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आगे भी चुनौती : कल से बिजली-पानी जैसी सेवाएं भी हो सकती हैं ठप
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सरकार के साथ सात दौर की बातचीत बेनतीजा, ३,५१९ रूटों पर प्राइवेट संचालकों को परमिट देने के मसले पर बिगड़ गई बात
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नहीं लुभाया घोषणाओं ने
10 नवंबर को गोहाना रैली में मुख्यमंत्री ने सरकारी कर्मचारियों के लिए खूब घोषणाएं की थी। ग्रुप सी व डी कर्मियों को दो हजार रुपए का अंतरिम भत्ता भी दिया था। गेस्ट टीचरों का मानदेय बढ़ाया और फिर धड़ल्ले से सरकारी महकमों में भर्ती शुरू की।ये सारे प्रयास कर्मचारियों को लुभा नहीं पाए। कर्मचारियों में बढ़ता रोष सरकार पर भारी पड़ सकता है। | ||
अब सरकार की यह तैयारी
सरकार ने पंजाब व चंडीगढ़ की बसों को हरियाणा में कुछ जगह चलाने का निर्णय लिया है। चीफ सेक्रेटरी एससी चौधरी ने सभी जिलों के डीसी को निर्देश दिए हैं कि यात्रियों की सुविधा के लिए स्कूल बस और मैक्सी कैब की भी मदद लें और पुलिस के सहयोग से बसें चलाने का प्रयास करें। कांग्रेसी विचारधारा वाली रोडवेज की इंटक यूनियन हड़ताल से अलग हो गई है, ऐसे में पुलिस की मदद से कुछ बसें चलाई जा सकती हैं। | ||
साढ़े पांच घंटे में सात दौर की बातचीत के बावजूद पीडब्ल्यूडी मंत्री रणदीप सुरजेवाल रोडवेज यूनियनों को हड़ताल टालने के लिए मना नहीं सके। रात सवा दस बजे रोडवेज तालमेल कमेटी के नेताओं ने ऐलान कर दिया कि 20 से 23 जनवरी तक बसें नहीं चलेंगी। साथ में धमकी दी-मांगें नहीं मानी गईं तो चार दिनी हड़ताल बेमियादी भी हो सकती है। वार्ता विफल होते ही सरकार ने भी परिवहन व्यवस्था बनाए रखने के प्रयास तेज कर दिए। अब मैक्सी कैब व स्कूल बसों में भी सवारियां ढोई जाएंगी। शाम को करीब पांच बजे कैथल के लघु सचिवालय में 14 कर्मचारी नेताओं के साथ बातचीत शुरू हुई थी। एक बार लग रहा था कि बात बन जाएगी। सरकार रोडवेज के अनुबंधित कर्मचारियों को नियुक्ति की तिथि से नियमित करके सभी लाभ देने को तैयार थी लेकिन इसके बदले 3,519 रुटों पर प्राइवेट बसों के परमिट रद्द करने की मांग छोडऩे को कहा। मामला यहीं अटक गया। रोडवेज यूनियनों के सामने भी संकट था कि दूसरी यूनियनों को विश्वास में लिए बगैर कैसे हड़ताल टाल दें। हरियाणा कर्मचारी तालमेल कमेटी ने भी 21 से 23 जनवरी तक हड़ताल का आह्वान किया है। वहीं सरकार ने देर रात बस अड्डों और बिजली दफ्तरों के आसपास धारा १४४ लगाकर पुलिस तैनात कर दी। कर्मियों के अवकाश रद्द कर दिए गए। एक-दूसरे के सिर फोड़ा वार्ता टूटने का ठीकरा त्न पढि़ए पेज २ आम जनजीवन पर सबसे ज्यादा असर रोडवेज बसों का चक्का जाम रहने से पड़ेगा। रोडवेज की ६ में से ५ यूनियनें हड़ताल में शामिल होंगी। 13-14 नवंबर की हड़ताल में परिवहन व्यवस्था ठप हो गई थी। रोडवेज में करीब 32 हजार कर्मी हैं और बेड़े में 3,840 बसें। ऐसे यदि आपको सफर पर निकलना ही है तो जरा सोच-समझकर। चंडीगढ़ या दिल्ली की ओर जाने वाले यात्री राजस्थान, हिमाचल व पंजाब रोडवेज व निजी बसों की सेवाएं ली जा सकती हैं। पानीपत से दोनों तरफ के लिए कई ट्रेनें भी उपलब्ध हैं। सरकार के साथ वार्ता टूटने के बाद मीडिया को जानकारी देते कर्मचारी नेता। कहीं जाना है तो सोच समझकर निकलिए सरकार को 21 से 23 तक हरियाणा कर्मचारी तालमेल कमेटी के आह्वान पर होने वाली हड़ताल से भी जूझना पड़ सकता है। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के राज्य प्रधान धर्मवीर सिंह फौगाट ने बताया कि हड़ताल में रोडवेज, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य, जलापूर्ति, यूनिवर्सिटी, नगर निगम, पर्यटन, बीज विकास, कृषि, पशुपालन, पैक्स, वन विभाग व मिनी सचिवालय के कर्मी भाग लेंगे। इससे बिजली-पानी जैसी सेवाएं चरमरा सकती हैं। सरकार के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती होगी। ये हैं प्रमुख मांगें : कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में केंद्र सरकार के समान वेतन भत्ते, कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने, निजीकरण व ठेकाप्रथा की नीतियों को बंद करना, न्यनतम वेतन समेत सभी श्रम कानूनों को सख्ती से लागू करना, नई पेंशन स्कीम रद्द करना व कैश लैस मेडिकल सुविधा देने की मांग शामिल हैं। |
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