अब 11वीं में भी बोर्ड++रोडवेज के 321 सब-इंस्पेक्टर पदोन्नत++कॉलेजों में फीस होगी समान++विश्वविद्यालयों को नोटिस++अब स्कूली बच्चों की सेहत सुधारने को चलेगा अभियान+

 भिवानी हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड जल्द ही परीक्षा प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन करने की तैयारी कर रहा है। इसके तहत 11वीं कक्षा के छात्रों को बोर्ड की परीक्षा देने के लिए तैयार रहना होगा, वहीं दसवीं कक्षा से सेमेस्टर प्रणाली के बजाय वार्षिक परीक्षा पैटर्न अपनाकर छात्रों को राहत देने की तैयारी शुरू हो गई है। सीनियर सेकेंडरी के दो वर्षीय कोर्स में सेमेस्टर सिस्टम छमाही के बजाय सालाना करने पर विचार हो रहा है। शिक्षा बोर्ड दसवीं और बारहवीं कक्षा की परीक्षा ही संचालित करता है। दोनों कक्षाओं में सेमेस्टर सिस्टम लागू है। सूत्र बताते हैं कि दसवीं कक्षा में सेमेस्टर सिस्टम लागू होने से छात्रों को कोई विशेष फायदा नहीं हो रहा है। हालात यह है कि परीक्षा परिणाम को सुधारने के लिए बोर्ड प्रशासन को मोडरेशन व सीसीई का सहारा लेना पड़ता है। इस स्थिति में दसवीं कक्षा से सेमेस्टर प्रणाली को समाप्त करने पर विचार शुरू हो गया है। साथ ही शिक्षा बोर्ड प्रशासन ने यह भी गंभीरता से मंथन किया है कि वास्तव में तो सीनियर सेकेंडरी दो साल की है। प्लस वन में लागू किया गया पाठ्यक्रम प्लस टू का मुख्य आधार है। प्लस वन की परीक्षा स्कूल स्तर पर आयोजित की जाती है। इस कारण शिक्षक व छात्र दोनों ही प्लस वन की परीक्षा को हल्के में ले लेते हैं। ऐसे में प्लस टू की परीक्षा के दौरान छात्रों को अचानक शिक्षा बोर्ड की दो परीक्षाओं का सामना करना पड़ता है। इसी वजह से शिक्षा बोर्ड प्रशासन ने सेमेस्टर सिस्टम में बड़े बदलाव का विचार किया है।
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रोडवेज के 321 सब-इंस्पेक्टर पदोन्नत
 सिरसा : परिवहन विभाग ने 321 सब इंस्पेक्टर को इंस्पेक्टर के पद पर पदोन्नति देने का फैसला किया है। इसके लिए विभाग ने कर्मचारियों की लिस्ट जारी कर दी है, जिसमें सिरसा के अकेले 20 कर्मी शामिल हैं। 2009 में परिचालक से सब इंस्पेक्टर के पद पर पदोन्नत हुए कर्मचारियों को यह तोहफा दिया गया है। इसके अंतर्गत 2009
में पदोन्नत हुए 323 कर्मचारियों में से 321 को वरिष्ठता सूची के आधार पर तत्काल प्रोमोशन देने का फैसला लिया गया है। शुक्रवार को जारी किए गए आदेश के अनुसार सबसे ज्यादा हिसार डिपो के 34 व जींद के 32 कर्मी शामिल हैं। इसके अलावा सोनीपत के 13, फतेहाबाद के 9, कुरुक्षेत्र के 16, भिवानी के 21, चरखी दादरी के 12, करनाल के सात, चंडीगढ़ के 19, फरीदाबाद के 25, आइएसबीटी दिल्ली के नौ, कैथल के दस, रेवाड़ी के 16, अंबाला के 19, पानीपत के सात, झज्जर के आठ, यमुनानगर के 17, नारनौल के दो, रोहतक के 11, करनाल के आठ व गुड़गांव के छह इंसपेक्टर शामिल हैं। मुख्यालय की ओर से जारी पत्र के आधार पर डिपो महाप्रबंधक को कर्मचारियों के रिकार्ड की जांच करने को कहा गया है।
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कॉलेजों में फीस होगी समान
 प्रदेश के तकनीकी शिक्षा विभाग ने निजी तकनीकी शिक्षण संस्थानों में दाखिला और फीस निर्धारण के लिए कानून बनाने का फैसला लिया है। इसे हरियाणा निजी तकनीकी शिक्षण संस्थान (दाखिला एवं फीस निर्धारण विनियमन) अधिनियम 2012 का नाम दिया जाएगा। यह फैसला मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया। इस अधिनियम के लागू होने के बाद कोई भी तकनीकी संस्थान अधिक फीस नहीं वसूल सकेगा। बैठक में तय हुआ कि हरियाणा सरकार तकनीकी पाठ्यक्रम उपलब्ध करा रहे सभी विश्वविद्यालयों, अभियांत्रिकी