तीसरी पीढ़ी को मिलेगी नौकरी, असमंजस की स्थिति


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तीसरी पीढ़ी को मिलेगी नौकरी, असमंजस की स्थिति

 
28 साल पहले अधिगृहित की थी जमीन, सरकार ने अब की नौकरी देने की घोषणा 
नौकरी बन सकती है विवाद की वजह
सरकार की घोषणा से परिवार की तीसरी पीढ़ी के सदस्यों को ही रोजगार मिलेगा। ग्रामीणों का कहना है कि इस नौकरी की वजह से कई परिवारों में विवाद भी बढ़ सकते हैं। नौकरी किस सदस्य को मिले, यह निर्णय लेना भी आसान नहीं होगा। दुसानी गांव के महीपाल वर्मा बताते हैं कि उनके पिता मामराज वर्मा की करीब 25 एकड़ जमीन थी, जोकि अधिगृहित हो गई थी। शायद, इसी शोक से उनके पिता की 1984 में मौत भी हो गई थी। महीपाल ने बताया कि वह छह भाई हैं। नौकरी किस भाई के बेटे को मिलेगी यह पता नहीं, लेकिन उनकी मांग है कि जिनकी जमीन गई उनके सभी बेटों के एक-एक सदस्य को नौकरी मिलनी चाहिए।
किसान संघर्ष समिति डीसीआरटीपीपी की बैठक बरखा राम पांसरा व खिलाराम नरवाल की अध्यक्षता में हुई। उन्होंने बताया कि सीएम की इस घोषणा से 14 गांवों में खुशी का माहौल है। वह तीन साल से नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे थे और अपनी मांग सरकार के सामने रख रहे थे।
दिनभर चलता रहा चर्चाओं का दौरा
सरकार ने बुधवार को नौकरी के लिए पॉलिसी बनाने को मंजूरी दी है। बस, गुरुवार को सारा दिन इन 14 गांवों में चर्चाओं का दौरा चलता रहा। गांव की गलियों व चौपाल पर लोग दिनभर इसी पर बात करते रहे। किस परिवार के किस सदस्य को नौकरी दिलवाएगा। कब तक पॉलिसी फाइनल होगी और कब नाम मांगे जाएंगे।
जसविंद्र सिंहत्न यमुनानगर
28 साल पहले रतनपुरा गांव के इंद्राज सिंह की साढ़े छह किले जमीन थर्मल पावर प्लांट के लिए अधिगृहित की गई। इंद्राज सिंह अब नहीं रहे। उनके दो बेटे गुलाब सिंह व लाभ सिंह हैं। बड़े बेटे के तीन व छोटे के दो बेटे हैं। अब सरकार ने अधिगृहित जमीन के लिए परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की पॉलिसी बनाने को मंजूरी दी है। जिसे लेकर परिवार वाले सोच-विचार में हैं। ऐसी ही स्थिति गांव के केहर सिंह के परिवार की है।
केहर सिंह के चार बेटे हैं और उनके आगे छह बेटे यानि पोते। बेटों की उम्र निकल चुकी है और पोते सारे बेरोजगार हैं। अब परिवार में किस पोते को सरकारी नौकरी दिलवाई जाए। इसे लेकर असमंजस बना है। ऐसी ही स्थिति 14 गांवों के करीब 129 परिवारों की हैं, जिनकी 1150 एकड़ जमीन थर्मल के लिए अधिगृहित की गई थी।
इंद्राज सिंह के बेटे गुलाब सिंह का कहना है कि देरी सरकार की ओर से की गई है। इसलिए सरकार को दोनों भाइयों के परिवार के एक-एक सदस्य को नौकरी मिलनी चाहिए। इसी तरह गांव के सरपंच जितेंद्र राणा कहते हैं कि अभी भी सरकार ने पॉलिसी बनाने को मंजूरी दी है। सरकार को जल्द से जल्द नौकरियां देनी चाहिए। 

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