इनकम टैक्स की धारा 80सी के तहत टैक्स सेविंग स्कीम में निवेश करके करयोग्य आय में एक लाख रुपए तक की छूट ली जा सकती है। इनमें पीपीएफ, इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस), लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम, ट्यूशन फीस वगैरह शामिल हैं। इसके अलावा, धारा 80 सीसीएफ के तहत लॉन्ग टर्म इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड में 20,000 रुपए के निवेश पर टैक्स छूट का फायदा लिया जा सकता है। अगर अधिकतम 1.2 लाख रुपए की कर छूट का फायदा उठाने की आपकी कोशिश पूरी नहीं हो पाई है तो आप यह काम 31 मार्च तक
पूरा कर सकते हैं।
रिम्बर्समेंट
वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए यह वक्त एंप्लॉयर को मेडिकल, ट्रैवल जैसे बिल के प्रमाण सौंपने का है, ताकि इन भत्तों को करयोग्य आय में शामिल होने से बचाया जा सके। इसी तरह, किराए के मकान में रहने वाले वेतनभोगियों को इनकम टैक्स की धारा 10(5) के तहत टैक्स छूट मिलती है। इसके लिए आपको किराए से जुड़े जरूरी दस्तावेज एंप्लॉयर को सौंपने होंगे।
बाकी खर्च
पूरा कर सकते हैं।
रिम्बर्समेंट
वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए यह वक्त एंप्लॉयर को मेडिकल, ट्रैवल जैसे बिल के प्रमाण सौंपने का है, ताकि इन भत्तों को करयोग्य आय में शामिल होने से बचाया जा सके। इसी तरह, किराए के मकान में रहने वाले वेतनभोगियों को इनकम टैक्स की धारा 10(5) के तहत टैक्स छूट मिलती है। इसके लिए आपको किराए से जुड़े जरूरी दस्तावेज एंप्लॉयर को सौंपने होंगे।
बाकी खर्च
अगर आप खुद के लिए, जीवनसाथी, बच्चे या आप पर निर्भर माता-पिता के लिए हेल्थ पॉलिसी खरीदते हैं, तो उसकी रसीद एंप्लॉयर के पास जमा कर टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हैं। इनकम टैक्स की धारा 80 (डी) के तहत इस मद में 15,000 रुपए तक की करयोग्य आय पर टैक्स छूट ली जा सकती है। सीनियर सिटीजन के लिए यह सीमा 20,000 रुपए है।
होम लोन
अगर आपने होम लिया है, तो सबसे पहले बैंक से मूलधन और ब्याज भुगतान से जुड़े दस्तावेज इकट्ठा कर उसे एंप्लॉयर को जमा करा सकते हैं। अगर मकान में खुद रह रहे हैं, तो 1,50,000 रुपए तक के ब्याज पेमेंट पर टैक्स छूट मिल सकती है। अगर आपने प्रॉपर्टी किराए पर दे रखी है तो कारोबारी साल के दौरान लोन पर चुकाई गई ब्याज की राशि करयोग्य होगी।
पिछले एंप्लॉयर से आय
अगर आपने इस कारोबारी साल में जॉब बदली है, तो आपको पिछले एंप्लॉयर से फॉर्म 16 या सैलरी स्टेटमेंट और उसके द्वारा जमा की गई टैक्स राशि से जुड़े दस्तावेज मौजूदा एंप्लॉयर को सौंपने पड़ेंगे।
इनकम पर काटा गया टैक्स
अगर आपको किराए या ब्याज से भी इनकम हो रही है, तो आपके लिए टीडीएस से जुड़ी रकम की समीक्षा जरूरी है। टीडीएस से जुड़ी जानकारी आयकर विभाग की वेबसाइट पर फॉर्म 26एएस के जरिए प्राप्त की जा सकती है। अगर टीडीएस के बाद भी आप पर टैक्स की देनदारी बनती है तो इसका भुगतान अडवांस टैक्स के रूप में कर सकते हैं।
कैपिटल गेन्स टैक्स
अगर आपको चालू कारोबारी साल में किसी तरह के कैपिटल एसेट मसलन रिहायशी प्रॉपर्टी या शेयरों की बिक्री से मुनाफा हुआ है तो आप संबंधित नियमों के तहत टैक्स की गणना कर उसका भुगतान अडवांस टैक्स के रूप में कर सकते हैं।
होम लोन
अगर आपने होम लिया है, तो सबसे पहले बैंक से मूलधन और ब्याज भुगतान से जुड़े दस्तावेज इकट्ठा कर उसे एंप्लॉयर को जमा करा सकते हैं। अगर मकान में खुद रह रहे हैं, तो 1,50,000 रुपए तक के ब्याज पेमेंट पर टैक्स छूट मिल सकती है। अगर आपने प्रॉपर्टी किराए पर दे रखी है तो कारोबारी साल के दौरान लोन पर चुकाई गई ब्याज की राशि करयोग्य होगी।
पिछले एंप्लॉयर से आय
अगर आपने इस कारोबारी साल में जॉब बदली है, तो आपको पिछले एंप्लॉयर से फॉर्म 16 या सैलरी स्टेटमेंट और उसके द्वारा जमा की गई टैक्स राशि से जुड़े दस्तावेज मौजूदा एंप्लॉयर को सौंपने पड़ेंगे।
इनकम पर काटा गया टैक्स
अगर आपको किराए या ब्याज से भी इनकम हो रही है, तो आपके लिए टीडीएस से जुड़ी रकम की समीक्षा जरूरी है। टीडीएस से जुड़ी जानकारी आयकर विभाग की वेबसाइट पर फॉर्म 26एएस के जरिए प्राप्त की जा सकती है। अगर टीडीएस के बाद भी आप पर टैक्स की देनदारी बनती है तो इसका भुगतान अडवांस टैक्स के रूप में कर सकते हैं।
कैपिटल गेन्स टैक्स
अगर आपको चालू कारोबारी साल में किसी तरह के कैपिटल एसेट मसलन रिहायशी प्रॉपर्टी या शेयरों की बिक्री से मुनाफा हुआ है तो आप संबंधित नियमों के तहत टैक्स की गणना कर उसका भुगतान अडवांस टैक्स के रूप में कर सकते हैं।
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