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गुरुजी, अब चलिए गांव की ओर
पांच साल गांवों में पढ़ाएंगे नवनियुक्त अध्यापक1
नहीं किया समायोजन1दरअसल, जिन स्कूलों में अध्यापक ज्यादा है, उन्हें दूसरों स्कूलों प्रतिनियुक्ति पर भेज दिया जाता है लेकिन शिक्षा विभाग ने ऐसा नहीं किया। इस कारण ग्रामीण स्कूलों में अध्यापकों की संख्या घटती गई। शहर के स्कूलों में अध्यापकों की संख्या ग्रामीण स्कूलों के मुकाबले ज्यादा है। ऐसे में जब तक शहर से ग्रामीण स्कूलों में अध्यापकों को समायोजन नहीं होता, तब स्कूलों में शिक्षा का उत्थान कर पाना मुश्किल है।1सही फैसला : कार्यकारी जिला शिक्षा अधिकारी मधु बाला मित्तल ने बताया कि नवनियुक्त अध्यापकों को पांच साल तक ग्रामीण स्कूलों में सेवाएं देने का फैसला बिल्कुल सही है। इसके अलावा गांव से शहर के स्कूलों में प्रति नियुक्तियां भी कम से कम हो, इसका प्रयास किया जाएगा।
भूपेश मथुरिया, हिसार : शिक्षा विभाग ने स्कूल सेवा नियमों में फेरबदल करते हुए व्यवस्था दी है कि नवनियुक्त अध्यापकों को पांच साल तक ग्रामीण स्कूलों में सेवाएं देनी होंगी। अगर वे नियमों का अनुपालन नहीं करते हैं, तो नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है। दरअसल, विभाग ने यह फैसला ग्रामीण स्कूलों में अध्यापकों की घटती संख्या को देखते हुए लिया है। बता दें कि अध्यापक सुख-सुविधा के लिए अपनी नियुक्ति शहर या शहर के नजदीक स्कूलों में करा लेते थे। ग्रामीण स्कूलों में कोई अध्यापक जाने को तैयार नहीं था। हाल ही में प्रदेशभर में हजारों प्राध्यापकों की नियुक्तियां की गई हैं, जिनके नियुक्ति पत्र में इसका उल्लेख कर दिया गया है। 1इन विषयों के शिक्षक नहीं : विज्ञान विषय के तीन हजार अध्यापकों की कमी है तो गणित के करीब दो हजार अध्यापक नहीं हैं। राजनीतिक शास्त्र, मनोविज्ञान, पंजाबी, संस्कृत, भूगोल शास्त्र, शारीरिक शिक्षा विषय के अध्यापकों की भी काफी कमी है। 1ताला जड़ दिया था : बालसमंद गांव के स्कूलों में अध्यापक न होने के कारण ग्रामीणों ने रोष स्वरूप धरना-प्रदर्शन कर स्कूल को ताला तक जड़ दिया था। इसके बाद शिक्षा विभाग ने स्कूलों में प्रतिनियुक्ति पर अध्यापक भेजे थे।1
Bhai sarkar bank carz maaf kar skti he...
ReplyDeleteLakin berozgar teachero ka dard nhi baat skte..
Sarkar ko kam se kam 30000 teacher niyukat karne chahiye......