स्कूली बच्चों में सीखने-समझने के नतीजे (लर्निंग आउटकम) की परख सिर्फ एक परीक्षा पास करके उनके एक से दूसरी कक्षा में चले जाने तक ही सीमित नहीं रहेगा। यह सिलसिला बदलेगा। बच्चों में सीखने-समझने की स्थिति का लगातार और बड़े दायरे में मूल्यांकन होगा। बच्चों के इस समग्र, सतत मूल्यांकन का फार्मूला एनसीईआरटी तैयार कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक, बच्चों में सीखने-समझने की परख में हिंदी, गणित, अंग्रेजी में उनके ज्ञान का खासतौर से लगातार मूल्यांकन होगा। पर्यावरण व भाषा की समझ भी उसका हिस्सा हो सकती है। इसके अलावा बच्चे में नेतृत्व व सृजन क्षमता, अभिव्यक्ति, सहयोग की प्रवृत्ति, समयबद्धता, नियमितता, साफ-सफाई, गीत गाने में रुचि जैसे मामलों में भी उसकी परख की जाएगी। बताते हैं कि पाठ्य पुस्तकों के ज्ञान के साथ ही बाकी ज्ञान के मामले में पूरी पढ़ाई के दौरान यह मूल्यांकन हर महीने होगा। उसके लिए हर छात्र का एक चार्ट होगा, जिसमें सालभर तक हर महीने उसकी प्रगति रिपोर्ट दर्ज की जाएगी। बच्चा सीख चुका है, सीख रहा है या फिर उसे और मेहनत करने की जरूरत है? प्रगति रिपोर्ट में बच्चे की उपलब्धि के संकेतक दर्ज होंगे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि समग्र सतत मूल्यांकन की रिपोर्ट को अभिभावकों के साथ होने वाली मीटिंग में रखा जाएगा। मूल्यांकन के तौर-तरीकों का विस्तृत फार्मूला राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) तैयार कर रहा है। शिक्षा का अधिकार कानून में भी स्कूली बच्चों के समग्र सतत मूल्याकंन का प्रावधान किया गया है। कानून के अमल के लिए तय समय सीमा इसी साल 31 मार्च को खत्म हो रही है। लिहाजा, मंत्रालय भी इस मामले में अब और देरी नहीं चाहता। गौरतलब है कि 12वीं योजना में भी बच्चों के लर्निंग आउटकम पर खास जोर दिया गया है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने लगातार और व्यापक मूल्यांकन को प्रक्रिया में ढालने का फैसला किया था
नई दिल्ली
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