पूरे कुनबे को दहेज उत्पीड़न के मामले में फंसाना गलत



नई दिल्ली। निर्दोष लोगों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न कानून के बढ़ते दुरुपयोग पर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी चिंता जताई है। सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि बुजुर्ग माता-पिता, अविवाहित देवर या ननद के खिलाफ आईपीसी की धारा-498 का प्रयोग हथियार की तरह किया जाना गलत है, जबकि उनका पति की कारगुजारी से कोई लेना-देना न रहा हो।
शीर्षस्थ अदालत ने कहा है कि एक झटके में पूरे कुनबे को जेल में डालने के लिए दहेज उत्पीड़न के आरोप में सभी को शामिल किया जाना अमानवीय और कानून का दुरुपयोग है। जस्टिस अनिल आर दवे व जस्टिस दीपक मिश्रा की पीठ ने यह टिप्पणी पंकज कौशिक और अन्य की अपील पर की है। उनकी पत्नी ने अपने बुजुर्ग सास-ससुर, देवर-ननद और पति के मामा के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया। पत्नी ने आरोप लगाया है कि पति समेत ससुराल के छह लोगों ने मिलकर उसे दहेज के लिए घर से बाहर निकाला। जब वह अपने मायके हरिद्वार चली गई तो वहां पहुंचकर इन लोगों ने उसे पीटा और दो लाख रुपये दहेज की मांग की।
पीठ के समक्ष पति की ओर से पेश अधिवक्ता डीके गर्ग ने कहा कि इस मामले में मेरे मुवक्किल के माता-पिता और भाई-बहन को बेवजह फंसाया गया है। उन्होंने कहा कि पंकज की छोटी बहन कॉलेज में पढ़ती है। उसका इस मामले में घसीटना उसका भविष्य चौपट करने जैसा है।
इस पर पीठ ने कहा कि पूरे परिवार को जेल भेजने के लिए इस कानून का इस्तेमाल किया जाना गलत है। अधिवक्ता ने पीठ से कहा कि पूरे परिवार को पुलिस ढूंढ रही है। अदालत से गुजारिश है कि उन्हें गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान करे। पीठ ने अधिवक्ता के तर्क से सहमति जताते हुए पति पंकज को छोड़कर अन्य सभी सदस्यों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने इस मामले में पति और परिजनों की याचिका को खारिज कर दिया था।
अब दूसरी पत्नी को भी गुजारा भत्ता हासिल करने का पूरा हक
हिंदू मैरिज एक्ट के तहत पहली शादी को छिपा कर दूसरी शादी करना गैरकानूनी है। लेकिन गुजारा भत्ता हासिल करना हो तो दूसरी पत्नी की शादी वैध मानी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई और जस्टिस एके सीकरी की बेंच ने कहा है कि दूसरी पत्नी को गुजारा भत्ता पाने का पूरा हक है। विस्तृत 13 पर
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