तो रिजर्व सीट बन सकती है सामान्य


हाईकोर्ट ने आरक्षित व सामान्य सीटों पर चुनाव आयोग को विचार करने को कहा1


बिरंचि सिंह, गुड़गांव1अगर लोकसभा व विधानसभा क्षेत्र की आरक्षित व सामान्य सीटों की अदला बदली का प्रावधान संविधान में है तो उसका उपयोग किया जाना चाहिए। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान भारत सरकार, चुनाव आयोग को यह निर्देश दिया है। आयोग ने अगर इन निर्देशों को पालन किया तो हरियाणा सहित अन्य राज्यों के लोकसभा व विधानसभा चुनावों पर असर पड़ सकता है। 1गुड़गांव के सुशांत लोक निवासी करण सिंह ने याचिका लगाई थी कि देश के कई ऐसे शहर के लोकसभा व विधानसभा क्षेत्र हैं जो वर्षो से एक श्रेणी के लिए आरक्षित हैं। याचिकाकर्ता ने अंबाला को उदाहरण के तौर पर पेश करते हुए कहा था कि अंबाला लोकसभा क्षेत्र करीब 50 वर्ष से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। ऐसी ही स्थिति विधानसभा क्षेत्रों की भी है। उदाहरण के तौर पर झज्जर, बावल और पटौदी का विधानसभा क्षेत्र का नाम गिनाया गया। जो 40 वर्ष से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। याचिकाकर्ता ने इतने वर्षो तक लगातार आरक्षण को चुनौती देते हुए दलील दी थी कि इससे एक खास क्षेत्र के एक खास वर्ग को प्रतिनिधित्व तो मिल जाएगा लेकिन सभी क्षेत्रों के सभी वर्गो का प्रतिनिधित्व मिलना संभव नहीं है। 1याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय किशन कौल ने इस बाबत चुनाव आयोग, भारत सरकार को दिशा निर्देश जारी किए। दैनिक जागरण को मिले रिकार्ड के मुताबिक यह फैसला 9 अक्टूबर 2013 को आया है। इस फैसले की कापी भी चुनाव आयोग कार्यालय को मिल चुकी है। दो माह के भीतर 9 दिसंबर तक चुनाव आयोग से याचिकाकर्ता को जवाब भी देना है। 1हरियाणा में 17 सीट हैं आरक्षित : अनुसूचित जाति व जन जाति वर्ग के लिए आरक्षित हरियाणा की विधान सभा 17 सीटें आरक्षित हैं, जिसमें मुलाना, साढौरा, शाहाबाद, गुहला चीका, नीलोखेड़ी, इसराना, खरखौदा, नरवाना, रतिया, कालांवाली, उकलाना, बवानी खेड़ा, कलानौर, झज्जर, बावल, पटौदी और होडल शामिल है, जो वर्ष 1976 में आरक्षित की गई थी। 2008 के बाद भी अभी भी यही स्थिति है।हर क्षेत्र के अनुसूचित जाति व सामान्य वर्ग के लोगों को अपने प्रतिनिधि चुनने का मौका मिलना चाहिए। लोकसभा व विधानसभा सीटों की अदला बदली होते रहने से हर क्षेत्र के हर वर्ग को अपना प्रतिनिधि चुनने का अधिकार मिलेगा।-करण सिंह, याचिकाकर्ता 1संविधान की धारा 82 के तहत 2026 से पहले लोकसभा व विधानसभा की आरक्षित सीटों की संख्या न तो घटाई जा सकती है न बढ़ाई जा सकती है और न कोई नई सीटें 2031 तक जोड़ी जा सकती हैं। लेकिन संविधान की इस धारा में यह कहीं भी अंकित नहीं है कि आरक्षित और सामान्य स्तर की सीटों की अदला बदली नहीं हो सकती है।1आशीष यादव, एडवोकेटwww.teacherharyana.blogspot.com (Recruitment , vacancy , job , news)

No comments:

Post a Comment

thanks for your valuable comment

See Also

Education News Haryana topic wise detail.