अध्यापक पात्रता परीक्षा (टेट) कराने के बाद उत्तर कुंजी को लेकर विवादों से घिरे राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने इस बार अभ्यर्थियों को टेट की उत्तरपुस्तिकाएं मुहैया कराने का निर्णय लिया है। बोर्ड द्वारा ओएमआर की एक प्रति परीक्षार्थी को उसी समय दी जाएगी। परीक्षा में ओएमआर की दो कॉपियां होंगी, जिनमें से एक कॉर्बन कॉपी को अभ्यर्थी ले जा सकेंगे।
36 सेकंड का होगा एक सवाल:
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से होने वाली अध्यापक पात्रता परीक्षा में अभ्यर्थी को एक सवाल हल करने के लिए महज 36 सेकेंड मिलेंगे। परीक्षा के तहत दोनों स्तरों में 150 अंकों के 150 सवाल पूछे जाएंगे। गत वर्ष हुई परीक्षा में भी प्रश्नों की संख्या ज्यादा और हल करने के लिए समय कम मिलने के कारण कई अभ्यर्थियों
के सवाल छूट गए थे।सुधार सकते हैं पिछला रिजल्ट :
शिक्षक भर्ती परीक्षा में सफल होने का आधार टेट के अंकों पर होने से इस साल फार्म भरने वालों में अधिकतर ऐसे अभ्यर्थी हैं जो पिछला रिजल्ट सुधारने की कोशिश में हैं। बोर्ड के अनुसार अभ्यर्थी दुबारा परीक्षा दे सकते हैं। यदि परीक्षा के दौरान वे अच्छे अंक प्राप्त करते हैं तो इस अंकतालिका अथवा नंबर सही नहीं आने की स्थिति में पुरानी अंकतालिका के माध्यम से शिक्षक भर्ती परीक्षा में शामिल हो सकते हैं।
एपियर को देना होता है सर्टिफिकेट
आरटेट में शामिल होने के लिए अभ्यर्थी को ऑन लाइन आवेदन करने के बाद निर्धारित शुल्क का चालान बैंक में जमा करना होता है। इसके साथ ही आवेदन पत्र के साथ शैक्षणिक योग्यता, मूल निवास, जाति प्रमाण-पत्रों की प्रतिलिपियां संलग्न कर संग्रहण केंद्र पर जमा कराने होते हैं।
'बोर्ड की ओर से अभी तक संग्रहण केंद्र तय नहीं किए गए हैं।साथ ही बीएसटीसी व शिक्षा शास्त्री में प्रवेश के लिए काउंसलिंग जारी है, ऐसे में अभ्यर्थी एंपायरिंग सर्टिफिकेट के लिए परेशान हैं। इस बार टेट के लिए गर्ल्स कॉलेज के व्याख्याता डॉ.हुकमाराम सुथार को जिला कॉर्डिनेटर बनाया गया है। इसको लेकर जल्द ही जयपुर में बैठक आयोजित होगी। जिसमें सारे दिशा-निर्देश मिल जाएंगे।'
गोरधन लाल पंजाबी, जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) बाड़मेर
\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\अजमेर.राज्य में जाति प्रमाण-पत्र, मूल निवास व जन्म-मृत्यु प्रमाण-पत्रों समेत कई अन्य महत्वपूर्ण प्रमाण-पत्र बनवाने की जटिल प्रक्रिया व प्रदेश भर में एकरूपता नहीं होने से लोगों को होने वाली परेशानी को खत्म करने के लिए एक समान व्यवस्था लागू करने की कवायद की जा रही है।
इसके तहत ये प्रमाण-पत्र जारी करने की प्रक्रिया व इनके उपयोग व्यवस्था को सरल बनाया जा रहा है। इसके लिए सरकार ने राजस्व मंडल द्वारा दिए गए सुझावों को सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर लिया है। जिन्हें जल्दी ही एकसाथ प्रदेश भर में लागू कर दिया जाएगा।
राजस्व मंडल प्रशासन को कुछ समय पूर्व ही इस बाबत प्रस्ताव तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। राजस्व मंडल की पूर्व अध्यक्ष मीनाक्षी हूजा और मंडल के दो सदस्यों की कमेटी ने कई दिन की मशक्कत के बाद प्रमाण-पत्रों की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए प्रस्ताव तैयार किए थे।
हाल ही में मुख्य सचिव सीके मैथ्यू की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में इन प्रस्तावों पर चर्चा हो चुकी है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आगामी दिनों में होने वाली बैठक के बाद प्रदेशभर में इन प्रमाण-पत्रों को जारी करने के लिए एक समान नियम व प्रारूप जारी कर दिए जाएंगे।
मूल निवास प्रमाण पत्र :
प्रदेश भर में आवेदन-पत्रों तथा अनुलग्नक दस्तावेजों की सूची में एकरूपता नहीं है। इसके लिए यह अनुशंसा की गई है कि प्रमाण पत्र जारी करने के लिए अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट/उप जिला मजिस्ट्रेट तथा तहसीलदार का कार्य क्षेत्र विभाजित कर दिया जाए। प्रमाण पत्र में जाति का उल्लेख किया जाकर उसका दोहरे रूप में उपयोग किया जा सकता है।
अन्य पिछड़ा वर्ग/विशेष अन्य पिछड़ा वर्ग प्रमाण पत्र :
प्रमाण पत्र में अंकित क्रीमीलेयर में शामिल होने का तथ्यात्मक अंकन केवल छह माह के लिए मान्य होता है। यह अनुशंसा की गई है कि क्रीमीलेयर में नहीं होने संबंधी प्रमाण पत्र एक वर्ष के लिए तथा ओबीसी संबंधित प्रार्थना पत्र सदैव के लिए मान्य हो।
आय प्रमाण पत्र :
आय प्रमाण पत्र जारी करने में प्रक्रिया व प्रमाण पत्र प्रारूप में एकरूपता नहीं है। अनुशंसा की गई है कि एक निर्धारित प्रारूप में आवेदन स्वीकार करने चाहिए। आय के प्रमाण स्वरूप वांछित सूचना प्राप्ति के लिए एक नोडल विभाग निर्धारित करना होगा।
एससी-एसटी प्रमाण पत्र :
कुछ विभागों द्वारा प्रदत्त प्रारूप में भिन्नता के कारण प्रत्याशी को बार-बार प्रमाण पत्र प्राप्त करना पड़ता है। अनुशंसा की है कि नायब तहसीलदार को भी जारी करने हेतु अधिकृत किया जावे। पूरे राज्य में आवेदन पत्र का प्रारूप निर्धारित किया जावे।
जन्म-मृत्यु पंजीकरण पत्र :
यह अनुशंसा की गई है कि नगर निगम जयपुर द्वारा जो प्रपत्र छपवाया गया है इसे संपूर्ण राज्य में एकरूपता के लिए जारी किया जाना चाहिए।
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