दसवीं पास की बी-टेक डिग्री मान्य नहीं होगी ++ग्रेड थर्ड शिक्षक भर्ती: सामान्य वर्ग के 11 फीसदी ही बन पाए शिक्षक+++hry tr transfr

शिमला. प्राइवेट विश्वविद्यालयों से 2013 में बी-टेक पास करने वाले 500 छात्रों की डिग्री मान्य नहीं होगी। पांच साल तक पढ़ाई करने वाले छात्रों के हाथ में आने वाली डिग्री किसी काम की नहीं होगी। यूजीसी के नियमों के अनुसार किसी भी 10वीं पास छात्र को बी-टेक करने का कोई प्रावधान नहीं है।
इस तरह की डिग्री को कोई भी विश्वविद्यालय मान्यता नहीं देगा। हिमाचल प्रदेश प्राइवेट विश्वविद्यालय प्राधिकरण ने प्रदेश सरकार को एक साल बाद पेश आने वाली समस्या से अवगत करवा दिया है। प्रदेश की आधा दर्जन से अधिक प्राइवेट यूनिवर्सिटी ने कमाई के चक्कर में सैकड़ों छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ किया है।
2009 में प्रदेश के कई क्षेत्रों में खुले प्राइवेट विश्वविद्यालयों ने 10वीं पास के बाद छात्रों को सीधे बी-टेक करने

का प्रलोभन दिया था। इस दौरान सैकड़ों अभिभावकों ने विश्वविद्यालयों के शार्टकट फार्मूले के चंगुल में आकर बच्चों को बी-टेक में प्रवेश दिलवाया था। इन विश्वविद्यालयों से बी-टेक पास आउट करने वाले पहला बैच 2013 में निकलेगा। हर बच्चे 7 लाख रुपए खर्च आया है। अभिभावक इस बात से भी अनभिज्ञ थे कि 10वीं पास के बाद सीधे बी-टेक को किसी तरह की मान्यता प्राप्त नहीं होगी।


सरकार को दी रिपोर्ट


प्राइवेट विश्वविद्यालय रेग्यूलेटरी कमीशन ने सरकार को इस मामले की गंभीरता से अवगत करवा दिया है। सरकार को भेजी रिपोर्ट में साफतौर पर कहा है कि प्राइवेट विश्वविद्यालयों ने नॉर्म्स के विपरीत10वीं पास बच्चों को प्रवेश दिया था। 2009 और 2010 में इस तरह से एडमिशन होती रही। ये डिग्री मान्य नहीं है। सरकार इस दिशा में कदम उठाए ताकि डिग्री हाथ में आने के बाद बच्चे कहां जाएंगे।


सरकार उठाए कदम


रेग्यूलेटरी कमीशन के सदस्य जेबी नड्डा ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार को रिपोर्ट भेज दी है। सरकार को ही इस दिशा में कोई कदम उठाना है। हां, प्राइवेट विश्वविद्यालय के एक्ट में भी प्रावधान नहीं था कि किसी छात्र को 10वीं कक्षा पास करने के बाद बी-टेक में प्रवेश दिया जाए।


निजी विवि ने स्टुडेंट जुटाने के लिए दिलाया प्रवेश


प्राइवेट विश्वविद्यालयों के एक्ट में ऐसा प्रावधान नहीं है कि 10वीं पास किसी भी बच्चे को बी-टेक में प्रवेश दिया जाए। अपने-अपने विश्वविद्यालयों में छात्र जुटाने के लिए प्राइवेट विश्वविद्यालय प्रशासन ने जानबूझकर 10वीं पास छात्रों को प्रवेश दिया था।

12वीं पास जरूरी

यूजीसी के नियम हैं कि 12वीं पास करने के बाद कोई भी छात्र बी-टेक में प्रवेश ले सकता है। ऐसी सूरत में बी-टेक चार साल की रहेगी। 10वीं पास करने के बाद पांच साल बर्बाद कर चुके छात्रों का भविष्य क्या रहेगा कुछ कहा नहीं जा सकता।

