गरीब की परिभाषा फिर से तय करेगी सरकार, अब 23 अप्रैल को सुनवाई



25 प्रतिशत बच्चों को दाखिला देने के मुद्दे पर हाईकोर्ट में चर्चा 
गरीब बच्चों को चीफ जस्टिस देंगे न्याय 
भास्कर न्यूज त्न चंडीगढ़
दस जमा दो मुद्दे आंदोलन संगठन के अध्यक्ष एडवोकेट सतबीर सिंह हुड्डा ने निजी स्कूलों के खिलाफ जंग तेज कर दी है। मंगलवार को उनकी याचिका चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के पास भेज दी गई। वे आरटीई के अलावा हरियाणा स्कूल रूल्स 134ए के तहत आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को मुफ्त शिक्षा पर अड़े हुए हैं। हुड्डा ने बताया कि मंगलवार को सरकार को हाईकोर्ट में आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की परिभाषा तय करनी थी। उस याचिका को मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया गया। सरकार ने यह कहा है कि वे इस बारे में जल्द अधिसूचना जारी करेंगे। हुड्डा ने यह भी कहा कि दाखिले 1 अप्रैल से होंगे, ऐसे में 23 अप्रैल लंबी तारीख हो जाएगी। इस पर हाईकोर्ट से आवेदन देने को कहा है। यह मुद्दा पूरी तरह गरमाता जा रहा है। साढ़े नौ हजार स्कूल असमंजस में हैं। अगर दाखिले नहीं दिए तो मामला बिगड़ सकता है। हरियाणा में आईटीई के तहत 25 प्रतिशत एवं हरियाणा स्कूल एजुकेशन रूल्स 2003 के मुताबिक 25 प्रतिशत अलग से गरीब बच्चे निजी स्कूलों को नि:शुल्क पढ़ाने हैं। यानी पहली से आठवीं तक कोई फीस नहीं, जबकि 9वीं से 12वीं तक सरकारी स्कूल के बराबर फीस पर पढ़ाई करानी है। 9वीं से 12वीं तक 20 से 30 रुपए प्रतिमाह फीस है।

...तब तक करते रहेंगे संघर्ष

हुड्डा ने कहा है कि गरीब बच्चों को न्याय नहीं मिलने तक संघर्षरत रहेेंगे। एडवोकेट कुलदीप सिंह कहते हैं कि मामला पहले से चीफ जस्टिस के पास भी विचाराधीन है। ऐसे में नए सत्र से पहले इन बच्चों को न्याय जरूर मिलेगा। गौरतलब है कि सतबीर हुड्डा का यह मामला हरियाणा विधानसभा में भी भाजपा विधायक दल के नेता अनिल विज ने उठाया था। वे इस पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाना चाहते थे, लेकिन स्पीकर ने स्वीकार नहीं किया। अब हाईकोर्ट से हुड्डा को बड़ी उम्मीद है। 

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