, नई दिल्ली राजधानी में निजी स्कूलों में नर्सरी से लेकर पहली कक्षा तक दाखिला के लिए गरीब वर्ग के लिए 25 प्रतिशत कोटा तो पहले से तय था ही, अब दिल्ली सरकार जल्द ही दूसरी कक्षा से 12वीं कक्षा तक गरीब छात्रों के लिए प्राइवेट स्कूलों में 20 प्रतिशत कोटा तय करने जा रही है। इस संबंध में सरकार जल्द ही अधिसूचना जारी करेगी। ये जानकारी दिल्ली सरकार ने मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष दिए गए एक शपथ पत्र के माध्यम से दी। दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस एसके कौल व जस्टिस विपिन सांघी की खंडपीठ ने दिल्ली सरकार के इस जवाब के बाद प्राइवेट स्कूलों में गरीबी कोटा तय करने की मांगा को लेकर दायर याचिका का निपटारा कर दिया। उल्लेखनीय है कि अशोक कुमार ठाकुर ने अपने अधिवक्ता अशोक अग्रवाल और खगेश बी झा के माध्यम से एक जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर की थी। जनहित याचिका में ठाकुर का कहना था कि दिल्ली स्कूल एजूकेशन के उस नोटिफिकेशन में बदलाव किया जाए, जिसके तहत यह तय किया गया है कि सरकार से रियायती दरों पर जमीन लेने और सरकारी सहायता प्राप्त निजी स्कूलों में नर्सरी से पहली कक्षा तक गरीबी कोटे के छात्रों के लिये 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित हैं। ठाकुर का कहना था कि अगर, कोई नौकरी पेशा या गरीब स्थानांतरण करके दिल्ली में आता है तो उसके बच्चों को गरीबी कोटे में दाखिला नहीं मिल पाता। जिससे उनका शिक्षा का अधिकार प्रभावित होता है। कुछ ऐसा ही उसके बच्चों के साथ भी हुआ। प्राइवेट स्कूल में गरीबी कोटे की सीट खाली होने के बावजूद
उसके बच्चों को दाखिला नहीं मिला। ऐसा राजधानी में बहुत से लोगों के साथ हो रहा है। लिहाजा, सभी सरकारी स्कूलों में दूसरी कक्षा से 12वीं कक्षा तक गरीबी कोटे के छात्रों के लिये 20 प्रतिशत सीटें आरक्षित की जानी चाहिए। इस याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से जवाब मांगा था। उल्लेखनीय है कि दिल्ली के निजी स्कूलों की प्राथमिक कक्षाओं में सबसे पहले गरीब बच्चों को तीस फीसद आरक्षण दिए जाने की बात हुई थी। लेकिन निजी स्कूलों की ना-नुकूर के बाद अदालत के हस्तक्षेप पर नर्सरी से पहली कक्षा तक 25 फीसद आरक्षण पहले ही लागू किया जा चुका है। इस प्रक्रिया में निजी स्कूल की फीस सरकार अपनी तरफ से भरती है।