पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की डिविजन बेंच ने हुड्डा सरकार द्वारा बर्खास्त 84 सिपाहियों की बहाली का रास्ता साफ कर दिया है। बेंच ने चौटाला शासनकाल में भर्ती इन पुलिसकर्मियों को बड़ी राहत देते हुए हरियाणा सरकार के उस आग्रह को नकार दिया जिसमें एकल बेंच द्वारा दिए गए इन सिपाहियों की बहाली के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी। सोमवार को हाई कोर्ट के इस फैसले से हरियाणा सरकार के सामने नई परेशानी खड़ी हो गई है क्योंकि की हाई कोर्ट की डिविजन बेंच द्वारा एकल बेंच के फैसले पर रोक न लगाने से सरकार को इन सभी पुलिस कर्मी को तुरंत नियुक्ति देनी होगी। उसके पास इन्हें अब ट्रेनिंग पर भेजने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। सरकार की अपील का विरोध करते हुए पुलिसकर्मियों की वकील अलका चतरथ ने कोर्ट को बताया कि यह सब राजनैतिक कारणों से किया गया। इस पर चीफ जस्टिस ने सरकार की फैसले पर रोक लगाने की मांग को नकारते हुए सुप्रीम कोर्ट में सब इंस्पेक्टर की एसएलपी का निपटारा होने तक याचिका को एडमिट कर दिया। ये था एकल बेंच का फैसला : पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की एकल बेंच ने हरियाणा पुलिस के 84 बर्खास्त सिपाहियों के बर्खास्तगी आदेश रद करते हुए इनकी बहाली के निर्देश जारी किए थे। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि इन सभी सिपाहियों की डयूटी तब से नियमित मानी जाए जब से कि वे हटाए गए हैं। ध्यान रहे कि चौटाला शासनकाल में 25 जुलाई 2004 को हरियाणा सरकार ने एक विज्ञापन जारी कर हरियाणा पुलिस की टेली कम्यूनिकेशन विंग में 84 सिपाहियों (आप्रेटर) के पद की नियुक्ति की प्रकिया शुरू की थी। सता परिवर्तन के बाद 29 जून 2005 को हरियाणा सरकार ने एक आदेश जारी कर इन सभी सिपाहियों को हटाने के आदेश जारी कर दिए। हरियाणा सरकार ने हटाने के पीछे तर्क दिया था कि और विधानसभा ने औधोगिक सुरक्षा बल एक्ट को रद कर दिया है। इस बीच सितम्बर 2009 में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की डिविजन बेंच व सुप्रीम कोर्ट ने हुडा सरकार द्वारा औधोगिक सुरक्षा बल के हटाए गए 43 पुलिस सब इंस्पेक्टरों को बहाल करने के आदेश दिए दिए। इसी आदेश को आधार बनाकर इन सिपाहियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपनी बर्खास्तगी को गैर कानूनी बताते हुए बहाली की मांग की थी। इसे ही आधार बनाकर एकल बेंच ने इन सभी सिपाहियों के बर्खास्तगी के आदेश को रद करते हुए सरकार को इन बर्खास्त पुलिसकर्मियों की बहाली के आदेश जारी किए थे
बर्खास्त सिपाहियों की बहाली होगी+++ITI karnal job
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की डिविजन बेंच ने हुड्डा सरकार द्वारा बर्खास्त 84 सिपाहियों की बहाली का रास्ता साफ कर दिया है। बेंच ने चौटाला शासनकाल में भर्ती इन पुलिसकर्मियों को बड़ी राहत देते हुए हरियाणा सरकार के उस आग्रह को नकार दिया जिसमें एकल बेंच द्वारा दिए गए इन सिपाहियों की बहाली के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी। सोमवार को हाई कोर्ट के इस फैसले से हरियाणा सरकार के सामने नई परेशानी खड़ी हो गई है क्योंकि की हाई कोर्ट की डिविजन बेंच द्वारा एकल बेंच के फैसले पर रोक न लगाने से सरकार को इन सभी पुलिस कर्मी को तुरंत नियुक्ति देनी होगी। उसके पास इन्हें अब ट्रेनिंग पर भेजने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। सरकार की अपील का विरोध करते हुए पुलिसकर्मियों की वकील अलका चतरथ ने कोर्ट को बताया कि यह सब राजनैतिक कारणों से किया गया। इस पर चीफ जस्टिस ने सरकार की फैसले पर रोक लगाने की मांग को नकारते हुए सुप्रीम कोर्ट में सब इंस्पेक्टर की एसएलपी का निपटारा होने तक याचिका को एडमिट कर दिया। ये था एकल बेंच का फैसला : पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की एकल बेंच ने हरियाणा पुलिस के 84 बर्खास्त सिपाहियों के बर्खास्तगी आदेश रद करते हुए इनकी बहाली के निर्देश जारी किए थे। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि इन सभी सिपाहियों की डयूटी तब से नियमित मानी जाए जब से कि वे हटाए गए हैं। ध्यान रहे कि चौटाला शासनकाल में 25 जुलाई 2004 को हरियाणा सरकार ने एक विज्ञापन जारी कर हरियाणा पुलिस की टेली कम्यूनिकेशन विंग में 84 सिपाहियों (आप्रेटर) के पद की नियुक्ति की प्रकिया शुरू की थी। सता परिवर्तन के बाद 29 जून 2005 को हरियाणा सरकार ने एक आदेश जारी कर इन सभी सिपाहियों को हटाने के आदेश जारी कर दिए। हरियाणा सरकार ने हटाने के पीछे तर्क दिया था कि और विधानसभा ने औधोगिक सुरक्षा बल एक्ट को रद कर दिया है। इस बीच सितम्बर 2009 में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की डिविजन बेंच व सुप्रीम कोर्ट ने हुडा सरकार द्वारा औधोगिक सुरक्षा बल के हटाए गए 43 पुलिस सब इंस्पेक्टरों को बहाल करने के आदेश दिए दिए। इसी आदेश को आधार बनाकर इन सिपाहियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपनी बर्खास्तगी को गैर कानूनी बताते हुए बहाली की मांग की थी। इसे ही आधार बनाकर एकल बेंच ने इन सभी सिपाहियों के बर्खास्तगी के आदेश को रद करते हुए सरकार को इन बर्खास्त पुलिसकर्मियों की बहाली के आदेश जारी किए थे
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