इंडियन सर्टिफिकेट ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (आइसीएसई) ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में हलफनामा देकर बताया कि हरियाणा, पंजाब एवं चंडीगढ़ में कुल 120 ऐसे स्कूल हैं जो नियमों के अनुसार काम नहीं कर रहे हैं। आइसीएसई उन पर कार्रवाई करने की सोच रही है। इन स्कूलों में अधिकतर ने न तो नियमों के अनुसार अपने स्टाफ को वेतन दिया है और न ही शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के तहत बच्चों को प्रवेश दिया है। आइसीएसई ने कोर्ट को बताया कि इन स्कूलों में से अधिकतर ने बोर्ड द्वारा भेजे गए नोटिस का जवाब भी नहीं दिया है। इनमें से 92 पंजाब, 26 हरियाणा व 2 स्कूल चंडीगढ़ में हैं। आइसीएसई ने यह जवाब हाईकोर्ट के आदेश पर जारी किया। इस मामले में कोर्ट ने सीबीएसई, आइसीएसई व पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड को सभी स्कूलों को आरटीई की धारा-18 के तहत संबंधित सरकारों एवं शिक्षा बोर्डो के पास अपने स्कूलों का रजिस्ट्रेशन करवाने के आदेश दिए थे। इसके
साथ ही कोर्ट द्वारा सरकारों व प्रशासन को इसे लागू करने के भी निर्देश दे दिए गए थे।सीबीएसई, आइसीएसई, पीएसईबी को इन स्कूलों का पिछले 5 सालों का बैलेंस शीट के साथ पूरा रिकार्ड खंडपीठ के समक्ष पेश करने का आदेश दिया गया था। यह बात भी सामने आई किी सिर्फ पंजाब में ही 9800 में से लगभग 3800 स्कूल पंजीकृत नहीं हैं। कोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान सभी शिक्षा बोर्डो से यह जानकारी भी मांग की गई थी कि वे बताएं कि उनसे एफिलेटेड सभी स्कूलों में क्या 25 प्रतिशत आíथक पिछड़े वर्ग के बच्चों को दाखिला मिल रहा है या नहीं। खंडपीठ ने सभी स्कूलों से पिछले 5 वर्षो को प्रॉफिट और लॉस की स्टेटमेंट अपने संबंधित बोर्ड में जमा करवाने के निर्देश दिया था
साथ ही कोर्ट द्वारा सरकारों व प्रशासन को इसे लागू करने के भी निर्देश दे दिए गए थे।सीबीएसई, आइसीएसई, पीएसईबी को इन स्कूलों का पिछले 5 सालों का बैलेंस शीट के साथ पूरा रिकार्ड खंडपीठ के समक्ष पेश करने का आदेश दिया गया था। यह बात भी सामने आई किी सिर्फ पंजाब में ही 9800 में से लगभग 3800 स्कूल पंजीकृत नहीं हैं। कोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान सभी शिक्षा बोर्डो से यह जानकारी भी मांग की गई थी कि वे बताएं कि उनसे एफिलेटेड सभी स्कूलों में क्या 25 प्रतिशत आíथक पिछड़े वर्ग के बच्चों को दाखिला मिल रहा है या नहीं। खंडपीठ ने सभी स्कूलों से पिछले 5 वर्षो को प्रॉफिट और लॉस की स्टेटमेंट अपने संबंधित बोर्ड में जमा करवाने के निर्देश दिया था
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