम उठाया जाएं। —————— (बॉक्स)प्रश्नकाल किया गया स्थगित राज्यसभा कार्यवाही की शुरूआत ही बसपा सुप्रीमो मायावती की ओर से इस मामले को उठाए जाने के साथ हुई। इसके लिए बाकायदा प्रश्नकाल स्थगित कर मामले की गंभीरता दर्शाई गई। राज्यसभा में प्रश्नकाल के बीच में ही मायावती को अपनी बात रखने की अनुमति बिना किसी हंगामे के मिल गई। ——————————- एससी-एसटी वर्ग को प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर केंद्र सरकार संसद के मौजूदा सत्र में संशोधन विधेयक लेकर आए ताकि अदालत की व्यवस्था को निष्प्रभावी बनाया जा सके। -मायावती, बसपा सांसद ——— सुप्रीम कोर्ट के फैसले से देशभर में भ्रांतियां फैल गई हैं। कई राज्य इसकी व्याख्या कर रहे है कि पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था खत्म हो गई है। केंद्र सरकार को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। पीएल पुनिया, कांग्रेस सांसद •सांसदों ने कहा, संविधान संशोधन के जरिये सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटें •राज्यसभा में मायावती तो लोकसभा में कांग्रेस के पुनिया ने उठाई मांग •केंद्र ने विचार के बाद इस बारे में जल्द फैसला लेने के दिए संकेत

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