करनाल घर में काम करती नौकरानी की मासूम बच्ची को देखकर एक मां का दिल पिघल गया। उसने निर्णय लिया कि वह स्कूल से ड्रापआउट बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा उठाएगी। मां की इच्छा पूरी करने में शिक्षित बेटे भी जुट गए और उसके लगाए पौधे को सींचकर बड़ा करने लगे। आज उनकी संस्था अलख फाउंडेशन 275 बच्चों को पढ़ा-लिखाकर काबिल बनाने में जुटी है। बात वर्ष 2006 की है। सेक्टर सात की कोठी नंबर 628 में रहने वाली माधुरी झा ने शिक्षा से वंचित नौकरानी की बेटी को देख संकल्प लिया कि ऐसे बच्चों की जिंदगी में शिक्षा की लौ जगाएंगी। उन्होंने ऐसे बच्चों को पढ़ाने का सिलसिला शुरू किया। मां की प्रतिबद्धता का छोटे बेटे अविनाश आनंद पर गहरा असर पड़ा। हिंदी व अंग्रेजी में स्नातकोत्तर अविनाश पुनित कार्य में मां के साथ हो गए। अक्टूबर 2010 में अलख फाउंडेशन के नाम से रजिस्ट्रेशन करा कर किराये के भवन में ज्ञानपीठ शिक्षण केंद्र की स्थापना की गई। इस समय यहां 275 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर अपना जीवन सुधार रहे हैं। यहां स्कूल से ड्रापआउट बच्चों को शिक्षा दी जाती है। दूसरी श्रेणी में सरकारी स्कूलों के होनहार बच्चों को शामिल किया गया है। संस्था ऐसे 20 बच्चों का दाखिला निजी स्कूल में करा तमाम खर्च वहन कर रही है। तीसरी श्रेणी में सरकारी स्कूलों के बच्चों को निशुल्क ट्यूशन दिया जाता है। संस्था के महासचिव अभिजीत आनंद का कहना है कि शिक्षा का ध्येय ज्ञान अर्जित करना है। इसी को मद्देनजर रख वह बच्चों को पढ़ाते हैं। इसमें कोई सरकारी सहायता नहीं मिल रही है
जगाई शिक्षा की अलख
करनाल घर में काम करती नौकरानी की मासूम बच्ची को देखकर एक मां का दिल पिघल गया। उसने निर्णय लिया कि वह स्कूल से ड्रापआउट बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा उठाएगी। मां की इच्छा पूरी करने में शिक्षित बेटे भी जुट गए और उसके लगाए पौधे को सींचकर बड़ा करने लगे। आज उनकी संस्था अलख फाउंडेशन 275 बच्चों को पढ़ा-लिखाकर काबिल बनाने में जुटी है। बात वर्ष 2006 की है। सेक्टर सात की कोठी नंबर 628 में रहने वाली माधुरी झा ने शिक्षा से वंचित नौकरानी की बेटी को देख संकल्प लिया कि ऐसे बच्चों की जिंदगी में शिक्षा की लौ जगाएंगी। उन्होंने ऐसे बच्चों को पढ़ाने का सिलसिला शुरू किया। मां की प्रतिबद्धता का छोटे बेटे अविनाश आनंद पर गहरा असर पड़ा। हिंदी व अंग्रेजी में स्नातकोत्तर अविनाश पुनित कार्य में मां के साथ हो गए। अक्टूबर 2010 में अलख फाउंडेशन के नाम से रजिस्ट्रेशन करा कर किराये के भवन में ज्ञानपीठ शिक्षण केंद्र की स्थापना की गई। इस समय यहां 275 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर अपना जीवन सुधार रहे हैं। यहां स्कूल से ड्रापआउट बच्चों को शिक्षा दी जाती है। दूसरी श्रेणी में सरकारी स्कूलों के होनहार बच्चों को शामिल किया गया है। संस्था ऐसे 20 बच्चों का दाखिला निजी स्कूल में करा तमाम खर्च वहन कर रही है। तीसरी श्रेणी में सरकारी स्कूलों के बच्चों को निशुल्क ट्यूशन दिया जाता है। संस्था के महासचिव अभिजीत आनंद का कहना है कि शिक्षा का ध्येय ज्ञान अर्जित करना है। इसी को मद्देनजर रख वह बच्चों को पढ़ाते हैं। इसमें कोई सरकारी सहायता नहीं मिल रही है
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