प्रोन्नति में कोटे को हरी झंडी++गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों का होगा सर्वे+++9870 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया हुई शुरू

 केंद्रीय कैबिनेट ने सरकारी नौकरियों की प्रोन्नति में भी अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) को आरक्षण के लिए संविधान संशोधन बिल को मंगलवार को हरी झंडी दे दी। सरकार बुधवार को ही इस विधेयक को राज्यसभा से पारित कराने की कोशिश में है। लेकिन, सपा के खुले विरोध और भाजपा द्वारा विधेयक से पहले कोयला घोटाले पर बहस और कार्रवाई की शर्त रखे जाने के कारण इसके लटकने के आसार बनते दिखाई दे रहे हैं। संविधान के अनुच्छेद 16 (4) में संशोधन किए जाने को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही
राजनीति भी शुरू हो गई है। बसपा प्रमुख मायावती व कांग्रेस सांसद पीएल पुनिया, लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान समेत एससी/एसटी समुदाय के दूसरे सांसदों ने खुशी जाहिर की है। मायावती ने अपने सांसद सतीशचंद्र मिश्र के साथ राजग नेताओं खासकर भाजपा के सुषमा स्वराज और अरुण जेटली से मिलकर विधेयक को इसी सत्र में पारित कराने के लिए मदद मांगी। इतना ही नहीं, सपा व गैर एससी/एसटी सांसदों के विरोध को देखते हुए माया ने पिछड़े समुदाय को भी प्रोन्नति में आरक्षण का प्रावधान इसी विधेयक में किए जाने की पैरवी कर दी है। संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने कहा कि सरकार बिल पारित कराने को कटिबद्ध है। बुधवार को राज्यसभा में दोपहर 12 बजे या फिर दो बजे यह बिल पेश किया जाएगा। मायावती की तर्ज पर पासवान ने भी कहा कि यह विधेयक पारित होते ही ओबीसी के लिए भी ऐसा ही बिललाया जाए तथा अगड़ी जातियों के गरीबों के लिए आरक्षण का इंतजाम किया जाए, लेकिन मामला इतना आसान नहीं है। सपा ने विधेयक के विरोध का एलान कर दिया है। सपा प्रवक्ता प्रो. रामगोपाल यादव ने कहा, जिस मामले को सुप्रीम कोर्ट चार बार खारिज कर चुका हो, उसे पलटने के लिए संविधान संशोधन का कदम प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है। हम पहले भी इसके विरोध में थे और अब भी संसद के भीतर और बाहर विरोध जारी रहेगा। बताते हैं कि संशोधन के बाद संविधान के अनुच्छेद 16 व 335 प्रोन्नति में कोटे में बाधा नहीं बनेंगे। इस मामले में 19 अक्टूबर, 2006 को दिया गया सुप्रीम कोर्ट का फैसला निष्प्रभावी हो जाएगा। केंद्रीय नौकरियों में उनके लिए कोटे का लाभ प्रोन्नति में तो मिलेगा ही, राज्यों की नौकरियों में आबादी के लिहाज से परिणामी ज्येष्ठता (कांसीक्वेंशियल सीनियारिटी) के आधार पर प्रोन्नति मिल सकेगी।
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प्रदेश में बड़े पैमाने पर ऐसे स्कूल चलाए जा रहे हैं, जिनको सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है। इस मामले में मंगलवार को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जसबीर ¨सह एवं जस्टिस आरके जैन पर आधारित खंडपीठ ने इस मामले में दायर जनहित याचिका का निपटारा करते हुए राज्य सरकार को चार महीनों के भीतर सभी स्कूलों का सर्वे करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही सरकार को कहा गया है कि शिक्षा का अधिकार कानून एवं हरियाणा शिक्षा कानून के तहत गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों के खिलाफ शिक्षा निदेशक कार्रवाई करें। इस विषय पर फरीदाबाद के मनोज कुमार जसवाल ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर बताया था कि अकेले फरीदाबाद में 550 से अधिक स्कूल गैर-मान्यता प्राप्त हैं। याचिका पर खंडपीठ ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। याचिकाकर्ता के एडवोकेट सज्जन कुमार मलिक ने बताया था कि राच्य में न केवल फरीदाबाद, बल्कि कई अन्य जिलों में भी बड़े पैमाने पर गैर-मान्यता प्राप्त स्कूल चलाए जा रहे हैं, जिनके खिलाफ सरकार कार्रवाई नहीं कर रही। जबकि आरटीई एक्ट 2009 एवं हरियाणा एजुकेशन एक्ट के तहत इस तरह के स्कूलों के खिलाफ राच्य के शिक्षा निदेशक कार्रवाई कर सकते हैं। लिहाजा खंडपीठ ने हरियाणा सरकार को निर्देश दिए कि वे 4 महीनों में स्कूलों का सर्वे कर कार्रवाई करे
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9870 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया हुई शुरू
 प्रदेश में जल्द ही अब तक की सबसे बड़ी प्राथमिक शिक्षकों (जेबीटी) की भर्ती होगी। कुल 9870 पद भरे जाएंगे। शिक्षा विभाग की ओर से इस संबंध में प्रस्ताव हरियाणा विद्यालय शिक्षक चयन बोर्ड को भेजा जा चुका है। उम्मीद है कि बोर्ड द्वारा जल्द ही भर्ती संबंधी आगामी तैयारी शुरू कर दी जाएगी। यह दूसरी बार होगा कि जेबीटी की इतने बड़े पैमाने पर भर्ती होगी। इससे पूर्व 2009 में 9647 नियमित प्राथमिक शिक्षकों के पद विज्ञापित किए गए थे और चयनित 8401 उम्मीदवारों को वर्ष 2011 में नियुक्तियां दी गई थीं। शिक्षा विभाग में इतनी बड़ी भर्ती की आहट से प्रदेश के प्राथमिक अध्यापक पात्रता परीक्षा पास डिप्लोमा होल्डर्स में भारी उत्साह है। 322 दिन की समयसीमा सरकार को हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण फैसले के मद्देनजर 322 दिन की तय समयसीमा में नियमित शिक्षकों की भर्ती करनी है। 20 मार्च से शुरू इस तय समयसीमा में अब सिर्फ पांच माह का समय शेष बचा है। हाईकोर्ट ने अपने आदेशों में यह भी स्पष्ट किया था कि तय समय सीमा व दिए गए शेडयूल का पालन न होने पर इसे आदेशों की गंभीर अवमानना माना जाएगा। मेवात कैडर के लिए 1107 पद जेबीटी की प्रस्तावित भर्ती में मेवात कैडर के लिए 1107 शिक्षकों के पद रखे गए हैं

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