प्रदेश के दस हजार जेबीटी हो जाएंगे सरप्लस

छात्र-अध्यापक अनुपात में बदलाव
की तैयारीत्न नई नीति पर
अधिकारी बोलने को तैयार नहीं,
शिक्षकों ने बताया अधिकार का उल्लंघन
ज्ञान प्रसादत्नरेवाड़ ी

शिक्षा विभाग की नई रेशनलाइजेशन
(छात्र अध्यापक अनुपात) नीति के तहत
होने वाले संभावित बदलाव से
सरकारी स्कूलों में शिक्षकों को सरप्लस
करने की तैयारी शुरु हो गई है। इसके लिए
जहां विभाग के अधिकारी उच्चस्तर
का मामला बताकर किसी भी प्रकार के
विवाद से बचने का प्रयास कर रहे हैं
वहीं विभिन्न स्कूलों में कार्यरत शिक्षक
शिक्षा का अधिकार अधिनियम
का खुल्ला उल्लंघन बताकर विरोध तेज करने
लगे हैं। यदि नई रेशनेलाइजेशन नीति लागू
होती है तो सबसे पहले प्रदेश के दस हजार
जेबीटी सरप्लस हो जाएंगे।
शिक्षकों का कहना है कि इस साल जहां 14
स्कूल बंद हुए हैं वहीं अगले साल और स्कूल
इसी प्रकार बंद हो जाएंगे
जिसका ठीकरा शिक्षकों पर
ही फोड़ा जाएगा।

एक शिक्षक 45
विद्यार्थियों को पढ़ाएगा
सूत्रों के अनुसार रेशनेलाइजेशन नीति के
तहत अगले एक दो माह के अंदर छात्र
अध्यापक अनुपात में काफी बदलाव करने
की तैयारी है। पहले से शिक्षकों की कमी से
जूझ रहे स्कूलों को शिक्षकों की पूर्ति करने
के लिए एक शिक्षक पर 45
विद्यार्थियों को पढ़ाने
की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
इससे प्रदेश के करीब दस हजार तो जिले के
ही करीब 470 जेबीटी शिक्षक सरप्लस
हो जाएंगे। इसकी पुष्टि इसी से
की जा सकता है कि अभी हाल ही में 14
प्राथमिक स्कूल बंद किए जा चुके हैं। बंद
किए गए स्कूलों का शैक्षणिक स्टाफ दूसरे
स्कूलों में भेजा जा चुका है। वहीं चतुर्थ
श्रेणी कर्मचारी अपने रोजगार के लिए
अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुए हैं
जिनकी सुध न तो शिक्षा विभाग और न
ही प्रशासन ले रहा है।
आरटीई का उल्लंघन
नई नीति लागू होती है तो एक शिक्षक पर
45
विद्यार्थियो का जिम्मा देना शिक्षा का
अधिनियम का उल्लंघन होगा। आरटीई के
तहत छात्र और अध्यापक अनुपात 1:30
का है। यह नियम आज तक किसी भी स्कूल में
लागू नहीं हो पाया है। सदानंद, अजय
यादव, चंद्रहास सहित अनेक
शिक्षकों का कहना है कि विभाग की नई
नीति से सैकड़ों पाठशालाएं एक ही शिक्षक
के सहारे चलेंगी।
विद्यार्थियों की संख्या घटने के साथ हर
साल और स्कूलों को बंद करना पड़ेगा।
आज भी सौ शिक्षकों की कमी
जिले में आज भी 101 शिक्षकों की कमी चल
रही है। गत 30 मई को उच्च विभाग
को भेजे रिकॉर्ड के आधार पर कुल 429
प्राथमिक पाठशालाओं में 31 हजार 400
विद्यार्थियों को 1278 जेबीटी शिक्षक
पढ़ा रहे हैं। इसमें स्वीकृत कुल 1379 पदों में
से 20 तो अतिथि अध्यापक पढ़ा रहे हैं।
इनमें से करीब 160 प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं
जहां 45 या इससे कम विद्यार्थी हैं।

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