एक बार फिर से हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने सीबीएसई की राह पकड़ते हुए परीक्षा केंद्र अलाटमेंट व निजी स्कूलों को संबद्धता ऑनलाइन करने की तैयारी शुरू कर दी है। सूत्र बताते हैं कि शिक्षा बोर्ड के अधिकारियों ने आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल अधिक से अधिक करने व पारदर्शिता लाने के लिए सीबीएसई की कार्यशैली का विश्लेषण शुरू कर दिया है। सीबीएसई में निजी स्कूलों को संबंद्धता ऑनलाइन देने का प्रावधान है। लेकिन बोर्ड यह कार्य अभी तक मैनुअली कर रहा है। बुधवार को शिक्षा बोर्ड के सचिव डी के बेहरा की अध्यक्षता में बैठक की गई। इस बैठक में अधिकारियों ने सुझाव दिया कि शिक्षा बोर्ड भी सीबीएसई की तर्ज पर परीक्षा केंद्र अलाटमेंट व संबद्धता आन लाइन कर सकता है। यदि ये दोनों फैसले सिरे चढ़ते हैं तो स्कूल संचालकों को राहत मिलेगी
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अच्छे अंक लेने हैं तो कठिन सवालों के देने होंगे जवाब
दसवीं व बारहवीं कक्षा
के विद्यार्थियों की गुणवत्ता और बौद्धिक क्षमता को परखने के लिए जल्द ही केंद्रीय माध्यमिक विद्यालय शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) नए सत्र से नया कदम उठाने जा रहा है। सीबीएसई की ओपन बुक परीक्षा योजना के तहत बोर्ड की परीक्षा में अच्छे अंक लेने के लिए विद्यार्थियों को कठिन सवालों के जवाब देने होंगे। इस योजना के तहत पाठयक्रम में अंतरराष्ट्रीय स्तर का बदलाव किया जाएगा। ऐसे में विद्यार्थियों के लिए बोर्ड की परीक्षा पास करना काफी कठिन होगा। वहीं, अच्छे अंक लेने के लिए प्रत्येक विषय के अभ्यास का गहनता से अध्ययन करना होगा। जॉन वेस्ले स्कूल की प्राचार्या ममता ने बताया कि विद्यार्थियों में विषय के प्रति विश्लेषणात्मक रूचि को परखने के लिए ही सत्र 2013 से 2014 में सीबीएसई ओपन बुक परीक्षा की योजना को लागू करने जा रहा है। 10वीं व 12वीं बोर्ड परीक्षा के चार माह पहले ही स्कूलों में प्री बोर्ड परीक्षा आयोजित करवाई जाएगी।
यह परीक्षा कितने अंक की होगी, इस पर अभी विचार किया जा रहा है।
तनाव को कम करने के उद्देश्य से बनी है योजना
दिल्ली पब्लिक स्कूल की प्राचार्या किरण दलाल ने बताया कि बोर्ड परीक्षा के प्रति विद्यार्थियों के तनाव को कम करने के उद्देश्य से ही यह योजना बनाई गई है। उन्होंने बताया कि परीक्षा में पूछे जाने वाले सवाल आसान और सीधे नहीं होंगे। इस तरह के सवालों का जवाब देने के लिए विद्यार्थियों को प्रत्येक विषय के एक एक पाठ का गहनता से अध्ययन करना होगा और स्वयं को पहले की अपेक्षा ज्यादा अपडेट रखना होगा।
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अच्छे अंक लेने हैं तो कठिन सवालों के देने होंगे जवाब
दसवीं व बारहवीं कक्षा
के विद्यार्थियों की गुणवत्ता और बौद्धिक क्षमता को परखने के लिए जल्द ही केंद्रीय माध्यमिक विद्यालय शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) नए सत्र से नया कदम उठाने जा रहा है। सीबीएसई की ओपन बुक परीक्षा योजना के तहत बोर्ड की परीक्षा में अच्छे अंक लेने के लिए विद्यार्थियों को कठिन सवालों के जवाब देने होंगे। इस योजना के तहत पाठयक्रम में अंतरराष्ट्रीय स्तर का बदलाव किया जाएगा। ऐसे में विद्यार्थियों के लिए बोर्ड की परीक्षा पास करना काफी कठिन होगा। वहीं, अच्छे अंक लेने के लिए प्रत्येक विषय के अभ्यास का गहनता से अध्ययन करना होगा। जॉन वेस्ले स्कूल की प्राचार्या ममता ने बताया कि विद्यार्थियों में विषय के प्रति विश्लेषणात्मक रूचि को परखने के लिए ही सत्र 2013 से 2014 में सीबीएसई ओपन बुक परीक्षा की योजना को लागू करने जा रहा है। 10वीं व 12वीं बोर्ड परीक्षा के चार माह पहले ही स्कूलों में प्री बोर्ड परीक्षा आयोजित करवाई जाएगी।
