मेडिकल में कॉमन एंट्रेस टेस्ट खत्म ...... एनईईटी या नीट) की व्यवस्था खत्म

सुप्रीम कोर्ट ने नीट को अवैध बताया, हो चुके दाखिलों पर असर नहीं
नई दिल्ली त्न सुप्रीम कोर्ट ने एमबीबीएस, बीडीएस और पोस्ट-ग्रेजुएट मेडिकल कोर्स में दाखिले के लिए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (एनईईटी या नीट) की व्यवस्था खत्म कर दी है। नई व्यवस्था इसी साल लागू की गई थी। हालांकि फैसले से इस साल चल रही दाखिले की प्रक्रिया पर असर नहीं पड़ेगा। अब राज्य सरकारें और प्राइवेट कॉलेज अपनी अलग-अलग प्रवेश परीक्षाएं करवा सकेंगे।

अदालत ने नीट को राज्यों और प्राइवेट कॉलेजों के अधिकारों का हनन बताया है। इस फैसले का असर मैनेजमेंट और इंजीनियरिंग संस्थानों के लिए कराए गए सिंगल एंट्रेंस टेस्ट पर भी हो सकता है। चीफ जस्टिस अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली बेंच ने गुरुवार को 2-1 के बहुमत से नेशनल एलिजिबिलिटी-कम-एंट्रेंस टेस्ट (नीट) की अधिसूचना रद्द कर दी। चीफ जस्टिस के साथ जस्टिस विक्रमजीत सेन फैसले से सहमत थे, लेकिन जस्टिस एआर दवे ने इसका विरोध किया। जस्टिस दवे ने नीट को वैध और व्यावहारिक बताया। उन्होंने कहा कि इससे भ्रष्टाचार रुकेगा। जो छात्र भारी-भरकम कैपिटेशन फीस जमा नहीं कर सकते, उन्हें फायदा होगा।

एमसीआई अधिसूचना के खिलाफ 115 अर्जी

एमसीआई के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के पास 115 अर्जियां थीं। नीट पर एमसीआई की अधिसूचना को देशभर से चुनौती दी गई थी। अदालत ने पिछले साल दिसंबर में सिंगल एंट्रेंस टेस्ट कराने की इजाजत दे दी थी, लेकिन परिणाम घोषित करने पर रोक लगा दी थी। साथ ही विभिन्न अदालतों में लंबित याचिकाओं को 15 जनवरी तक अपने पास भेजने के निर्देश भी दिया थे। कोर्ट ने इस साल 13 मई को रिजल्ट पर रोक हटाकर दाखिला प्रक्रिया शुरू करने के आदेश दिए थे। यानी अब तक सिर्फ एक बार नई व्यवस्था के तहत प्रवेश हो पाया था।

..लेकिन जस्टिस दवे ने कहा

1. नीट न सिर्फ वैध है, बल्कि मेडिकल की पढ़ाई करने की इच्छा रखने वालों के लिए वरदान है। सिंगल एंट्रेंस टेस्ट का फायदा छात्रों और पेशे के साथ-साथ संस्थानों को भी मिलेगा।

2. नीट में भाग लेने की फीस कम है। छात्रों को महंगे एडमिशन फार्म नहीं खरीदने होंगे। अलग-अलग परीक्षा के लिए सफर भी नहीं करना पड़ेगा।

3. नीट की चयन प्रक्रिया जाति, धर्म, नस्ल, संप्रदाय, भाषा, लिंग पर आधारित नहीं होगी। इससे छात्रों के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं होगा। जो योग्य होंगे, उन्हें ही दाखिला मिलेगा।

1. देशभर में शिक्षा का स्तर एक जैसा नहीं है। हर राज्य में शिक्षा का अपना सिस्टम और पैटर्न है। ग्रामीण विद्यार्थियों के मुकाबले शहरी छात्रों के पास अपेक्षाकृत ज्यादा साधन है।

2. सिंगल एंट्रेंस टेस्ट मेरिट को महत्व देने के नाम पर शहरों व गांवों में अंतर को कायम रखेगा। यह कैसे तय होगा कि कॉमन टेस्ट से सभी छात्रों को बराबरी का मौका मिलेगा?

3. कॉमन एंट्रेंस टेस्ट का प्रस्ताव सुनने में आकर्षक है, लेकिन इसे लागू करना बहुत ही मुश्किल है। एमसीआई व डीसीआई के पास इसके नियम बनाने का अधिकार भी नहीं है।

कॉमन टेस्ट व्यवस्था पर भी सवाल

2. कॉमन टेस्ट से कुछ निजी संस्थानों खासकर अल्पसंख्यक संस्थाओं के मनचाहे छात्रों को दाखिला देने के अधिकार पर असर पड़ेगा।

1. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) को नीट के बारे में सिफारिश करने का अधिकार नहीं है। इस संबंध में अधिसूचना संविधान के अनुच्छेद 19, 25, 26, 29 और 30 का उल्लंघन है।

फैसले के दो अहम आधार

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