पदोन्नति के लिए सर्वोच्च न्यायालय में लड़ाई लड़ रहे अध्यापक संघ का पक्ष और मजबूत हो गया है। अध्यापकों की जिस मांग पर राज्य सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, उसी तरह के एक मामले में आबकारी कराधान विभाग के एक लिपिक को पदोन्नति दे दी गई है। इसका खुलासा सूचना के अधिकार के तहत दी गई जानकारी से हुआ है। यह सूचना अध्यापक संघ ने मांगी थी। अध्यापक संघ 9 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान इस पदोन्नति को आधार बनाएगा। इस पदोन्नति के आधार पर प्रदेश में एक लाख से भी ज्यादा कर्मचारियों को फायदा होने की उम्मीद है। वर्ष 1994-96 के दौरान राज्य सरकार ने शिक्षा विभाग में नियुक्ति के नियमों के तहत करीब 2500 अध्यापकों की नियुक्ति की थी। बिना ब्रेक के लगातार सेवा करने के उपरांत 1 अक्टूबर 2003 को इनकी सेवाएं नियमित की गई। वर्ष 2006 में शिक्षा विभाग द्वारा 1 जनवरी 2006 के अनुसार
मास्टर वर्ग की वरिष्ठता सूची जारी की थी जिसपर हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ ने आपत्ति जताते हुए शिक्षा विभाग के निदेशकों से मांग की थी कि अध्यापकों की वरिष्ठता तदर्थ आधार पर दी जाए और उसके अनुसार अन्य लाभ भी दिए जाएं, लेकिन उनकी बात नहीं मानी गई। अध्यापक संघ की याचिका पर 18 दिसंबर 2008 को हाई कोर्ट की खंडपीठ ने तदर्थ सेवाकाल को जोड़कर लाभ देने का आदेश दिया।
मास्टर वर्ग की वरिष्ठता सूची जारी की थी जिसपर हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ ने आपत्ति जताते हुए शिक्षा विभाग के निदेशकों से मांग की थी कि अध्यापकों की वरिष्ठता तदर्थ आधार पर दी जाए और उसके अनुसार अन्य लाभ भी दिए जाएं, लेकिन उनकी बात नहीं मानी गई। अध्यापक संघ की याचिका पर 18 दिसंबर 2008 को हाई कोर्ट की खंडपीठ ने तदर्थ सेवाकाल को जोड़कर लाभ देने का आदेश दिया।
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