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, नई दिल्ली ओमप्रकाश चौटाला व उनके पुत्र अजय चौटाला को अदालत ने भ्रष्टाचार के जुर्म में दस साल के कारावास की सजा सुनाई है। यह फैसला ए राजा, सुरेश कलमाड़ी और कनीमोरी जैसे नेताओं के लिए चेतावनी हो सकता है जो भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग के आरोपों में मुकदमों का सामना कर रहे हैं। चौटाला अकेले ऐसा नेता नहीं हैं जिन्हें अदालत ने भ्रष्टाचार के जुर्म में दोषी ठहराया है। दो साल पहले जब सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए राज्य के पूर्व ऊर्जा मंत्री बालाकृष्णन पिल्लै को एक साल के कारावास की सजा सुनाई थी तब शायद वह पहला मौका था जब किसी राजनेता को भ्रष्टाचार के जुर्म में सुप्रीम कोर्ट से सजा हुई थी। उन पर आरोप था कि 1982 में जब वे ऊर्जा मंत्री थे उन्होंने पनबिजली प्रोजेक्ट का ठेका अपने मित्र की कंपनी को दे दिया था। इससे पहले 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु की सीएम जयललिता को तांसी भूमि खरीद घोटाले में राहत दे दी थी। जयललिता पर आरोप था उन्होंने सीएम होते हुए आचार संहिता का उल्लंघन कर तांसी की सरकारी जमीन को कम कीमतों पर जया पब्लिकेशन के लिए खरीदा था। पूर्व दूरसंचार मंत्री सुखराम को दिल्ली की निचली अदालत और दिल्ली हाई कोर्ट से भ्रष्टाचार के जुर्म में तीन साल के कारावास की सजा हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट में उनकी अपील लंबित है। ये तीनों मामले वो हैं जिनमें राजनेताओं को पद का दुरुपयोग करने के जुर्म में भ्रष्टाचार का दोषी ठहराया गया था। इन मामलों में आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले शामिल नहीं हैं। दूसरों के लिए भी चेतावनी है फैसला भ्रष्टाचार में कई नेताओं पर केस सबक 

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