नियुक्तियों पर लगाई रोक


खर्च में कटौती के उपायों के तहत की घोषणा •अमर उजाला ब्यूरो/एजेंसी नई दिल्ली। केंद्र सरकार के विभागों में अब एक साल तक कोई नियुक्ति नहीं होगी। खस्ता वित्तीय स्थिति से जूझ रही सरकार ने खर्च में कटौती के उपायों के तहत भर्तियों पर एक साल तक पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अलावा केंद्र ने पांच सितारा होटलों में बैठक आयोजित करने और अधिकारियों के एक्जीक्यूटिव क्लास में हवाई सफर करने पर भी रोक लगा दी है। कमजोर पड़ती अर्थव्यवस्था से राजस्व संग्रह में कमी आने की आशंका के बीच वित्त मंत्रालय ने गैरजरूरी खर्च में कमी लाने के उद्देश्य से यह कदम उठाए हैं। सरकार इन उपायों के जरिए गैर नियोजित व्यय में 10 प्रतिशत की कटौती करना चाहती है। वित्त मंत्रालय द्वारा इस संबंध में विभिन्न विभागों को दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं। इसमें कहा गया है कि इस तरह के उपायों से सरकारी कामकाज पर किसी तरह का प्रभाव डाले बगैर वित्तीय अनुशासन को बढ़ावा मिलेगा। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में वित्तीय घाटे को जीडीपी की तुलना में 4.8 प्रतिशत तक रखने का लक्ष्य तय किया है। पिछले वर्ष इसे 5.1 प्रतिशत पर रखने का अनुमान लगाया गया था लेकिन सरकारी उपायों से यह 4.9 प्रतिशत पर रहा था। चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में आ रही सुस्ती से राजस्व संग्रह के अनुमान के अनुसार नहीं रहने की आशंका जताई जा रही है। अगले दो तीन दिन में खर्च में कटौती के और उपायों की घोषणा किए जाने का अनुमान है। सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में भी व्यय में कटौती के उपायों की घोषणा की थी जिससे उसे वित्तीय घाटा को नियंत्रित करने में मदद मिली थी। खर्चों में कटौती की मुहिम क्या है मकसद सरकारी विभागों के पांच सितारा होटलों में बैठक करने पर रोक अधिकारी एक्जीक्यूटिव क्लास में हवाई सफर नहीं मंत्रालयों और विभागों के नई गाड़ी खरीदने पर प्रतिबंध नए पद नहीं सृजित होंगे, न ही खाली पदों पर नियुक्तियां होंगी विदेश जाने वाले सरकारी प्रतिनिधिमंडल में सदस्यों की संख्या कम से कम रखनी होगी सरकार गैर योजनागत खर्च में 10 फीसदी तक कटौती करके राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.8 फीसदी पर सीमित करना चाहती है। सरकार की कार्य क्षमता को प्रभावित किए बिना वित्तीय अनुशासन को बढ़ावा देने के लिए खर्च में कटौती के उपाय किए गए हैं। मौजूदा वित्तीय स्थिति के मद्देनजर मौजूदा संसाधनों का बेहतर तरीके से इस्तेमाल खर्च को तर्कसंगत बनाना है। -वित्त मंत्रालय

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