अध्यापक दिवस समारोह में दिए गए सम्मान और उनको देने के लिए बनाई गई नीति अब कठघरे में अपने चहेतों को साथ-साथ स्वयं को भी पुरस्कृत किया


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खुद ही ज्यूरी, खुद ही ले लिए पुरस्कार 
अभय मिश्रात्न पानीपत
अध्यापक दिवस अपनी तय तिथि के अनुसार बीत चुका है, समारोह में शिक्षक सम्मानित भी हो चुके हैं, लेकिन इस समारोह में दिए गए सम्मान और उनको देने के लिए बनाई गई नीति अब कठघरे में है। उच्चतर शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने राज्य शिक्षक पुरस्कार से अपने चहेतों को नवाजने के साथ-साथ स्वयं को भी पुरस्कृत किया। बिना आवेदन मांगे, योग्यता का आंकलन किए बगैर और शिक्षा क्षेत्र में उनके अमूल्य योगदान को बिना जांचे परखे ये पुरस्कार दे दिए गए।

आरटीआई से उच्चतर शिक्षा विभाग के अधिकारियों की पुरस्कार देने की 'मनमर्जी की नीति' का खुलासा हुआ है। इस महत्वपूर्ण दिन पर शिक्षकों को सम्मान देने की रूपरेखा तय करने से लेकर सम्मान देने और इसके लिए आयोजन पर हुए लाखों रुपए के खर्च में उच्चतर शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने स्कूली शिक्षा विभाग को भी पीछे छोड़ दिया। स्कूली शिक्षा विभाग ने पुरस्कारों के लिए क्राइटेरिया तो तय किया था, लेकिन उच्चतर शिक्षा विभाग तो यह भी पूरी तरह तय नहीं कर पाया।

इसी साल लिया गया था फैसला : 2013 में पहली बार उच्चतर शिक्षा विभाग ने फैसला लिया कि प्रदेश के कॉलेजों में कार्यरत श्रेष्ठ शिक्षकों को शिक्षक दिवस पर सम्मानित किया जाए। इसके लिए 7 अगस्त 2013 को बैठक बुलाई गई। पुरस्कार देना था शिक्षकों को उनके योगदान/सेवा आदि की उत्कृष्टता के लिए, लेकिन प्रधान सचिव उच्चतर शिक्षा ने बैठक बुलाई अधिष्ठाता युवा व छात्र कल्याण के प्रमुखों की।

बैठक में तय हुआ कि 5 सितंबर को शिक्षक दिवस शानदार तरीके से मनाया जाए। पंचकूला के सेक्टर-5 स्थित इंद्रधनुष सभागार में राज्य स्तरीय समारोह आयोजित किया जाएगा। इस बैठक में पुरस्कार के लिए 10 प्राध्यापकों और 3 प्रिंसीपलों को चयनित करने के लिए 'एक ज्यूरी' के गठन का प्रस्ताव रखा गया। ज्यूरी में तीन पूर्व प्राचार्य (एक वर्तमान वीसी) व एक एसोसिएट प्रोफेसर का नाम था, साथ में एक अधिकारी को भी शामिल किया गया था।

ञ्चबिना आवेदन मांगे, बिना योग्यता जांचे और शिक्षा क्षेत्र में योगदान भी कर दिया नजरदंाज

ञ्चलगभग 2000 शिक्षकों और 100 प्राचार्यों से बिना आवेदन मांगे/बिना आधार के किस पैमाने पर, किस योग्यता से पुरस्कृत किया गया?

ञ्चकिसी उपयुक्तआधार को अपनाने, सभी को समान अवसर दिए बगैर सैकड़ों शिक्षकों की सत्यनिष्ठा और उनके योगदान पर गंभीर आक्षेप लगाने का उच्चतर शिक्षा विभाग का औचित्य क्या है?

ञ्चशिक्षकों को पुरस्कार देना था ऐसे में अधिष्ठाता युवा और छात्र कल्याण की बैठक क्यों बुलाई गई?

ञ्चज्यूरी में शामिल लोग क्या खुद ही पुरस्कार लेने के पात्र हैं, पात्र हैं तो किस आधार पर?

ञ्चक्या ज्यूरी को पहले से तय नामों पर हामी ही भरनी थी? क्या यह ज्यूरी के नाम पर छलावा नहीं था? 

1 comment:

  1. Andha bantee rawrian fhir fhir apnoo ko de

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