यह परीक्षा कितने अंक की होगी, इस पर अभी विचार किया जा रहा है।
तनाव को कम करने के उद्देश्य से बनी है योजना
दिल्ली पब्लिक स्कूल की प्राचार्या किरण दलाल ने बताया कि बोर्ड परीक्षा के प्रति विद्यार्थियों के तनाव को कम करने के उद्देश्य से ही यह योजना बनाई गई है। उन्होंने बताया कि परीक्षा में पूछे जाने वाले सवाल आसान और सीधे नहीं होंगे। इस तरह के सवालों का जवाब देने के लिए विद्यार्थियों को प्रत्येक विषय के एक एक पाठ का गहनता से अध्ययन करना होगा और स्वयं को पहले की अपेक्षा ज्यादा अपडेट रखना होगा।
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12 फीसदी इंजीनियर ही नौकरी के काबिल | ||
ञ्चइंजीनियरिंग कॉलेजों में दी जा रही घटिया एजुकेशन पर उठाए सवाल | ||
एजेंसीत्नकाकीनाडा देश में महज 12 फीसदी इंजीनियर ही नौकरी के काबिल हैं। 52 फीसद को अगर उन्नत प्रशिक्षण दिया जाए तो उन्हें काम के लायक बनाया जा सकता है, मगर 36 फीसद तो प्रशिक्षण देने के काबिल भी नहीं है। यह बात दिल्ली मेट्रो और कोंकण रेलवे के जनक ई श्रीधरन ने एक सर्वे के हवाले से इंजीनियरिंग कालेजों की कलई खोलते हुए यह कही। श्रीधरन ने इस स्थिति के लिए धन कमाने के लिए कुकुरमुत्ताों की तरह खुल रहे इंजीनियरिंग कॉलेज और उनकी गुणवत्ताविहीन शिक्षा को जिम्मेदार ठहराया। कॉलेजों में नहीं हैं योग्य शिक्षक, प्रिंसिपल श्रीधरन ने मंगलवार को जवाहरलाल नेहरू टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (जेएनटीयू) काकीनाडा के द्वितीय दीक्षांत समारोह में नियमों को ताक पर रखकर संचालित ऐसे इंजीनियरिंग कॉलेजों को मिल रहे राजनीतिक संरक्षण पर भी उंगली उठाई। यहां के पूर्व छात्र श्रीधरन को यहां मानद डॉक्टरेट की उपाधि भी प्रदान की गई। मेट्रो मैन ऑफ इंडिया के नाम से मशहूर श्रीधरन ने कहा कि उद्योग जगत को जिस विशेषज्ञता की दरकार है, उस हिसाब से पाठ्यक्रम को उन्नत नहीं किया गया है। आंध्र प्रदेश में ही 700 इंजीनियरिंग कॉलेजों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि यहां के ज्यादातर कॉलेजों में योग्य अध्यापक, प्रोफेसर और प्रिंसिपल नहीं हैं। इन कॉलेजों में संसाधन भी मानकों के अनुरूप नहीं हैं, जिससे इंजीनियरिंग का स्तर गिरा है। तेरह राज्यों में 198 इंजीनियरिंग कॉलेजों के अंतिम वर्ष के 34,000 छात्रों के बीच एक सर्वे से पता चला है कि ज्यादातर इंजीनियरिंग स्नातक नौकरी के योग्य नहीं हैं। आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के तमाम इंजीनियरिंग कालेजों में शून्य अंक पाने वाले छात्रों को भी प्रवेश मिलने की खबरें हाल ही में सुर्खियों में रही हैं। उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि देश में इंजीनियरिंग कॉलेजों की क्या हालत है। |
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