सीबीआइ गठन असंवैधानिक -गुवाहाटी हाई कोर्ट........सीबीआइ को बचाने में जुटी सरकार.........सीबीआइ का गठन 1963 के प्रशासनिक आदेश पर हुआ था




सीबीआइ के गठन को असंवैधानिक ठहराने के गुवाहाटी हाई कोर्ट के फैसले से सकते में आई केंद्र सरकार जांच एजेंसी को बचाने में जुट गई है। इस बाबत सरकार शनिवार को ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेगी। सरकार फैसले पर अंतरिम रोक लगाने की भी मांग करेगी, क्योंकि हाई कोर्ट के फैसले से सीबीआइ का कामकाज प्रभावित हो रहा है। संभव है कि शनिवार को अदालत नहीं लगने पर मजिस्ट्रेट के घर पर अदालती कार्यवाही पूरी की जाए और सरकार को स्टे भी मिल जाए। गुवाहाटी हाई कोर्ट ने 6 नवंबर को सीबीआइ के गठन का 1963 का केंद्र सरकार का प्रशासनिक आदेश रद कर दिया था। 1गुवाहाटी हाई कोर्ट ने सीबीआइ के गठन के प्रशासनिक आदेश को असंवैधानिक ठहराते हुए कहा था कि कानूनन एजेंसी को पुलिस फोर्स की तरह जांच करने का अधिकार नहीं है। फैसले से विभिन्न घोटालों की सीबीआइ जांच का भविष्य अधर में लटक गया है। सरकार ने हाई कोर्ट के इस फैसले को चुनौती देने की तैयारी शुरू कर दी है। शुक्रवार को कार्मिक राज्यमंत्री वी. नारायणसामी मामले पर विचार-विमर्श के लिए प्रधानमंत्री से मिले। इस बीच सीबीआइ ने भी याचिका दायर करने के लिए कानूनी सलाह लेनी शुरू कर दी है। कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि सीबीआइ कार्मिक विभाग के तहत आता है और वही सुप्रीम कोर्ट में फैसले को चुनौती देगा। सुप्रीम कोर्ट को बताया जाएगा कि सीबीआइ का गठन 1963 के प्रशासनिक आदेश पर हुआ था। पिछले 50 साल से यह लागू है और इसे लागू रहने दिया जाए। 1सरकार हाई कोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक की मांग भी करेगी, क्योंकि सीबीआइ कई संवेदनशील मामलों की जांच कर रही है और आदेश से उसका कामकाज प्रभावित होगा। हाई कोर्ट में सीबीआइ की ओर से पेश हुए केंद्र के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पीपी मल्होत्र ने भी कहा कि फैसला गलत है और इसे निरस्त होना चाहिए। 1सीबीआइ निदेशक रंजीत सिन्हा ने कहा है कि फैसले का अध्ययन किया जा रहा है। इसके बाद कार्मिक विभाग को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। उन्होंने फैसले के बाद पैदा हुई स्थिति पर सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की

गुवाहाटी हाई कोर्ट ने जांच एजेंसी के गठन को ठहराया था असंवैधानिक16केंद्र आज फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर करेगा याचिका 1

सांसद के तौर पर मामले में संज्ञान लिया है, लेकिन मंत्री की हैसियत से कोई टिप्पणी नहीं कर सकता। इस पर सरकार का साझा फैसला होगा। -मनीष तिवारी 1 सूचना व प्रसारण राज्यमंत्री 



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