एससीईआरटी बताएगी खराब रिजल्ट की वजह



चंडीगढ़। हरियाणा के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने, शिक्षा बोर्ड की परीक्षाओं में बेहतर परिणाम लाने और देश में हरियाणा का नाम ऊंचा करने के लिए प्रदेश सरकार ने जेबीटी, मास्टर्स और लेक्चरर (पीआरटी, टीजीटी और पीजीटी) नियुक्त करने के लिए देश में सबसे पहले शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) शुरू की थी। इसके बावजूद इस साल बोर्ड की दसवीं परीक्षा में आधे बच्चे फेल हो गए। उनका एक साल बर्बाद हो गया। शिक्षा विभाग ने आधे बच्चे फेल होने के कारणों का पता लगाने के लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (एससीईआरटी) को जिम्मेवारी सौंपी है।
देश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद पीआरटी और टीजीटी टीचरों की नियुक्ति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा सभी राज्यों में जरूरी कर दी गई है, मगर हरियाणा ने कई साल पहले यह परीक्षा खुद लेनी शुरू कर दी थी। यह टेस्ट पास करने वाले शिक्षकों की नियुक्तियां की गई मगर दसवीं में आधे बच्चे फेल होने के बाद गुणवत्ता की पोल खुल गई।
प्रदेश के स्कूलों में शिक्षकों के 24000 पद रिक्त पड़े हैं। बहुत स्कूलों में कई विषयों के शिक्षक ही नहीं हैं। शिक्षक न होने से नॉन मेडिकल तक के बच्चों ने खुद ही पढ़ाई की। इसका परिणाम निकला कि आधे बच्चे फेल हो गए और जो पास भी हुए उनके अंक कम आए।शैक्षणिक स्तर सुधारने के लिए हरियाणा ने पहल करते हुए सरकारी स्कूलों में करीब दस हजार एजूसेट स्थापित किए। इस पर 100 करोड़ रुपये खर्च किए गए। एजूसेट पर गुणवत्तापरक शिक्षा के वीडियो, ऑडियो प्रसारित किए गए। कुछ स्कूलों में शिक्षक और विद्यार्थी एजूसेट पर बात भी कर सकते थे। मगर अधिकतर समय ये एजूसेट बंद ही पड़े रहे। इनका ज्यादा लाभ बच्चों को नहीं मिल पाया।

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