महाविद्यालयों, बहुतकनीकी संस्थानों और अन्य तकनीकी शिक्षा संस्थानों (सरकारी और निजी) में दाखिला एवं फीस के लिए एक कमेटी गठित करेगी। राज्य दाखिला एवं फीस कमेटी के चेयरमैन की नियुक्ति के लिए ऐसे व्यक्ति का चयन किया जाएगा, जिसे लोक प्रशासन में अधिक कार्य करने का अनुभव प्राप्त है। किसी विश्वविद्यालय के पूर्व-कुलपति या उच्च न्यायालय या सर्वाेच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नाम पर भी विचार किया जा सकता है। बैठक में बताया गया कि अध्यक्ष औश्र सदस्यों के लिए अधिकतम आयु सीमा 70 वर्ष होगी और तथा उनका कार्यकाल तीन वर्ष का होगा। कमेटी के पास सिफारिशों के उल्लंघन के मामले में कम से कम पांच लाख से 10 लाख रुपये तक जुर्माना लगाने की शक्ति होगी।
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विश्वविद्यालयों को नोटिस
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा सरकार, सीडीएलयू सिरसा, कुरुक्षेत्र विवि, महर्षि दयानंद विवि, एनसीटीई, एसोसिएशन ऑफ एजूकेशन कॉलेज (सेल्फ फाइनेंस ) हरियाणा को 22 अगस्त के लिए नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका में नियमों के खिलाफ चल रहे सभी सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों की मान्यता रद किए जाने की मांग की गई है। याचिका के अनुसार हरियाणा में 2004 से पहले गिनती के बीएड कॉलेज थे, लेकिन 2004 के बाद राज्य में बीएड कॉलेजों की बाढ़ आ गई। इन सभी को सरकार ने इसी आधार पर खोलने की इजाजत दी थी कि ये कॉलेज अच्छी शिक्षा के साथ भविष्य के लिए अच्छे टीचर तैयार करेंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि सभी कॉलेज अस्थायी मान्यता के भरोसे चल रहे हैं। अभी तक राज्य में चल रहे 456 कॉलेजों में से केवल दो ही कॉलेजों ने स्थायी मान्यता के लिए आवेदन किया है।
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अब स्कूली बच्चों की सेहत सुधारने को चलेगा अभियान
 राज्य सरकार ने इंदिरा बाल स्वास्थ्य योजना के तहत आंगनबाड़ी और सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में 18 वर्ष तक की आयु वर्ग के बच्चों को निश्शुल्क उपचार उपलब्ध कराने के लिए दो करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है। इसके अलावा स्कूली बच्चों में खून की कमी दूर करने को साप्ताहिक फॉलिक एसिड पूरक कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग की वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव नवराज संधू ने शुक्रवार को पंचकूला में स्वास्थ्य, शिक्षा तथा महिला एवं बाल विकास विभागों के अधिकारियों की बैठक में यह जानकारी दी। बैठक में तय हुआ कि इंदिरा बाल स्वास्थ्य योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा तथा महिला एवं बाल विकास विभागों के बीच बेहतर तालमेल किया जाएगा। नवराज संधू ने बताया कि स्कूली बच्चों में खून की कमी की समस्या दूर करने के लिए वर्ष 2012-13 के दौरान साप्ताहिक आयरन फॉलिक एसिड पूरक कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत बच्चों की जांच के लिए स्कूलों से नोडल शिक्षकों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। कद, भार मापन और बीएमआइ की गणना स्कूल स्वास्थ्य कार्ड का हिस्सा होगी। सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के सभी बच्चों को इस कार्यक्रम के तहत कवर किया जाएगा। बच्चों को उपचार के लिए अस्पतालों में भेजने और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराकर उनका पूर्ण उपचार कराने पर बैठक में सहमति बनी। इंदिरा बाल स्वास्थ्य योजना 26 जनवरी 2010 को शुरू की गई थी।

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