पत्राचार बीटीसी वाले भी बन सकेंगे शिक्षक


July 17, 2012 यूपी में पिछले सात साल से आधी अधूरी ट्रेनिंग कर शिक्षक बनने के लिए संघर्ष कर रहे पत्राचार बीटीसी करने वाले भी शिक्षक बनाए जाएंगे। इसके लिए वर्ष 1996 से पूर्व जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) से ट्रेनिंग करने वाले ही पात्र माने जाएंगे। जिन्होंने ट्रेनिंग पूरी नहीं की है, उन्हें डायटों पर ट्रेनिंग दी जाएगी। यूपी में ऐसे 4170 अभ्यर्थी हैं। शासन में हुई उच्चाधिकारियों की बैठक में इस पर लगभग सहमति बन गई है। प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा सुनील कुमार के अवकाश से लौटने के बाद इस संबंध में शासनादेश जारी किए जाने की तैयारी है। यूपी के बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में शिक्षक रखने की योग्यता बीटीसी है। शिक्षकों की कमी को देखते हुए नवंबर 1994 में पत्राचार बीटीसी
शुरू की गई। इसके आधार पर स्नातक उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को ट्रेनिंग देने की प्रक्रिया शुरू की गई। डायटों के साथ निजी कॉलेजों में भी पत्राचार बीटीसी शुरू कर दिए जाने की वजह से वर्ष 1996 में पत्राचार बीटीसी पर रोक लगा दी गई। रोक के बाद ट्रेनिंग प्रक्रिया रोक दी गई। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ट्रेनिंग पूरी करने वालों को प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक बनाया जाता रहा, लेकिन सात साल पहले पत्राचार करने वालों को पूरी तरह से नौकरी देने पर रोक लगा दी गई। इसके कारण वर्ष 1996 से पूर्व पत्राचार कोर्स में एडमिशन लेने वालों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वहां से राज्य सरकार को इस पर विचार करने का निर्देश दिया गया, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह मामला तब से विचाराधीन था। सूत्रों का कहना है कि पिछले दिनों पत्राचार बीटीसी करने वालों का एक प्रतिनिधिमंडल बेसिक शिक्षा मंत्री से मिला था। मंत्री ने इस पर सहमति जताई है कि वर्ष 1996 से पूर्व डायटों में ट्रेनिंग पूरी करने वालों को शिक्षक बना दिया जाए और जिनकी अधूरी ट्रेनिंग वालों की ट्रेनिंग पूरी कराई जाए। यूपी में पिछले सात साल से आधी अधूरी ट्रेनिंग कर शिक्षक बनने के लिए संघर्ष कर रहे पत्राचार बीटीसी करने वाले भी शिक्षक बनाए जाएंगे। इसके लिए वर्ष 1996 से पूर्व जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) से ट्रेनिंग करने वाले ही पात्र माने जाएंगे। जिन्होंने ट्रेनिंग पूरी नहीं की है, उन्हें डायटों पर ट्रेनिंग दी जाएगी। यूपी में ऐसे 4170 अभ्यर्थी हैं। शासन में हुई उच्चाधिकारियों की बैठक में इस पर लगभग सहमति बन गई है। प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा सुनील कुमार के अवकाश से लौटने के बाद इस संबंध में शासनादेश जारी किए जाने की तैयारी है।यूपी के बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में शिक्षक रखने की योग्यता बीटीसी है। शिक्षकों की कमी को देखते हुए नवंबर 1994 में पत्राचार बीटीसी शुरू की गई। इसके आधार पर स्नातक उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को ट्रेनिंग देने की प्रक्रिया शुरू की गई। डायटों के साथ निजी कॉलेजों में भी पत्राचार बीटीसी शुरू कर दिए जाने की वजह से वर्ष 1996 में पत्राचार बीटीसी पर रोक लगा दी गई। रोक के बाद ट्रेनिंग प्रक्रिया रोक दी गई।हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ट्रेनिंग पूरी करने वालों को प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक बनाया जाता रहा, लेकिन सात साल पहले पत्राचार करने वालों को पूरी तरह से नौकरी देने पर रोक लगा दी गई। इसके कारण वर्ष 1996 से पूर्व पत्राचार कोर्स में एडमिशन लेने वालों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वहां से राज्य सरकार को इस पर विचार करने का निर्देश दिया गया, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह मामला तब से विचाराधीन था। सूत्रों का कहना है कि पिछले दिनों पत्राचार बीटीसी करने वालों का एक प्रतिनिधिमंडल बेसिक शिक्षा मंत्री से मिला था। मंत्री ने इस पर सहमति जताई है कि वर्ष 1996 से पूर्व डायटों में ट्रेनिंग पूरी करने वालों को शिक्षक बना दिया जाए और जिनकी अधूरी ट्रेनिंग वालों की ट्रेनिंग पूरी कराई जाए

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