हरियाणा में टीचराें की नियुक्ति पर हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा
टीचर भर्ती को अलग बोर्ड बनाने की क्या इमरजेंसी थी
चंडीगढ़। हरियाणा में करीब 20 हजार टीचरों की नियुक्ति पर रोक के आदेश जारी रहेंगे। इस मामले में राज्य सरकार हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी) के सदस्याें की संख्या में कटौती को लेकर एक नए विवाद में फंस गई है। चीफ जस्टिस संजय किशन कौल एवं जस्टिस एजी मसीह पर आधारित खंडपीठ ने सोमवार को सुनवाई के दौरान सरकार से पूछा कि राज्य में इतनी क्या इमरजेंसी थी कि टीचरों की भरती के लिए एक अलग बोर्ड गठित करना पड़ा और साथ ही पैरेंट बॉडी (एचपीएससी) के सदस्यों की संख्या भी कम कर दी गई। हरियाणा के एडवोकेट जनरल हवा सिंह हुड्डा द्वारा कोई स्पष्ट जवाब न देने पर हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार अगली सुनवाई तक इस तथ्य को स्पष्ट करे। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई 6 अगस्त तक कोर्ट के अंतरिम आदेश बने रहेंगे।
मामले की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव आत्माराम ने हरियाणा में नियुक्तियों के मामले में राज्य सरकार द्वारा बरते जा रहे गैर जिम्मेदराना रवैये को उजागर किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार रिक्त पड़े पदों को भरने में हो रही देरी की बात कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ इन नियुक्तियों में निष्पक्षता बरतने पर कोई कदम नहीं उठाए जा रहे।
यहां तक की सरकार द्वारा एचपीएससी के सदस्यों की सेंक्शन स्ट्रेंथ 13 से घटाकर सात कर दी, जो कि संविधान का सीधा उल्लंघन है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने राज्य स्कूल टीचर भरती बोर्ड ही नहीं अब सरकार पुलिस भरती बोर्ड भी गठित करने का विचार कर रही है। इस पर चीफ जस्टिस पर आधारित खंडपीठ ने एडवोकेट जनरल हवा सिंह हुड्डा से पूछा कि हरियाणा लोक सेवा आयोग को सदस्यों की कटौती क्यों की गई? इस कटौती के बाद यह पता नहीं चल पा रहा कि नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर सरकार में पैरेंट बॉडी कौन है और समानांतर बॉडी कौन है। हाईकोर्ट के सवाल पर एडवोकेट जनरल हवा सिंह हुड्डा ने कहा कि खाली पड़ेे पदों को जल्द भरने के लिए सरकार ने हरियाणा स्कूल टीचर भरती बोर्ड का गठन किया है। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि प्रदेश में ऐसी क्या इमरजेंसी लग गई थी कि आयोग के सेक्शन सदस्याें की ही कटौती कर दी गई।
20,000
टीचरों की नियुक्ति पर 6 अगस्त तक रोक जारी
अधिवक्ता विजय बंसल ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर राज्य स्कूल भरती बोर्ड के गठन को चुनौती दे रखी है। याचिका में कहा गया है कि जब राज्य में हरियाणा लोक सेवा आयोग जैसी संस्था पहले से ही काम कर रही है, तो फिर अलग से बोर्ड गठित करने की जरूरत क्या पड़ी? इसके साथ ही बोर्ड के चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। याचिका में इस भरती बोर्ड को रद करने के निर्देश जारी करने का आग्रह किया गया है।
यह है मामला
• एचपीएससी के सदस्य संख्या घटाने पर भी सरकार से मांगा जवाब
• मामले की सुनवाई के दौरान एजी स्पष्ट नहीं कर सके स्थिति
Court case PGT bharti
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