टीचर भर्ती परिणाम पर पांच अगस्त तक रोक
हाईकोर्ट की सरकार को फटकाऱ
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्टमें हरियाणा स्कूल टीचर बोर्ड के गठन को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने टीचर परिणाम पर रोक जारी रखते हुए सुनवाई पांच अगस्त तक स्थगित कर दी। कोर्ट ने बोर्ड के गठन पर सवाल उठाए व सरकार को फटकार लगाई।
हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार के पास बोर्ड को गठित करने की विधायी शक्ति है। जल्द भर्ती के लिए बोर्ड का गठन किया है। पहली सुनवाई पर सरकार ने बोर्ड द्वारा की जा रही बीस हजार शिक्षकों की भर्ती पर लगी रोक को हटाने की अपील की, लेकिन हाई कोर्ट ने इसे नामंजूर करते हुए कहा कि जब तक इस मामले पर सुनवाई चल रही है तब तक यह स्थगित रहेगी।
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हाईकोर्ट ने पूछा, अलग स्कूल टीचर्स सिलेक्शन बोर्ड की जरूरत क्यों
शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया जारी, फाइनल रिजल्ट पर रोक बरकरार
भास्कर न्यूजत्नचंडीगढ़
हरियाणा स्कूल टीचर्स सिलेक्शन बोर्ड की ओर से 20 हजार शिक्षकों की नियुक्ति के फाइनल रिजल्ट पर सोमवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने रोक बरकरार रखी है।
हरियाणा सरकार की तरफ से रोक हटाने की मांग की गई लेकिन चीफ जस्टिस संजय किशन कौल व जस्टिस एजी मसीह की खंडपीठ ने इसे स्वीकार नहीं किया। अदालत ने हरियाणा सरकार से पूछा कि एक तरफ हरियाणा लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या 13 से कम कर 7 कर दी गई है। वहीं दूसरी तरफ आयोग का कार्यभार कम करने के लिए हरियाणा स्कूल टीचर्स सिलेक्शन बोर्ड के गठन की बात की जा रही है। ऐसे में बोर्ड के अलग से गठन की क्या आवश्यकता रही। पिंजौर निवासी विजय कुमार बंसल की तरफ से याचिका दायर कर बोर्ड को खारिज करने की मांग की गई है। याचिका में बोर्ड का गठन अनुचित ढंग से किए जाने की बात कही गई है। ऐसे में बोर्ड द्वारा किए जाने वाले सभी सिलेक्शन पर रोक लगाई जाए। याचिका में कहा गया कि बोर्ड के चेयरमैन नंद लाल पूनियां मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी रिश्तेदार हैं। इसके अलावा बोर्ड के सदस्य जगदीश प्रसाद मुख्य संसदीय सचिव राव दान सिंह के भाई हैं। एक अन्य सदस्य त्रिभुवन प्रसाद बोस मुख्यमंत्री के बेटे के शिक्षक रहे हैं।
याचिका में कहा गया कि चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों को ताक पर बोर्ड के चेयरमैन व सदस्यों की रिटायरमेंट आयु को 72 वर्ष कर दिया गया। हाईकोर्ट ने इस मामले में पहले भी कहा था कि रिटायरमेंट आयु 60 से बढ़ाकर 70 और फिर आगे 72 किए जाने का कोई कारण नहीं दिया गया। ऐसे में यह मनमाना फैसला है। याचिका में बोर्ड के चेयरमैन व सदस्यों की नियुक्ति करने वाले पैनल पर सवाल उठाते हुए कहा गया कि नियुक्ति करने वालों में हरियाणा की उस समय मुख्य सचिव उर्वशी गुलाटी शामिल हैं। जिन्हें बाद में राज्य सूचना आयुक्त बना दिया गया था।
इस नियुक्ति को हाईकोर्ट से खारिज करने की मांग की गई है जिस पर सुनवाई विचाराधीन है। इसके अलावा शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव व कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डीपीएस संधू शामिल रहे जो मुख्यमंत्री के सहपाठी रहे हैं। ऐसे में सही चयन की उम्मीद करना संभव नहीं हो सकता।
याचिका में कहा गया कि बोर्ड मौजूदा समय में 20 हजार शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया से जुड़ा हुआ है। नियुक्तियों में पारदर्शिता के लिए जरूरी होगा कि बोर्ड को खारिज कर हरियाणा लोक सेवा आयोग के जरिए उक्त भर्तियां कराई जाएं। इस पर हाईकोर्ट ने इन नियुक्तियों के परिणाम घोषित करने पर रोक लगाने के निर्देश बरकरार रखे।
20 हजार नियुक्तियां होंगी प्रभावित
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