इसलिए लगी रोक

2011 में रेग्यूलेटरी कमीशन बनते ही सभी प्राइवेट विश्वविद्यालयों को 10वीं पास बच्चों को बी-टेक में प्रवेश देने की पाबंदी लगा दी थी। तीन साल से बी-टेक की पढ़ाई कर रहे छात्रों के बारे में कमीशन के पास भी कोई विकल्प नहीं है।
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सीकर.ग्रेड थर्ड की सैकंड लेवल भर्ती में सामान्य वर्ग के कोटे में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी नौकरी पा गए। पूरी भर्ती में सामान्य वर्ग के सिर्फ 11 फीसदी ही शिक्षक बन पाए हैं। जबकि सामान्य के कोटे के हिसाब से 22 फीसदी। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि 244 पद सामान्य वर्ग के लिए थे, इनमें से सिर्फ 53 ही शिक्षक पद पर नियुक्त पा सके हैं।

जबकि आरक्षित पदों के साथ-साथ अपनी योग्यता के आधार पर 78 प्रतिशत अभ्यर्थी अन्य वर्ग से शिक्षक बने हैं। सरकारी नौकरियों में अभी 49 प्रतिशत आरक्षित व 51 प्रतिशत पद अनारक्षित है। इसके बाद भी सामान्य वर्ग के सिर्फ 22 फीसदी ही पोस्टिंग पा सके। शिक्षक भर्ती में मेरिट में चयनित अभ्यर्थियों में से पदों के मुताबिक नौकरी पाने वालों की सूची की पड़ताल करने पर यह तथ्य सामने आया है।

परिणाम घोषित होने से लेकर पोस्टिंग देने तक अभ्यर्थियों में यह बात जानने की उत्सुकता बनी हुई थी कि किस वर्ग के कितने अभ्यर्थियों को पद हासिल हुए हैं। जो परिणाम सामने आया उसमें कोई अभ्यर्थी नौकरी पाने में एक कदम दूर रह गया तो कोई दो और तीन कदम ही दूर रहा। मुख्य तौर पर सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को शुरू में ऐसा लगा कि कुल 491 में से 244 पदों पर उनकी किस्मत रंग ला सकती है लेकिन कई अभ्यर्थियों के नौकरी लगने के सपने चकनाचूर हो गए और सभी विषयों को मिलाकर सामान्य वर्ग के 244 में से केवल 53 अभ्यर्थी ही शिक्षक बन पाए।


सीकर में यह रही स्थिति 

विषय सामान्य नियुक्ति
के पद मिली


विज्ञान व गणित 89 22

उर्दू 14 01

हिंदी 25 10

संस्कृत 26 05

सामाजिक ज्ञान 76 07

अंग्रेजी 24 08

'मेरिट के हिसाब से आरक्षित वर्ग वाले सामान्य के आ गए। इसलिए शिक्षक भर्ती में ऐसा हुआ है।'

सरदारमल यादव, डीईईओ, सीकर.हर विषय में आगे रहे आरक्षित वाले साइंस-मैथ्स, सामाजिक अध्ययन, हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत व उर्दू विषयों में पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थी ही आगे रहे। उर्दू जैसे विषय में भी सामान्य वर्ग का सिर्फ एक ही शिक्षक बन सका है।

जिला परिषद ने स्वीकृत पदों के विपरीत दोगुने अभ्यर्थियों को मेरिट में शामिल कर मूल कागजात सत्यापन करने के लिए आमंत्रित किया गया था। कागजात सत्यापन के बाद जिला परिषद ने मेरिट से मंजूर पदों के आधार पर शिक्षकों को ब्लॉक का आवंटन कर दिया। ब्लॉक में प्रधान व विकास अधिकारियों ने स्कूलों में रिक्त स्थान के आधार पर शिक्षकों का उनमें पदस्थापन कर दिया।

भूतपूर्व सैनिकों के पदों पर ओबीसी को नियुक्ति

सामाजिक ज्ञान में भूतपूर्व सैनिकों के लिए 21 पद आरक्षित किए गए थे। जनरल में कोई भी अभ्यर्थी नहीं आया। बाद में इन पदों पर ओबीसी के 11 को शिक्षक बना दिया गया। जबकि नियमों के तहत पांच ही पद होते।

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