शिक्षा का अधिकार कानून में प्रावधान किया गया कि स्कूल दूर है तो बच्चों के लिए परिवहन का भी प्रबंध किया जाएगा। शिक्षा अधिकार कार्यकर्ताओं को कानूनी प्रावधानों की जानकारी मिली तो उन्होंने नगर की झुग्गी झोपड़ी के सैकड़ों बच्चों का सरकारी स्कूलों में दाखिला भी करवा दिया। चूंकि स्कूल उनकी बस्तियों से दूर है तो हरियाणा रोडवेज की दो बसें भी इसी कानून के जरिए बच्चों के लिए लगवा दी। लेकिन अब अप्रैल, 2013 से बस्ती में बच्चों के लिए रोडवेज की बस स्कूल तक नहीं जाएगी।
यह फैसला हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना परिषद के निर्देश पर सर्व शिक्षा अभियान के जिला परियोजना संयोजक ने लिया है। इस बारे में जारी पत्र के अनुसार सर्व शिक्षा अभियान के जिला परियोजना संयोजक ने कहा कि निरंकारी भवन (झुग्गी बस्ती) व महाबीर कालोनी (रेलवे रोड) की ढेहा बस्ती में स्कूल से बाहर बच्चों के लिए दो रोडवेज बस चलाई जा रही हैं। यह दोनों बसें नहर कालोनी व टीटीसी के प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों को लाने व ले जाने का प्रबंध कर रही है। हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना परिषद के
निर्देशानुसार स्कूल के बाहर बच्चों को निकटवर्ती (एक किलोमीटर के दायरे में) स्कूल में ही दाखिला करवाया जाए। विशेष परिस्थितियों में यदि परिवहन की आवश्यकता पड़ती है तो इसके लिए जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी को प्रबंध करने का बजट व अधिकार दिया गया है। सर्व शिक्षा अभियान के लिए इस मद में बजट का कोई पैसा नहीं है।
अप्रैल, 2013 से जिला परियोजना संयोजक से परिवहन की कोई व्यवस्था नहीं की जाएगी। मामले के बारे में जब रोडवेज के यातायात प्रबंधक उदयवीर सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि रोडवेज महाप्रबंधक ने बस बंद करने के आदेश जारी कर दिए हैं।
सर्व शिक्षा अभियान की जिला परियोजना संयोजक सुषमा मुंजाल से बात की गई तो उन्होंने मामले की पुष्टि करते हुए कहा कि उनके पास ट्रांसपोटेशन का बजट नहीं है। यह बजट आरटीई में है और शिक्षा विभाग ही बस चला सकता है। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी बलजीत सहरावत से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह बस सर्व शिक्षा अभियान से चलती आई है और वही चलाएंगे। इसके बाद उन्होंने बैठक में होने की बात कहते हुए अपना फोन स्विच-आफ कर दिया।
आसपास नहीं है कोई स्कूल : झुग्गी झोपड़ी के बच्चों को स्कूल तक का रास्ता दिखाने वाले शिक्षा अधिकार कार्यकर्ता रमेश वर्मा से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि बस्ती के आसपास कोई सरकारी स्कूल नहीं है। दूसरा इन बच्चों के लिए विशेष ब्रिज कोर्स की आवश्यकता होती है, जिसके लिए टीटीसी व नहर स्कूल के अध्यापक प्रशिक्षित हो चुके हैं।
अब उनको पता है कि कौन-सा बच्चा किस लायक है। इसलिए बस बंद करके स्कूलों को बदलने का निर्णय बेतुका लगता है। दूसरा उन्होंने कहा कि जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी के पास पूरे वर्ष के लिए सिर्फ 50 हजार रुपये का बजट होता है, जिससे बस चलाना मुश्किल है।
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